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पन्ना में मुंह उठाए खड़ी है महाराजा छत्रसाल की तोप, धरती का सीना चीर निकली थी बाहर - PANNA MAHARAJA ANCIENT CANNON

पन्ना पुरातत्व संग्रहालय के हिंदूपत महल में रखी हुई है 18वीं शताब्दी की तोप. महाराजा छत्रसाल के वंशजों से जुड़ा है इसका इतिहास

PANNA MUSEUM ANCIENT CANNON
पन्ना के हिंदूपत महल में रखी हुई प्राचीन तोप (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 11, 2025, 2:07 PM IST

Updated : Jan 11, 2025, 6:13 PM IST

पन्ना: मध्य प्रदेश के पन्ना पुरातत्व संग्रहालय के हिंदूपत महल में एक तोप रखी हुई है. यह एक प्राचीन तोप है और इसका इतिहास महाराजा छत्रसाल के वंशजों से जुड़ा हुआ है. पुरातत्व संग्रहालय के अनुसार यह तोप 18वीं शताब्दी की है. यह लोकपाल सागर तालाब की खुदाई के दौरान मिली थी. सैकड़ों साल तक मिट्टी में दबी रहने के बाद भी तोप का स्वरूप बिलकुल नहीं बदला है और तोप आज भी नई जैसी ही लगती है.

PANNA MUSEUM 18TH CENTURY CANNON
लोकपाल सागर की खुदाई में निकली थी यह प्राचीन तोप (ETV Bharat)

लोकपाल सागर की खुदाई में मिली थी तोप

पन्ना शहर के बीचों-बीच स्थित हिंदूपत पुरातत्व संग्रहालय में रखी हुई इस तोप का इतिहास सैकड़ों वर्षों पुराना है. इस तोप का संबंध महाराजा छत्रसाल के राजवंश से है. करीब 20 साल पहले पन्ना जिले के लोकपाल सागर तालाब में खुदाई के दौरान यह तोप निकली थी, जिसे पीडब्ल्यूडी विभाग ने पन्ना कलेक्टर के माध्यम से पुरातत्व संग्रहालय हिन्दूपत महल में रखवा दिया था. इसे हिन्दूपत महल के विशाल बरामदे में रखा गया है. इतने साल तक मिट्टी में दबे रहने के कारण भी तोप खराब नहीं हुई है.

महाराजा छत्रसाल के पूर्वजों से है इस तोप का संबंध (ETV Bharat)

200 साल बाद भी ज्यो की त्यों है तोप

हिंदूपत महल के केयरटेकर रमदमन सिंह बताते हैं, " यह तोप 18वीं शताब्दी की है. 200 साल हो जाने के बाद भी तोप का स्वरूप बिल्कुल भी नहीं बदला है. इसे लोकपाल सागर तालाब से निकालकर यहां लाया गया था. सैकड़ों वर्षों तक मिट्टी में दबी रहने के बाद भी यह जर्जर नहीं हुई है, ज्यों की त्यों है." आपको बता दें कि महाराजा छत्रसाल अपनी वीरता की वजह से बुंदेलखंड के शिवाजी के नाम से भी विख्यात थे. बुंदेलखंड का शक्तिशाली राज्य महाराज छत्रसाल ने ही बनाया था. छतरपुर नगर छत्रसाल का बसाया हुआ नगर है.

पन्ना: मध्य प्रदेश के पन्ना पुरातत्व संग्रहालय के हिंदूपत महल में एक तोप रखी हुई है. यह एक प्राचीन तोप है और इसका इतिहास महाराजा छत्रसाल के वंशजों से जुड़ा हुआ है. पुरातत्व संग्रहालय के अनुसार यह तोप 18वीं शताब्दी की है. यह लोकपाल सागर तालाब की खुदाई के दौरान मिली थी. सैकड़ों साल तक मिट्टी में दबी रहने के बाद भी तोप का स्वरूप बिलकुल नहीं बदला है और तोप आज भी नई जैसी ही लगती है.

PANNA MUSEUM 18TH CENTURY CANNON
लोकपाल सागर की खुदाई में निकली थी यह प्राचीन तोप (ETV Bharat)

लोकपाल सागर की खुदाई में मिली थी तोप

पन्ना शहर के बीचों-बीच स्थित हिंदूपत पुरातत्व संग्रहालय में रखी हुई इस तोप का इतिहास सैकड़ों वर्षों पुराना है. इस तोप का संबंध महाराजा छत्रसाल के राजवंश से है. करीब 20 साल पहले पन्ना जिले के लोकपाल सागर तालाब में खुदाई के दौरान यह तोप निकली थी, जिसे पीडब्ल्यूडी विभाग ने पन्ना कलेक्टर के माध्यम से पुरातत्व संग्रहालय हिन्दूपत महल में रखवा दिया था. इसे हिन्दूपत महल के विशाल बरामदे में रखा गया है. इतने साल तक मिट्टी में दबे रहने के कारण भी तोप खराब नहीं हुई है.

महाराजा छत्रसाल के पूर्वजों से है इस तोप का संबंध (ETV Bharat)

200 साल बाद भी ज्यो की त्यों है तोप

हिंदूपत महल के केयरटेकर रमदमन सिंह बताते हैं, " यह तोप 18वीं शताब्दी की है. 200 साल हो जाने के बाद भी तोप का स्वरूप बिल्कुल भी नहीं बदला है. इसे लोकपाल सागर तालाब से निकालकर यहां लाया गया था. सैकड़ों वर्षों तक मिट्टी में दबी रहने के बाद भी यह जर्जर नहीं हुई है, ज्यों की त्यों है." आपको बता दें कि महाराजा छत्रसाल अपनी वीरता की वजह से बुंदेलखंड के शिवाजी के नाम से भी विख्यात थे. बुंदेलखंड का शक्तिशाली राज्य महाराज छत्रसाल ने ही बनाया था. छतरपुर नगर छत्रसाल का बसाया हुआ नगर है.

Last Updated : Jan 11, 2025, 6:13 PM IST
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