राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

अजमेर उर्स : देशभर से आए कलंदरों ने निभाई 800 साल पुरानी परंपरा, दिखाए हैरतअंगेज कारनामे - AJMER URS 2025

अजमेर उर्स से पहले 800 साल पुरानी परंपरा का पालन करते हुए कलंदर जुलूस के रूप में दरगाह पहुंचे और छड़ी पेश की.

ख्वाजा गरीब नवाज का 813वां उर्स
ख्वाजा गरीब नवाज का 813वां उर्स (ETV Bharat Ajmer)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 1, 2025, 8:03 PM IST

अजमेर : देशभर में विश्वविख्यात सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती के दीवाने हजारों कलंदर बुधवार को अजमेर पहुंचे. यहां ऋषि घाटी स्थित ख्वाजा गरीब नवाज के चिल्ले से कलंदरों का झंडा जुलूस रवाना हुआ. हाथों में छड़ी (झंडा) लेकर कलंदर गंज, देहली गेट और दरगाह बाजार होते हुए निजाम गेट से दरगाह में दाखिल हुए, जहां उन्होंने 800 साल पुरानी परंपरा के तहत ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में छड़ी पेश की. यह परंपरा करीब 800 साल पहले शुरू हुई थी और आज भी जारी है. आइए जानते हैं कि देशभर के 65 सिलसिले से जुड़े कलंदर दरगाह में छड़ी लेकर क्यों आते हैं और यह परंपरा किस तरह से 800 साल से चली आ रही है.

ख्वाजा गरीब नवाज का 813वां उर्स शुरू होने वाला है और देश-विदेश से हजारों भक्त और कलंदर अजमेर दरगाह में हाजिरी लगाने आ रहे हैं. इन कलंदरों का ख्वाजा गरीब नवाज से नाता 800 साल से भी ज्यादा पुराना है. देशभर से कलंदर दिल्ली के महरौली स्थित हजरत बख्तियार काकी की दरगाह पर एकत्र होते हैं, जहां से वे दिल्ली और पानीपत होते हुए अजमेर पहुंचते हैं. बुधवार को छड़ी के जुलूस के लिए हजारों कलंदर अजमेर पहुंचे. ऋषि घाटी स्थित ख्वाजा गरीब नवाज के चिल्ले से जुलूस रवाना हुआ और ढोल-ताशे के साथ गाते-बजाते और नारे लगाते हुए कलंदर आगे बढ़ते हुए गंज पहुंचे, जहां स्थानीय लोगों ने उनका स्वागत किया. छड़ी को थामे कलंदरों की उत्सुकता और भी बढ़ गई थी, क्योंकि प्रत्येक कलंदर की ख्वाहिश थी कि वह इस परंपरा को निभाते हुए ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में छड़ी पेश कर सके. देहली गेट, धान मंडी, दरगाह बाजार और निजाम गेट होते हुए छड़ी का जुलूस दरगाह पहुंचा, जहां परंपरा का पालन करते हुए छड़ी पेश की गई.

देशभर से आए कलंदरों ने निभाई 800 साल पुरानी परंपरा. (ETV Bharat Ajmer)

इसे भी पढ़ें-उर्स 813: इस गेट से होकर ख्वाजा गरीब नवाज की जियारत करने से मिलती है जन्नत, ऐसे बना पश्चिमी गेट जन्नती दरवाजा

हैरतअंगेज कारनामे दिखाते कलंदर:छड़ी के जुलूस में शामिल कलंदरों ने मार्ग में कई हैरतअंगेज कारनामे दिखाए, जिन्हें देख लोग हैरान रह गए. इस दौरान बड़ी संख्या में लोग जुलूस देखने के लिए पहुंचे.कलंदर हाजी सफी मोहम्मद उर्फ मिट्टी अली शाह ने बताया कि ख्वाजा गरीब नवाज के एक प्रिय शिष्य हजरत कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी ने यह परंपरा शुरू की थी. जब ख्वाजा गरीब नवाज का निधन हुआ, तो उनके शिष्य हजरत कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी ने महरौली से छड़ी लेकर अजमेर तक पैदल यात्रा की थी और तब से यह परंपरा शुरू हुई. यह परंपरा अब तक जारी है और कलंदर इसे शिद्दत के साथ निभा रहे हैं.

देशभर के 65 सिलसिले से जुड़े कलंदर:हाजी सफी मोहम्मद ने बताया कि भारत में कुल 65 सिलसिले के कलंदर हैं, जो महरौली पहुंचते हैं और यहां से दिल्ली, पानीपत होते हुए अजमेर आते हैं. वे सभी चांद रात से पहले छड़ी लेकर अजमेर पहुंचते हैं और इस परंपरा का पालन करते हैं. कलंदर हाजी सफी मोहम्मद ने बताया कि बांग्लादेश में हालात खराब हैं, इसलिए इस बार बांग्लादेश से आने वाले कलंदरों को भारत आने की अनुमति नहीं मिली. हालांकि, भारत में कलंदरों के 65 सिलसिले हैं और इनकी संख्या हजारों में है. वे सभी ख्वाजा गरीब नवाज के उर्स से पहले छड़ी पेश करने के लिए अजमेर आए हैं. यह सिलसिला 800 साल से चल रहा है और जब तक जीवन है, यह परंपरा जारी रहेगी.

इसे भी पढ़ें-उर्स की तैयारी: मजार से संदल उतारने की सदियों पुरानी परंपरा, जानिए उर्स से पहले क्यों उतारा जाता है संदल

धर्म से ऊपर इंसानियत की शिक्षा:कलंदर मुद्दसर हुसैन साबरी ने बताया कि 24 दिन की लंबी यात्रा के बाद कलंदर महरौली स्थित हजरत कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की दरगाह से अजमेर ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह तक पहुंचते हैं. इस दौरान वे कौमी एकता का संदेश देते हुए यात्रा करते हैं. कलंदर साईं हैदर अली शाह ने बताया कि जुलूस में विभिन्न धर्मों से जुड़े संत, पीर, फकीर और कलंदर शामिल होते हैं. उनका कहना था कि सभी कलंदर किसी न किसी सिलसिले से जुड़े होते हैं और सिलसिले के सरदार जुलूस के दौरान सभी कलंदरों के खाने-पीने और रहने का इंतजाम करते हैं. उन्होंने कहा कि ख्वाजा गरीब नवाज ने दुनिया को इंसानियत का पाठ पढ़ाया और कलंदर भी उन्हीं की शिक्षा का पालन करते हैं. उनका मानना है कि इंसानियत है तो धर्म है और अगर किसी में इंसानियत नहीं है तो उसमें धर्म भी नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि छड़ी पेश करने के बाद कलंदर देश में अमन-चैन और भाईचारे की दुआ करेंगे.

ABOUT THE AUTHOR

...view details