बैतूल।बीजेपी ने अपनी परंपरागत सीट बैतूल लोकसभा से एक बार फिर मौजूदा सांसद दुर्गादास उइके को मौका दिया है. बैतूल लोकसभा बैतूल, हरदा और खंडवा जिले को मिलाकर बनाई गई है. वहीं कांग्रेस ने अब तक अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है. बैतूल से कांग्रेस किसे अपना प्रत्याशी बनाएगी इस पर सबकी निगाह टिकी हुई है. क्या होंगे 2024 के मुद्दे, क्या बरकरार रह पाएगा बीजेपी का किला या कांग्रेस मार पाएगी बाजी.
तीन जिलों के मतदाता करते हैं सांसद का चुनाव
बैतूल जिले की पांच विधानसभा, हरदा जिले की दो विधानसभा सीट और खंडवा जिले की एक विधानसीट को मिलाकर इस लोकसभा क्षेत्र का निर्माण किया गया है. जिनमें बैतूल जिले की मुलताई, आमला, बैतूल, घोड़ाडोंगरी, भैसदेही, विधान सभा है. साथ ही हरदा जिले की टिमरनी, हरदा और खंडवा जिले की हरसूद विधान सभा शामिल की गई हैं.
करीब 18 लाख मतदाता करेंगे मतदान
बैतूल लोकसभा के लिए अभी मतदाता सूची का फाइनल पुनरीक्षण नहीं हुआ है. लेकिन 2019 के चुनाव में कुल मतदाता 17,37,437 थे. जिनमें पुरुष मतदाता 8,97, 538 और महिला मतदाता 8,39,871 थी. 2019 के चुनाव में बीजेपी के दुर्गादास ऊइके ने कांग्रेस के रामू टेकाम को 3,60,241 के बड़े अंतर से हराया था. इस चुनाव में बीजेपी के दुर्गादास ऊइके को 8,11,238 वोट मिले थे, तो वहीं कांग्रेस के रामू टेकाम को 4,51,007 वोट मिल पाए थे.
बीजेपी का दबदबा, भारतीय लोकदल ने भी मारी थी बाजी
आजादी के बाद से अब तक इस लोकसभा में 16 सांसदों ने प्रतिनिधित्व किया है. जिसमें 1 बार भारतीय लोक दल के उम्मीदवार, 6 बार इन्डियन नेशनल कांग्रेस और 9 बार भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार ने लोक सभा का प्रतिनिधित्व किया है. बीते 8 चुनावों कि अगर बात कि जाय तो यहां पर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार अब तक काबिज हैं. जिसमें से 1996 से 2007 तक लगातार विजय कुमार खंडेलवाल (मुन्नी भैया) सांसद रहे. उनके निधन के बाद 2008 में हुए उपचुनाव में मुन्नी भैया के छोटे बेटे हेमंत खंडेलवाल को भारतीय जनता पार्टी ने चुनावी मैदान में अपना उम्मीदवार बनाकर उतारा और जनता ने भी हेमंत खण्डेलवाल को ही चुना था.
परिसीमन में अनुसूचित जाति के लिए हुई आरक्षित
वर्ष 2009 के चुनाव के समय लोकसभा और विधानसभा का परिसीमन हुआ तो बैतूल, हरदा लोकसभा सीट को अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व कर दिया गया. परिसीमन के बाद 2009 में हुए चुनाव में भारतीय जनता पार्टी कि उम्मीदवार ज्योति धुर्वे को टिकट दिया गया और वो भी चुनाव जीती. 2014 के लोक सभा चुनाव में भी ज्योति धुर्वे ने कांग्रेस के प्रत्याशी अजय शाह को हराकर लोकसभा सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा. 2019 में इस सीट से भाजपा ने शिक्षक दुर्गादास उइके को अपना प्रत्याशी बनाया. दुर्गादास ने कांग्रेस के प्रत्यासी रामू टेकाम को हराकर इस सीट पर भाजपा पार्टी का कब्जा कायम रखा. इस लोकसभा में विधान सभाओं कि बात कि जाय तो चार ऐसी विधानसभा हैं जो आदिवासियों के लिए रिजर्व हैं. एक अनुसूचित जाति के लिए और बाकी तीन विधानसभा सीटे सामान्य लोगों के लिए हैं. वर्तमान में बैतूल की पांचों विधानसभा सीटों पर भाजपा के विधायक चुने गए हैं.