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तबादले की प्रक्रिया पर शिक्षकों में नाराजगी, च्वाइस मिलने के बाद भी क्यों कर रहे हैं बहिष्कार?

बिहार में शिक्षकों के स्थानांतरण के लिए च्वाइस मांगे जा रहे हैं. फिर भी उनमें नाराजगी है. जानते हैं शिक्षक क्यों बहिष्कार कर रहे हैं.

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बैठक करते शिक्षक. (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 9, 2024, 5:55 PM IST

पटना:बिहार में नियमित शिक्षक, सक्षमता उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक और बीपीएससी पहले और दूसरे चरण के चयनित शिक्षकों के स्थानांतरण के लिए आवेदन की प्रक्रिया 7 नवंबर से शुरू है. लेकिन स्थानांतरण के लिए आवेदन का जो प्रारूप शिक्षा विभाग से दिया गया उसमें और एप्लीकेशन पर स्थानांतरण के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया में भिन्नता है. इस बात को लेकर शिक्षक संगठनों में आक्रोश है.

अलोकतांत्रिक है नियमावलीः गैर सक्षमता उत्तीर्ण नियोजित शिक्षकों ने स्थानांतरण प्रक्रिया में शामिल होने का बहिष्कार कर दिया है. इसको लेकर विभिन्न शिक्षक संगठन के प्रतिनिधियों ने गांधी मैदान में शनिवार को एक आपात बैठक की. टीईटी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष नितेश कुमार ने बताया कि यह स्थानांतरण नीति पूरी तरीके से अव्यवहारिक और गैर लोकतांत्रिक है. पहले जो विशिष्ट शिक्षक नियमावली बनाई गई थी उसमें और एप्लीकेशन पर स्थानांतरण करने की प्रक्रिया में अंतर है.

शिक्षक संगठन के प्रतिनिधियों की बैठक. (ETV Bharat)

"पहले प्रेस नोट में था कि शिक्षकों के उनके गृह अनुमंडल में पोस्टिंग नहीं होगी और गृह अनुमंडल छोड़कर दूसरा चॉइस देना है. लेकिन स्थानांतरण का आवेदन करते समय 3 से 4 अनुमंडल छोड़ने का नियम बना दिया गया है. यह पूरी तरीके से शिक्षकों को प्रमंडल से बाहर करने की साजिश है."- नितेश कुमार, प्रदेश अध्यक्ष, टीईटी शिक्षक संघ

गृह अनुमंडल का ऑप्शन नहींः नीतीश कुमार ने बताया कि आवेदन करते समय शिक्षक के गृह अनुमंडल का ऑप्शन नहीं लिया जा रहा है. शिक्षक की ससुराल के अनुमंडल का ऑप्शन नहीं लिया जा रहा है. शिक्षक गृह अनुमंडल से दूर कहीं पोस्टेड हैं तो उस जगह के अनुमंडल का भी ऑप्शन नहीं लिया जा रहा है. इसके अलावा शिक्षक की पत्नी कहीं सरकारी नौकरी में है तो जहां नौकरी में है उस जगह के अनुमंडल को भी ऑप्शन में नहीं लिया जा रहा है.

राज्यकर्मी बनाना नहीं चाहती सरकारः नितेश कुमार ने बताया कि प्रदेश के 38 जिला में कई जिला ऐसे हैं, जहां सिर्फ एक अनुमंडल है. इस पॉलिसी के तहत वह अपने जिला अनुमंडल के अलावा आसपास के अनुमंडल में भी अप्लाई नहीं कर पा रहे हैं. किसी का पड़ोसी अनुमंडल में ससुराल है तो कोई पड़ोसी अनुमंडल में ही पोस्टेड है. उन्होंने कहा कि सरकार के अधिकारियों ने जानबूझकर यह नियम बनाया है ताकि उन्हें नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा नहीं देना पड़े.

सरकार को ज्ञापन देंगेः नितेश कुमार ने बताया कि अधिकारी जानते हैं कि ऐसा नियम होगा तो शिक्षक कोर्ट में जाएंगे और शिक्षकों के स्थानांतरण का मुद्दा लटक जाएगा. नियोजित शिक्षक ऐसी स्थिति में नियोजित शिक्षक की बने रहेंगे. उन्होंने कहा कि सोमवार को सरकार को ज्ञापन देंगे कि इसमें सुधार करें. उसके अगले दो दिनों में इस मामले को लेकर माननीय उच्च न्यायालय का रुख करेंगे जिस पर सभी संगठन तैयारी कर रहे हैं.

नियोजित शिक्षकों ने किया बहिष्कारः टीईटी स्नातक शिक्षक संघ के अध्यक्ष पिंटू कुमार सिंह ने कहा कि प्रदेश के सभी नियमित शिक्षक और सक्षमता उत्तीर्ण नियोजित शिक्षकों ने स्थानांतरण प्रक्रिया का बहिष्कार कर दिया है. लगभग 20 हजार के करीब जानकारी मिल रही है कि शिक्षकों ने आवेदन किया है. यह वह शिक्षक है, जो हाल में बीपीएससी के पहले और दूसरे चरण की परीक्षा से शिक्षक बने हैं. इन शिक्षकों को रैंडमाइजेशन के तहत गृह जिला से कई किलोमीटर दूर के जिला में पोस्टिंग दे दी गई थी.

शिक्षकों में क्यों है नाराजगीः यह शिक्षक अपने नजदीकी जिला में पोस्टिंग चाहते हैं. कई यूपी और झारखंड के शिक्षक हैं जो अपने राज्य के बॉर्डर जिले के नजदीक पोस्टिंग चाहते हैं. यह सभी स्थानांतरण के लिए आवेदन कर रहे हैं लेकिन 1.87 लाख सक्षमता उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक स्थानांतरण का बहिष्कार किए हुए हैं. पिंटू कुमार सिंह ने कहा कि विशिष्ट शिक्षक नियमावली के तहत स्थानांतरण पॉलिसी और एप्लीकेशन पर स्थानांतरण के लिए आवेदन करते समय स्थानांतरण प्रक्रिया में बहुत बड़ा भेद है जिसके कारण शिक्षकों में नाराजगी है.

कोर्ट जाने की तैयारीः पिंटू सिंह कहा कि 2 जुलाई को नियमावली के लिए कमेटी बनाने का गठन किया गया था, उस समय शिक्षा मंत्री ने सदन में कहा था कि हम एक ऐसी स्थानांतरण नीति ला रहे हैं जिसमें अधिकांश यानी 90% शिक्षक लाभान्वित होंगे. लेकिन जब स्थानांतरण की आवेदन प्रक्रिया शुरू हुई तो सभी शिक्षकों में आक्रोश बढ़ गया है. उन्होंने कहा कि आज सभी शिक्षक संगठनों के साथ बैठक हुई है. निर्णय लिया गया है कि इस मामले को लेकर उच्च न्यायालय में लड़ा जाएगा.

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