पटना:आजबाबू जगजीवन रामकी पुण्यतिथि के मौके पर पूरा देश उन्हें याद कर रहा है. बाबू जगजीवन राम को शाहाबाद टू का सांसद बनने का गौरव प्राप्त हुआ. जगजीवन राम आजीवन सांसद रहे और पहले उप प्रधानमंत्री बनने का गौरव हासिल किया. 1966 के भीषण अकाल में स्थिति भयावह हो गई. लोगों को अपने बच्चों और मवेशियों को रिश्तेदारों के यहां भेजना पड़ा. ऐसे हालात पर जगजीवन बाबू द्रवित हो गए. बाबूजी के वजह से शाहाबाद आज धान का कटोरा कहा जाता है.
शाहाबाद टू के पहले सांसद बने जगजीवन राम:देश में ऐसे नेता कम हुए जिन्होंने अपने संसदीय जीवन में चुनाव नहीं हारा. स्वतंत्रता आंदोलन के नायक और शाहाबाद क्षेत्र के प्रखर नेता बाबू जगजीवन राम एक ऐसे नेता के रूप में उभरे जिन्होंने कभी हार का स्वाद नहीं चखा. सासाराम लोकसभा सीट से बाबू जगजीवन राम आठ बार सांसद रहे और सासाराम लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया. 1952 में जब पहला चुनाव हुआ तो शाहाबाद क्षेत्र में दो लोकसभा सीट थे शाहाबाद वन का प्रतिनिधित्व रामशोभक सिंह ने किया तो शाहाबाद टू का प्रतिनिधित्व जगजीवन राम ने किया.
प्रधानमंत्री बनने से चूके: जगजीवन राम का राजनीतिक जीवन 50 साल से ज्यादा का रहा. प्रधानमंत्री पद को छोड़कर वह कैबिनेट के सभी अहम पदों पर रहे. बाबू जगजीवन राम को उप प्रधानमंत्री बनने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ. 1977 और 1979 में वह प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचते पहुंचते रह गए.
जगजीवन राम संविधान सभा के सदस्य भी रहे: 5 अप्रैल 1908 को आरा के चंदवा गांव में जन्मे जगजीवन राम को बाबूजी के नाम से भी जाना जाता है. जगजीवन राम ने स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़ चढ़कर भूमिका निभाई थी. वह संविधान सभा के सदस्य भी थे जिन्होंने संविधान का मसौदा तैयार किया था. 1946 के अंतरिम राष्ट्रीय सरकार में भी उन्हें कार्य करने का गौरव प्राप्त हुआ. जवाहरलाल नेहरू के कैबिनेट में जगजीवन बाबू सबसे कम उम्र के मंत्री थे.
हरित क्रांति का सफलतापूर्वक नेतृत्व: बाबू जगजीवन राम को प्रथम भारतीय मंत्रिमंडल में श्रम मंत्री बनाया गया श्रम मंत्री रहते हुए उन्होंने भारत में कई श्रम कल्याण नीतियों की नींव रखी इंदिरा गांधी की सरकार में उन्होंने श्रम रोजगार और पुनर्वास मंत्री के अलावा केंद्रीय खाद्य और कृषि मंत्री के रूप में काम किया. हरित क्रांति का सफलतापूर्वक नेतृत्व करने के लिए भी जगजीवन राम को याद किया जाता है.
शाहबाद को बनाया धान का कटोरा: सासाराम संसदीय क्षेत्र की जनता आज भी बाबू जगजीवन राम को याद करती है. सासाराम जिले के पत्रकार विनोद तिवारी बताते हैं कि 1967 68 में हमारे इलाके में भीषण अकाल पड़ा और स्थिति इतनी भयावह हो गई कि लोगों को अपने मवेशी और बच्चों को अपने रिश्तेदारों के यहां भेजना पड़ा. भोजन के लिए लोगों के घर में कुछ भी नहीं था. तब बाबू जगजीवन राम द्रवित हो गए और शाहाबाद लोकसभा क्षेत्र में नहरो का जाल बिछा दिया. अगर शाहबाद को धान का कटोरा कहा जाता है तो इसकी पटकथा बाबू जगजीवन राम ने लिखी थी.
इंद्रपुरी डैम का करवाया निर्माण : आपको बता दें कि रोहतास और कैमूर में सिंचाई की समस्या थी. बाबू जगजीवन राम जब कृषि मंत्री थे तब उन्होंने अपने प्रयासों से इंद्रपुरी डैम का निर्माण करवाया. इस डैम के कारण सोन नदी से कई नहर निकल गई और इंद्रपुरी डैम से सासाराम, डेहरी ,रोहतास और औरंगाबाद के कई इलाकों में नहरों का जाल बिछा दिया गया. इसी तरह से दुर्गावती जलाशय परियोजना से कैमूर की खेती किसानी में सिंचाई की समस्या खत्म हुई.