नई दिल्ली: भारत साल 2047 तक विकसित देशों की कतार में पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है. इसी कड़ी में भारत सेमीकंडक्टर (Semiconductor) के निर्माण की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है. जानकारी के मुताबिक भारत सरकार देश के भीतर चिप विनिर्माण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कुल 21 अरब डॉलर के निवेश के प्रस्तावों की समीक्षा कर रही है. इस प्रस्ताव में घरेलू समूह और अंतरराष्ट्रीय जगत के धुरंधरों के विविध उद्यम शामिल हैं. इसी के साथ इजरायल की टावर सेमीकंडक्टर लिमिटेड ने गुजरात में एक सेमीकंडक्टर प्लांट स्थापित करने का इरादा रखती है. जानकारों की माने तो इजरायल (Israel) 9 बिलियन डॉलर का एक बड़ा प्रस्ताव पेश किया है. इसी तरह, भारत के टाटा समूह ने चिप विनिर्माण इकाई के लिए 8 बिलियन डॉलर की योजना पेश की है. पिछले कुछ वर्षों में सेमीकंडक्टर क्षेत्र भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा के एक महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में विकसित हुआ है, जिसमें अमेरिका, जापान और चीन सहित विभिन्न देश अपने घरेलू चिप उद्योगों को मजबूत करने की होड़ में नजर आ रहे हैं. मोदी सरकार भारत को एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा आगे ले जाने को उत्सुक है. केंद्र सरकार ने इसके लिए लोकल धुरंधरों की मदद से अंतरराष्ट्रीय चिप निर्माताओं को आकर्षित करने की दिशा में काम कर रही है.
सेमीकंडक्टर उद्योग में भारत का निवेश
इस प्रयास का उद्देश्य महंगे आयात पर निर्भरता को कम करना और स्मार्टफोन असेंबली जैसे उद्योगों में भारत की पकड़ को मजबूत करना है. चिप निर्माण के लिए भारत की प्रोत्साहन योजना के तहत, सरकार स्वीकृत परियोजनाओं की आधी लागत पर सब्सिडी देने के लिए पूरी तरह से तैयार है. इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए 10 बिलियन डॉलर का शुरुआती आवंटन निर्धारित किया गया है. पिछली असफलताओं, जैसे हाईप्रोफाइल साझेदारियों के पतन, के बावजूद, भारत सेमीकंडक्टर आत्मनिर्भरता की अपनी खोज में दृढ़ बना हुआ है. वहीं Apple और Google जैसे तकनीकी दिग्गजों की मदद से भारत में बड़ा निवेश हुआ है, जिससे भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र के विकास को बढ़ावा मिल रहा है.
भारत ऐसे बनेगा आत्मनिर्भर
Apple Inc भारत में अरबों डॉलर के आईफोन बना रहा है और निर्यात कर रहा है, जबकि अल्फाबेट इंक (Alphabet Inc) का Google इस साल देश में फोन असेंबल करने की भी तैयारी कर रहा है. वहीं, सेमीकंडक्टर फंड ने अमेरिकी मेमोरी निर्माता माइक्रोन टेक्नोलॉजी इंक (Micron Technology Inc.) को गुजरात में 2.75 बिलियन डॉलर की असेंबली और परीक्षण सुविधा स्थापित करने में मदद की. बता दें कि, धोलेरा शहर को एक भावी चिप निर्माण केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है. टावर सेमीकंडक्टर ने एक दशक में अपने प्रस्तावित संयंत्र को बढ़ाकर 80 हजार सिलिकॉन वेफर्स प्रति माह का उत्पादन करने की सोच रही है, जो संभावित रूप से एक प्रमुख कंपनी द्वारा संचालित भारत में पहली विनिर्माण इकाई के रूप में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होने जा रहा है. इसी तरह, टाटा समूह का उद्यम पावर चिप सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कॉर्प के सहयोग से होने की उम्मीद जताई जा रही है. दोनों परियोजनाएं उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोटिव और रक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले परिपक्व चिप के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करती हैं. वहीं, टाटा ग्रुप की नजर पूर्वी भारत में 3 अरब डॉलर के चिप-पैकेजिंग प्लांट की स्थापना पर भी है. ये पहल स्मार्टफोन घटकों और असेंबली में अपने मौजूदा उद्यमों पर निर्माण करते हुए, उच्च तकनीक क्षेत्रों में निवेश में विविधता लाने की टाटा की व्यापक रणनीति के अनुरूप हैं.
सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग की दिशा में उभरता भारत
भारत सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग की दिशा में तेजी से काम कर रहा है तो वहीं एक खुशी की बात यह है कि जापान की रेनेसा इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्प भारत के बढ़ते चिप-पैकेजिंग सेगमेंट में सहयोग के अवसर तलाश रही है. सभी चिप प्रस्तावों पर केंद्रीय कैबिनेट की सहमति की आवश्यकता है, जो अगले कुछ हफ्तों में आ सकती है. इन सब्सिडी के लिए अर्हता प्राप्त करने के लिए, आवेदकों को तकनीकी साझेदारी, वित्तपोषण व्यवस्था के साथ-साथ उनके द्वारा बनाए जाने वाले अर्धचालकों के प्रकार और विनिर्देशों के साथ-साथ उनके लक्षित बाजारों सहित व्यापक विवरण पेश करना होगा. बता दें कि, 20वीं सदी तेल की सदी थी और 21वीं सदी चिप की सदी है, आज चिप का उपयोग कारों, उपकरणों, स्मार्ट फोन, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स, गेमिंग कंसोल और यहां तक कि हथियारों में भी किया जाता है. इनके बिना आधुनिक जीवन संभव नहीं है.
कौन देश होगा चिप का बड़ा बाजार
आज चिप बाज़ार लगभग 570 बिलियन डॉलर का है और दशक के अंत तक इसके 1 ट्रिलियन डॉलर हो जाने का अनुमान है. इसलिए हर देश चिप आपूर्ति व्यवसाय में खुद को शामिल करना चाहता है. विश्व स्तर पर चिप बाजार को तीन प्रमुख क्षेत्रों में विभाजित किया जा सकता है: डिजाइनिंग, विनिर्माण और असेंबलिंग. देखा जाए तो इस समय पूरा विश्व इस प्रक्रिया को गति देने की दिशा में काम कर रही है. वैसे चिप डिजाइनिंग का लीडर अमेरिका है. अमेरिकी कंपनियां वर्तमान में वैश्विक चिप डिजाइन बिक्री का 46 प्रतिशत और चिप डिजाइन सॉफ्टवेयर और लाइसेंस बिक्री का उल्लेखनीय 72 प्रतिशत हिस्सा बनाती है. वैसे अब इन डिज़ाइनों का निर्माण ताइवान, दक्षिण कोरिया, चीन और जापान में भी होने लगा है.