पटना:बिहार लोक सेवा आयोग ने शिक्षक बहाली परीक्षा के तीसरे चरण के तहत 15 मार्च को ली गयी परीक्षा को रद्द कर दिया है. 15 मार्च को प्राथमिक विद्यालय और मध्य विद्यालय के शिक्षक पद के लिए दो शिफ्ट में परीक्षा का आयोजन किया गया था. परीक्षा के बाद पेपर लीक होने का मामला सामने आया था. बीपीएससी द्वारा परीक्षा रद्द किए जाने पर बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक संघ ने फैसले का स्वागत किया है.
"छात्र हित में आयोग ने यह फैसला लिया है, लेकिन लड़ाई यहीं खत्म नहीं होती है. पेपर रद्द होने से छात्रों की परेशानी दोगुनी हुई है. इसके लिए जो दोषी हैं वह चाहे कोई भी हो उन पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. पेपर लीक के लिए पूरा एक अंतरराज्यीय गिरोह काम कर रहा है. इस गिरोह पर नकेल कसने की आवश्यकता है."- अमित विक्रम, अध्यक्ष, बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक संघ
रिटायर जज से जांच कराने की मांग:अमित विक्रम ने कहा कि अभी तक जो माफिया पकड़े गए हैं, वह तीसरे और चौथे स्तर के माफिया हैं. लेवल 1 और लेवल 2 के माफिया अभी भी पकड़ से बाहर हैं. वह चाहेंगे कि इसकी ठोस जांच हो. कोचिंग माफिया हो या बीपीएससी के अधिकारी, इसकी जांच कर उनके खिलाफ कठोरतम कार्रवाई होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ी तो वह उच्च न्यायालय में भी जाएंगे. रिटायर्ड जज की कमेटी से पेपर लीक कांड की जांच कराने की मांग करेंगे.
ईओयू ने जांच में पकड़ी थी गड़बड़ी: बताते चले की ईओयू ने इस बात की जानकारी दी थी कि 15 मार्च की परीक्षा का पेपर लीक 1 दिन पूर्व ही हो गया था. 10 से 12 लाख रुपए में प्रत्येक कैंडिडेट से क्वेश्चन पेपर का सौदा हुआ था. शिक्षा माफिया रिजॉर्ट बुक करके पेपर खरीदने वाले अभ्यर्थियों को आंसर रटवाते हुए पकड़े गए थे. हजारीबाग में यह सब हुआ था. जांच के क्रम में पता चला कि यह गिरोह कई जगहों पर काम कर रहा था. पूरा पेपर लीक कांड कोलकाता के प्रिंटिंग प्रेस संचालक के साथ मिलकर शिक्षा माफिया ने अंजाम दिया था.