शिमला:दिल्ली से शिमला तक चले लंबे मंथन के बाद आखिरकार कांग्रेस ने राज्यसभा चुनाव के लिए हिमाचल से अपना उम्मीदवार तय कर लिया है. अभिषेक मनु सिंघवी हिमाचल से कांग्रेस के राज्यसभा उम्मीदवार होंगे. बुधवार शाम 7 बजे हिमाचल कांग्रेस विधायक दल की बैठक हुई और आज गुरुवार को अभिषेक मनु सिंघवी ने शिमला में अपना नामांकन दाखिल किया. गौरतलब है कि गुरुवार 15 फरवरी राज्यसभा चुनाव-2024 के लिए नामांकन का आखिरी दिन है.
शिमला पहुंचे अभिषेक मनु सिंघवी
जाने-माने वकील और कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी मौजूदा समय में पश्चिम बंगाल से कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य हैं. पार्टी ने अब उन्हें हिमाचल से राज्यसभा भेजने का फैसला लिया है. अभिषेक मनु सिंघवी भी नाम फाइनल होते ही बुधवार को शिमला पहुंच गए. उन्होंने शिमला पहुंचकर अपने X हैंडल पर तस्वीर शेयर की है. अभिषेक मनु सिंघवी ने लिखा कि वो अब राज्यसभा में हिमाचल प्रदेश का प्रतिनिधित्व करेंगे.
जेपी नड्डा की जगह लेंगे अभिषेक मनु सिंघवी
गौरतलब है कि हिमाचल से राज्यसभा की एक सीट खाली हो रही है. यहां से मौजूदा समय में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा राज्यसभा सदस्य हैं. नड्डा का कार्यकाल अप्रैल 2024 में पूरा हो राह है. मौजूदा आंकड़ों के हिसाब से ये सीट अब कांग्रेस की झोली में जाना तय है. जब से राज्यसभा चुनाव का ऐलान हुआ तब से ही चर्चा थी कि सोनिया गांधी या प्रियंका गांधी हिमाचल से राज्यसभा जा सकते हैं. मंगलवार को पार्टी की तरफ से ऐलान किया गया कि सोनिया गांधी राजस्थान से राज्यसभा जाएंगी. जबकि अभिषेक मनु सिंघवी का नाम तय होने के बाद गांधी परिवार के किसी सदस्य का हिमाचल से राज्यसभा जाने की अटकलों पर विराम लग गया है.
कांग्रेस ने अभिषेक मनु सिंघवी को बनाया उम्मीदवार कौन हैं अभिषेक मनु सिंघवी ?
अभिषेक मनु सिंघवी कांग्रेस के सदस्य हैं और सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील हैं. मौजूदा समय में वो पश्चिम बंगाल से राज्यसभा सदस्य हैं. सुप्रीम कोर्ट समेत देशभर की अदालतों में कांग्रेस नेताओं और कांग्रेस की सरकार से जुड़े मामलों में पैरवी करते हैं. इसके अलावा राजनीतिक मोर्चे पर कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता की हैसियत से पार्टी का पक्ष रखते भी नजर आते हैं. गांधी परिवार से भी उनकी नजदीकी है. अभिषेक मनु सिंघवी देश के सबसे युवा एडिशनल सॉलिसिटर सॉलिसिटर जनरल भी रह चुके हैं. महज 37 साल की उम्र में साल 1997 में उन्हें ये जिम्मेदारी मिली थी.
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