छिंदवाड़ा: पीपीई किट पहनकर बिल्डिंग को सेनेटाइज करते कर्मचारी हर किसी के मुंह में मास्क और पीसीआर टेस्ट करते स्वास्थ्य कर्मियों का नजारा आंखों के सामने आते ही भयंकर मंजर याद आता है. जिसे भुलाया नहीं जा सकेगा, हम बात कर रहे हैं कोविड-19 के दौर की. ऐसा ही कुछ नजर छिंदवाड़ा के एक बाजार में एक बार फिर देखने को मिला. आखिर क्यों कोविड प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है. जानिए वजह
बर्ड फ्लू का खतरा कोविड प्रोटोकॉल से हुई जांच
देश में बढ़ रहे बर्ड फ्लू के मामलों को देखते हुए छिंदवाड़ा प्रशासन भी अलर्ट मोड में नजर आया. प्रशासन ने मटन मार्केट को बंद करते हुए मटन की दुकानों को सेनेटाइज करने की शुरूआत की है. बताया जाता है कि मटन का व्यापार करने वाले कुछ व्यापारियों ने कच्चे मटन के टुकड़े अपने घर की बिल्लियों को खिलाए थे. इसके बाद बिल्लियों की मौत हो गई थी. इसके बाद छिंदवाड़ा पशु चिकित्सा विभाग की टीम ने मटन मार्केट में पहुंचकर कोविड प्रोटोकॉल की तरह मुर्गियों के सैम्पल लिए हैं, जिन्हें जांच के लिए भेजा गया है.
![CHHINDWARA COLLECT BIRD SAMPLES](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/10-02-2025/23515967_gggg.jpg)
मटन मार्केट बंद,जलाए गए मुर्गे मुर्गियां
छिंदवाड़ा एसडीम सुधीर जैन ने बताया कि "देश में कई जगह बर्ड फ्लू के मामलों की जानकारी मिल रही थी. जिसके चलते सुरक्षा के तौर पर छिंदवाड़ा के मटन मार्केट को भी आगामी आदेश तक के लिए बंद करने के निर्देश दिए गए हैं. सभी दुकानों को सेनेटाइज किया और मुर्गियों के सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे. उसके अतिरिक्त कुछ संभावित संक्रमित मुर्गियों को जलाया भी गया. आशंका जाहिर की जा रही है कि शायद पशु चिकित्सा विभाग द्वारा भेजे गए सैंपल में कुछ नमूने बर्ड फ्लू से पॉजिटिव पाए गए हैं. प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि बर्ड फ्लू के संभावित खतरे को रोकने के लिए विशेष सतर्कता बरती जा रही है. शहरवासियों से अपील की गई है कि वे किसी भी तरह के संक्रमित मांस का सेवन न करें और सतर्कता बनाए रखें."
क्या होता है बर्ड, कैसे फैलता है फ्लू
पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ महेश कुमार सुलखिया ने बताया कि "बर्ड फ्लू, जिसे एवियन इन्फ्लूएंजा के नाम से भी जाना जाता है. पक्षियों का एक संक्रामक रोग है और यह बर्ड फ्लू वायरस के कई अलग-अलग प्रकारों के कारण होता है. यह जंगली और पालतू दोनों तरह के पक्षियों में फैलता है और बहुत कम ही पक्षियों से मनुष्यों में फैलता है. बर्ड फ्लू के मानव मामले आमतौर पर संक्रमित पोल्ट्री या अन्य पक्षियों के निकट संपर्क में रहने वाले लोग होते हैं."
बर्ड फ्लू से बचने के लिए ये करें उपाय
पशु चिकित्सक डॉ महेश कुमार सुलखिया ने बताया कि "अपने हाथों को अक्सर गर्म पानी और साबुन से धोएं, कच्चे मुर्गे को पके और कच्चे मांस के लिए अलग-अलग बर्तनों का उपयोग करें. खाने से पहले यह देख लें कि मांस भाप बनने तक पक गया है. जीवित पक्षियों और मुर्गों के संपर्क से बचें. पक्षियों की बीट या बीमार या मृत पक्षियों के पास न जाएं या उन्हें न छुएं. जीवित पशुओं के बाजार या पोल्ट्री फार्मों पर न जाएं. अधपका या कच्चा मुर्गा या बत्तख न खाएं. इसके साथ ही कच्चे अंडे न खाएं."
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बर्ड फ्लू के लक्षण, डॉक्टर से तुरंत लें सलाह
डॉक्टर का कहना है कि आमतौर पर बर्ड फ्लू के लक्षण दिखने में 5 से 10 दिन का समय लगता है. अगर संभावना है कि आप बर्ड फ्लू के लक्षण से संक्रमित हो सकते हैं और शरीर में ऐसे लक्षण दिखाई दे, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें. अगर बहुत अधिक बुखार या गर्मी या कंपकंपी महसूस होना, मांसपेशियों में दर्द
,सिरदर्द ,खांसी या सांस लेने में तकलीफ के साथ यदि दस्त रोग पेट दर्द छाती में दर्द नाक और मसूड़ों से खून आना, आंख आना हो रहा है तो संभावना होती है कि बर्ड फ्लू का खतरा होता है.