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बिहार की राजनीति में चिराग का क्रेज, अपनी शर्तों पर कर रहे पॉलिटिक्स - Lok Sabha Election 2024

बिहार की राजनीति में चिराग पासवान पोस्टर बॉय की भूमिका में हैं. उनको महागठबंधन ऑफर दे रहा है वहीं एनडीए समझौता करके उनको अपने साथ रखना चाहता है. ऐसे में चिराग का क्रेज बिहार में बहुत बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है. इसलिए चिराग अपनी शर्तों पर गठबंधन में रहना चाहते हैं. उन्होंने एलजेपी (आर) के लिए सीट शेयरिंग का फॉर्मूला पहले ही सेट कर दिया है.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Mar 11, 2024, 8:08 PM IST

पटना: बिहार की राजनीति में चिराग पासवान आजकल सुर्खियों में हैं. लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बिहार दोनों गठबंधन NDA और महागठबंधन में सीट शेयरिंग का मामला फंसा हुआ है. NDA में मामला और भी पेंचीदा हो गया है. लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) पुराने फार्मूले के आधार पर बिहार में चुनाव लड़ने की बात कह रही है. वहीं, तेजस्वी यादव कई बार उनको महागठबंधन में शामिल होने पर स्वागत की बात कह चुके हैं.

अमित शाह से चिराग की हो चुकी है मुलाकात: सीट बंटवारे को लेकर गृह मंत्री अमित शाह के साथ चिराग पासवान की मुलाकात हो चुकी है. सूत्रों की मानें तो चिराग पासवान ने अमित शाह को 2019 लोकसभा चुनाव में सीट शेयरिंग के आधार पर चुनाव लड़ने की बात कही. 6-1 के फार्मूले पर चुनाव लड़ने की बात कही गई है.

क्या है पुराना फॉर्मूला? : लोक जनशक्ति पार्टी 2014 से लगातार एनडीए का हिस्सा रहा है. 2014 लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 सीट में से 7 सीट लोजपा के खाते में गया था. हाजीपुर, वैशाली, जमुई, नालंदा, मुंगेर, समस्तीपुर और खगड़िया. 2019 के लोकसभा में जेडीयू एनडीए में शामिल हो गई थी. नई सीट शेयरिंग में नया फार्मूला तय किया गया.

6-1 के फॉर्मूले पर चाहते हैं चुनाव : लोजपा के खाते में 6 लोकसभा की सीट और एक राज्यसभा की सीट गई. राज्यसभा में पार्टी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष रामविलास पासवान भेजे गए थे. 6 लोकसभा सीटों हाजीपुर, जमुई, नवादा, वैशाली, समस्तीपुर और खगड़िया पर लोजपा प्रत्याशियों की जीत हुई थी. रामविलास पासवान की परंपरागत सीट हाजीपुर से उनके छोटे भाई पाशुपति कुमार पारस चुनाव लड़े थे. चिराग पासवान एक बार फिर से इस फार्मूले के आधार पर चुनाव लड़ना चाहते हैं.

चिराग हाजीपुर से ही चुनाव लड़ेंगे: चिराग पासवान अपने पिता की परंपरागत सीट हाजीपुर से 2024 में चुनाव लड़ना चाहते हैं. उन्होंने भाजपा के सिर्फ नेतृत्व को इसके बारे में अवगत करा दिया है. लोजपा (रामविलास) के प्रदेश प्रवक्ता विनीत सिंह ने कहा कि 2019 के फार्मूले के आधार पर ही चुनाव लड़ने की बात उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने बीजेपी के नेतृत्व को बता दिया है. 2014 से जो लगातार वह लोग बीजेपी के साथ गठबंधन में हैं. आगे भी मजबूती के साथ बीजेपी के साथ गठबंधन में रहेंगे.

''बिहार की राजनीति में चिराग पासवान सिर्फ पासवानों के नेता नहीं है. सभी जाति के लोगों में चिराग पासवान की लोकप्रियता बरकरार है. कई मौकों पर चिराग पासवान ने यह सिद्ध भी किया है कि पासवान के अलावा अति पिछड़ा समाज और सवर्ण वोटर भी उनके साथ खड़े हैं. बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व से उन्हें उम्मीद है कि चिराग पासवान की बातों पर वह गौर करेंगे. उन्होंने स्पष्ट कहा कि चिराग पासवान NDA के साथ है और आगे भी NDA के साथ ही चुनाव लड़ेंगे.'' - विनीत सिंह

चिराग हो सकते हैं तुरुप का इक्का: 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद चिराग पासवान अपनी शक्ति का एहसास कई मौकों पर दिखा चुके हैं. 2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू को अनेक सीटों पर लोजपा के कारण हार का मुंह देखना पड़ा. राघोपुर सहित दो अन्य सीटों पर बीजेपी को भी लोजपा के कारण हर का सामना करना पड़ा. इसी कारण नीतीश कुमार ने बीजेपी पर आप भी लगाया था कि बीजेपी की भी टीम के रूप में चिराग पासवान ने 2020 के चुनाव में काम किया.

चिराग ने सिद्ध की अपनी भूमिका : महागठबंधन की बिहार में सरकार बनने के बाद तीन विधानसभा क्षेत्र गोपालगंज, मोकामा एवं कुढ़नी में उपचुनाव हुआ था. चिराग पासवान ने तीनों जगह पर भाजपा के पक्ष में चुनाव प्रचार एवं रोड शो किया. तीन में से दो सीटों पर बीजेपी की जीत हुई. वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडेय ने बताया कि चिराग पासवान बिहार की राजनीति में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका में आ गए हैं. कई मौकों पर उन्होंने अपनी भूमिका सिद्ध भी की है.

चिराग अपने पाले में करने के लिए कोशिशें: अरुण पांडेय की मानें तो चिराग पासवान अपनी जाति के अलावे अन्य वोटरों पर अपनी पकड़ बना चुके हैं. यही कारण है कि एनडीए हो या महागठबंधन दोनों खेमा चिराग पासवान को अपने खेमा में रखना चाहती है. बीजेपी 2024 के लोकसभा चुनाव में चिराग पासवान की कितनी भूमिका होगी वह भली भांति जानती है. इसीलिए बीजेपी का सिर्फ नेतृत्व यह चाह रहा है कि चिराग पासवान NDA से बाहर न जाएं. इसीलिए पुराने फार्मूले के आधार पर चिराग पासवान के साथ गठबंधन की संभावना दिख रही है. एक राज्यसभा की सीट का भी ऑफर दिए जाने की भी चर्चा है. महागठबंधन भी चिराग पासवान को अपने पाले में लाने का प्रयास कर रही है. यही कारण है कि तेजस्वी यादव ने खुलकर उनके गठबंधन में शामिल होने का ऑफर दे दिया.

क्या चिराग पासवान पाला बदल सकते हैं : वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडेय की माने तो चिराग पासवान यह जान गए हैं कि कि गठबंधन के साथ जाने से उनके आगे की राजनीति सही रहेगी. अरुण पांडेय का कहना है कि चिराग पासवान की पार्टी NDA के साथ ही चुनाव लड़ेगी. आम लोगों के बीच में भी चिराग पासवान का क्रेज बढ़ा है. स्थानीय आलोक कुमार का कहना है कि चिराग पासवान के अपने जाति के वोटों पर पकड़ है. इसके अलावे आम युवाओं के बीच में भी चिराग पासवान का जबरदस्त क्रेज है. यही कारण है कि चिराग पासवान जिधर भी जाएंगे उसे गठबंधन का पलड़ा भारी रहेगा.

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