नालंदा:बिहार की शिक्षा और स्वास्थ व्यवस्था अक्सर अपने कारनामों से सुर्खियों में बनी रहती है. ताजा मामला नालंदा जिले के एक मात्र ISO प्रमाणित सदर अस्पताल बिहारशरीफ का है, जहां एक 3 वर्षीय बच्चे की इलाज के अभाव में मौत हो गयी.
इमरजेंसी सेवा बंद रहने के कारण बच्चे की मौत: बच्चा तालाब में डूब गया था, जिसे आनन-फानन में परिजन अस्पताल लेकर पहुंचे. लेकिन इमरजेंसी में कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था. परिजन आधे घंटे तक इधर से उधर भटकते रहे. किसी तरह से आधे घंटे बाद उसका इलाज शुरू हुआ, लेकिन तबतक मासूम की जान चली गई.
"बच्चे की उम्र तीन साल है. अस्पताल में कोई देखने वाला नहीं है. बच्चा तालाब में डूब गया था. अस्पताल में कोई नहीं है."-बच्चे के पड़ोसी
तालाब में डूब गया था मासूम: दरअसल नालंदा थाना क्षेत्र के बिदुपुर गांव निवासी सोनू भारती का 3 वर्षीय पुत्र टुगू कुमार खेलने के दौरान पास के छठ घाट के तालाब में डूब गया. जब परिजनों ने खोजबीन शुरू की तो वह पानी में डूबा मिला. जिसके बाद परिजन इलाज के लिए टुगू को निजी क्लीनिक ले गए, जहां मासूम की नाजुक हालात को देखते हुए सदर अस्पताल बिहारशरीफ लेकर आए.
समय पर नहीं मिला इलाज: जब इमरजेंसी गए तो वहां से बच्चा वार्ड SNCU ले गए. वहां करीब आधा घंटे तक डॉक्टर का इंतजार करते रहे. फिर खुद से इलाज करने लगे. उसके बाद SNCU सिक्योरिटी गार्ड ने कहा कि इमरजेंसी के डॉक्टर शव का पोस्टमार्टम करने गए थे. उसके बाद गार्ड के सहयोग से इमरजेंसी में भर्ती कर ANM और प्रशिक्षु ने इलाज शुरू किया.
ANM ने किया बच्चे का इलाज: ने 20 से 25 मिनट तक बच्चे का इलाज किया गया, फिर उसे मृत घोषित कर दिया गया.. इसके बाद परिजन बच्चे के शव को बाइक से वापस लेकर चले गए. आपको बता दें कि कोलकाता में महिला चिकित्सक के साथ हुई दरिंदगी को लेकर शनिवार को IMA के आह्वान पर सरकारी व गैर सरकारी क्लीनिक में इमरजेंसी सेवा छोड़कर सभी सेवाएं बाधित है.