ग्वालियर : 145 साल पुरानी केंद्रीय जेल ग्वालियर के कैदियों को जल्द ही शिफ्ट किया जाएगा. दरअसल, वर्तमान केंद्रीय जेल का निर्माण साल 1869 में किया गया था ऐसे में 145 वर्ष पुरानी बिल्डिंग कैदियों के लिए सुरक्षित नहीं है. अब ग्वालियर की नई केंद्रीय जेल स्पेशल एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (साडा) क्षेत्र में बनेगी, जो 20 हैक्टर जमीन पर होगी. इसके लिए एमपी हाउसिंग बोर्ड द्वारा ग्वालियर कलेक्टर के सामने नई जेल शिफ्टिंग का प्रजेंटेशन भी दिया जा चुका है.
आधुनिक होगी ग्वालियर की नई सेंट्रल जेल
ग्वालियर के साडा क्षेत्र में बनने वाली नई केंद्रीय जेल 20 हेक्टेयर भूमि पर तो बनेगी ही साथ ही कई सुविधाएं भी इसमें शामिल की जाएंगी. इसकी क्षमता भी वर्तमान केंद्रीय जेल से दोगुनी होगी. अभी वर्तमान सेंट्रल जेल की कैदी क्षमता 2500 है लेकिन नए जेल भवन में 5 हजार कैदियों को रखा जा सकेगा. इसके अलावा इसमें 300 लोगों की क्षमता वाला कॉन्फ्रेंस हॉल, 500 सीटर ऑडिटोरियम और 100 बिस्तरीय अस्पताल की सुविधा भी होगी. साथ ही कैदियों के लिए औद्योगिक एक्टिविटी में 7 अलग-अलग तरह के ट्रेनिंग सेंटर, 2 खेल मैदान, दो गोदाम और एक परेड ग्राउंड भी होगा.
सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम
नया जेल परिसर सोलर पैनल्स से लैस होगा, साथ ही सुरक्षा के लिए लैंडस्केपिंग और बाउंड्रीवॉल होगी. इसके साथ-साथ जेल अधिकारियों के लिए अलग-अलग तरह के आवास भी होंगे, जिनमें डी-टाइप के 2, ई-टाइप के 4, एफ-टाइप के 6, जी-टाइप-21, एच-टाइप 257 ऑए आई-टाइप कैटेगरी के 11 क्वार्टर बनाए जाएंगे. वहीं पुरुष और महिला गार्ड रूम भी बनाया जाएगा. यहां आर्म्स स्टोर भी होगा, जिसकी क्षमता 500 आर्म्स की होगी.
सांसद ने दिया था नए जेल निर्माण का सुझाव
केंद्रीय जेल को शिफ्ट किए जाने को लेकर ग्वालियर सांसद भारत सिंह कुशवाह ने कहा, '' मैग्नेट सिटी साडा की आधारशिला जब रखी गई थी तो परिकल्पना थी कि इस क्षेत्र में नया शहर बढ़ेगा, जिसके लिए बड़ी-बड़ी संस्थाओं का वहां बसना आवश्यक है.'' उन्होंने कहा, '' जब कलेक्ट्रेट में बैठक ली थी तब साडा के अधिकारी भी वहीं थे और प्रशासन भी, उस समय हमने यह सुझाव दिया था कि, वर्तमान में बहोड़ापुर क्षेत्र में बनी केंद्रीय जेल काफी पुरानी जेल है और अगर संभव हो सके तो पीपीपी मोड पर हम साडा में नई जेल का निर्माण करेंगे तो यह साडा के लिए काफी उपयोगी साबित होगी.''
'नए शहर के रूप में विकसित होगा साडा क्षेत्र'
ग्वालियर सांसद ने आगे कहा, " साडा वेस्टर्न बाइपास स्वीकृत हो चुका है और इसका बड़ा फायदा मिलेगा क्योंकि एक हजार करोड़ की लागत से 28 किलोमीटर का जब यह बायपास बनेगा तो कई संस्थाएं यहां आएंगी. हम भी कई अहम संस्थाओं को वहां शिफ्ट कराएंगे तो इस क्षेत्र का विकास भी काफी तेजी से होगा और यहां नया शहर स्वरूप लेगा यही हम सबका प्रयास है."
क्या होती है सेंट्रल जेल?
देश में कई तरह की जेलें हैं लेकिन इसमें सबसे बड़ी सेंट्रल जेल होती है. किसी भी सेंट्रल जेल में उन कैदियों को रखा जाता है, जिन्हें दो वर्ष से ज्यादा की सजा हुई हो या जो किसी गंभीर अपराध में बंदी बनाए गए हों. एक राज्य में कई सेंट्रल जेल हो सकती हैं. वहीं देश में सबसे ज्यादा सेंट्रल जेल मध्यप्रदेश में हैं. मध्य प्रदेश में कुल 11 सेंट्रल जेले हैं. वहीं महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु और पंजाब में 9-9 सेंट्रल जेलें हैं. बात करें राजधानी दिल्ली की तो वहां 8 सेंट्रल जेल हैं. अन्य जेलों के मुकाबले किसी भी सेंट्रल जेल में कैदियों को रखने के लिए कई गुना ज्यादा जगह होती है.
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