पटना:बिहार में नियमित शिक्षक, सक्षमता उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक और बीपीएससी पहले और दूसरे चरण के चयनित शिक्षकों के स्थानांतरण के लिए आवेदन की प्रक्रिया 7 नवंबर से शुरू है. लेकिन स्थानांतरण के लिए आवेदन का जो प्रारूप शिक्षा विभाग से दिया गया उसमें और एप्लीकेशन पर स्थानांतरण के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया में भिन्नता है. इस बात को लेकर शिक्षक संगठनों में आक्रोश है.
अलोकतांत्रिक है नियमावलीः गैर सक्षमता उत्तीर्ण नियोजित शिक्षकों ने स्थानांतरण प्रक्रिया में शामिल होने का बहिष्कार कर दिया है. इसको लेकर विभिन्न शिक्षक संगठन के प्रतिनिधियों ने गांधी मैदान में शनिवार को एक आपात बैठक की. टीईटी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष नितेश कुमार ने बताया कि यह स्थानांतरण नीति पूरी तरीके से अव्यवहारिक और गैर लोकतांत्रिक है. पहले जो विशिष्ट शिक्षक नियमावली बनाई गई थी उसमें और एप्लीकेशन पर स्थानांतरण करने की प्रक्रिया में अंतर है.
"पहले प्रेस नोट में था कि शिक्षकों के उनके गृह अनुमंडल में पोस्टिंग नहीं होगी और गृह अनुमंडल छोड़कर दूसरा चॉइस देना है. लेकिन स्थानांतरण का आवेदन करते समय 3 से 4 अनुमंडल छोड़ने का नियम बना दिया गया है. यह पूरी तरीके से शिक्षकों को प्रमंडल से बाहर करने की साजिश है."- नितेश कुमार, प्रदेश अध्यक्ष, टीईटी शिक्षक संघ
गृह अनुमंडल का ऑप्शन नहींः नीतीश कुमार ने बताया कि आवेदन करते समय शिक्षक के गृह अनुमंडल का ऑप्शन नहीं लिया जा रहा है. शिक्षक की ससुराल के अनुमंडल का ऑप्शन नहीं लिया जा रहा है. शिक्षक गृह अनुमंडल से दूर कहीं पोस्टेड हैं तो उस जगह के अनुमंडल का भी ऑप्शन नहीं लिया जा रहा है. इसके अलावा शिक्षक की पत्नी कहीं सरकारी नौकरी में है तो जहां नौकरी में है उस जगह के अनुमंडल को भी ऑप्शन में नहीं लिया जा रहा है.
राज्यकर्मी बनाना नहीं चाहती सरकारः नितेश कुमार ने बताया कि प्रदेश के 38 जिला में कई जिला ऐसे हैं, जहां सिर्फ एक अनुमंडल है. इस पॉलिसी के तहत वह अपने जिला अनुमंडल के अलावा आसपास के अनुमंडल में भी अप्लाई नहीं कर पा रहे हैं. किसी का पड़ोसी अनुमंडल में ससुराल है तो कोई पड़ोसी अनुमंडल में ही पोस्टेड है. उन्होंने कहा कि सरकार के अधिकारियों ने जानबूझकर यह नियम बनाया है ताकि उन्हें नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा नहीं देना पड़े.