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ये है बुंदेलखंड की रहस्मयी नदी, जहां रात के सन्नाटे में सुनाई देते हैं अद्भुत वाद्ययंत्र

Bundelkhand Mysterious River : बुंदेलखंड में एक छोटी सी नदी कई रहस्यों को अपने आंचल में समेटे है. रात के सन्नाटे में यहां कई रहस्य देखे और महसूस किए जा सकते हैं. पढ़ें विस्तृत रिपोर्ट...

Bundelkhand Mysterious River
बुंदेलखंड की रहस्मयी नदी अद्भुत वाद्ययंत्रों की आवाजें सुनें

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Mar 1, 2024, 11:11 AM IST

Updated : Mar 1, 2024, 11:19 AM IST

बुंदेलखंड की रहस्मयी नदी रात में सुनाई देते हैं अद्भुत वाद्ययंत्र

सागर।बुंदेलखंड की धरती कई रहस्यों से भरी है और शौर्य और सौंदर्य की कई कहानियां कहती है. बुंदेलखंड की प्राकृतिक संपदा भी कई सालों की सभ्यता के इतिहास को अपने में संजोकर रखे है. कई ऐसे रहस्य भी हैं, जिनको आज तक कोई सुलझा नहीं पाया है. बुंदेलखंड के संभागीय मुख्यालय सागर में ऐसे कई सदियों पुराने रहस्य देखने और सुनने मिलते हैं. जिले से गुजरने वाली एक छोटी सी नदी, जिसे गधेरी नाम से जाना जाता है, कहा जाता है कि ये छोटी सी नदी कई रहस्यों से भरी है और नदी का नाम पहले गंधर्वी नदी था, क्योंकि ये नदी गंधर्व कला में पारंगत है. खास बात ये है कि घनघोर जंगलों में बनी नदी किनारे मानव इतिहास के 10 हजार साल की कहानी कहने वाले शैलचित्र भी हैं.

सागर जिले की गधेरी नदी

महज 32 किमी का सफर तय करती है ये नदी

गधेरी नदी का उद्गम सागर जिले के ढाना के नजदीक है. यहां से बहते हुए ये नदी करीब 32 किमी का सफर तय करके गढाकोटा से निकलने वाली सुनार नदी में मिल जाती है. ये नदी काफी खूबसूरत और मन को मोहने वाली है. क्योकिं नदी घनघोर जंगलों और पहाड़ों के बीच कल-कल करते हुए बहती है. नदी किनारे एक आश्रम के महामंडलेश्वर रामाधार दास महाराज बताते हैं "ये नदी रहस्यमयी है. इसका उन्होंने खुद अनुभव किया है. नदी के पास रात के वक्त मैंने खुद कानों से संगीत सुना है. हमारे गुरु महाराज ने मना किया था कि रात में नदी के नीचे और ऊपर की तरफ नहीं जाना, लेकिन हम चले गए. हमने ऐसा अद्वितीय संगीत सुना कि भारत में किसी के द्वारा नहीं गाया गया. ऐसे विचित्र प्रकार के वाद्ययंत्र, जो कभी देखे नहीं है. हमने जगमगाता प्रकाश देखा है. यहां पर कभी-कभार आवाज सुनाई देती है. रात में डेढ़ बजे के आसपास कभी कभी हरे राम का संकीर्तन सुनाई देता है. कभी ढोल की आवाज सुनाई देती है."

गधेरी नदी के पत्थर भी बड़े अजीब हैं
बुंदेलखंड में एक छोटी सी नदी कई रहस्यों को अपने आंचल में समेटे

अवशेष बताते हैं कि नदी का नाम गंधर्वी होगा

महामंडलेश्वर रामाधार दास महाराज बताते हैं "नदी का नाम आज गधेरी है. लेकिन इसका शुद्ध नाम गंधर्वी है, जो अपभ्रंश के कारण धीरे-धीरे गधेरी हो गया. इसका मैंने नदी किनारे अभिलेख देखा है. यहां चंदेलों के खंडहर किले में एक पत्थर पड़ा था, जिसमें गंधर्वी के तीर लिखा था. पत्थर को देखकर लगता है कि आगे पीछे का पत्थर टूट गया.यहां पर गंधर्व के चिह्न भी है. तीन लोग मछली मारने के बहाने नदी में बने कुंड के पास खजाने के चक्कर में आए थे. दो लोग रात में खुदाई करके सो गए तो एक आदमी 20-25 फीट के सफेद कपडे़ पहने आया और उनकी परिक्रमा लगाकर आगे चला गया. वहीं पर पत्ती तोड़कर पत्थर से कूटने लगा है. ये देखकर तीनों तुरंत उठकर भाग गए और सुबह फिर आए, जिस पत्थर पर वह विशाल आदमी पत्ते बांट रहा था, वो पत्थर आज भी है. इतना बड़ा पत्थर है कि 10 लोगों से भी टस के मस नहीं कर पाएंगे."

गधेरी नदी से लगी प्राचीन गुफाएं
गधेरी नदी किनारे गुफाओं में शैल चित्र

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नदी किनारे मानव सभ्यता का 10 हजार साल पुराना इतिहास

खास बात ये है कि इसी नदी के किनारे आबचंद की गुफाएं हैं. जहां 10 हजार साल पुराने शैलचित्र पाए गए हैं. यह गुफाएं मानव विकास के 10 हजार साल पुराने इतिहास की कहानी बताती हैं. आबचंद की गुफाओं और कंदराओं में शिकार, आमोद-प्रमोद, मनोरंजन,पशुपालन और युद्ध के साथ कई तरह के शैलचित्र देखने मिल जाएंगे.

Last Updated : Mar 1, 2024, 11:19 AM IST

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