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सोशल स्टॉक एक्सचेंज-सामाजिक विकास के लिए उत्प्रेरक - SOCIAL STOCK EXCHANGE

SSE निवेशकों को सामाजिक विकास के साथ वित्तीय उद्देश्य प्रदान करते हैं. इसको लेकर पढ़ें पेन्नार इंडस्ट्रीज के निदेशक पीवी राव का लेख.

Social Stock Exchange-catalyst for societal development
सोशल स्टॉक एक्सचेंज-सामाजिक विकास के लिए उत्प्रेरक (सांकेतिक तस्वीर Getty Images)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 13, 2025, 2:45 PM IST

नई दिल्ली: चूंकि दुनिया जलवायु परिवर्तन, गरीबी, सामाजिक अन्याय और असमानता जैसी कई चुनौतियों का सामना कर रही है, इसलिए SSE इंवेस्टर्स को सोशल डेवलपमेंट के साथ फाइनेंशियल देश्यों को संरेखित करने का अवसर प्रदान करते हैं. ऐसे में फाइनेंशियस लैंडस्केप में एक क्रांतिकारी बदलाव चल रहा है, जो वित्तीय लाभ के लिए पारंपरिक निवेश परिदृश्य को चुनौती देता है.

इस परिवर्तन को सोशल स्टॉक एक्सचेंज (SSE) व्यर्थ रूप से सुरक्षित रखते हैं, यह मॉनेटरिंग रिटर्न के साथ-साथ सामाजिक और पर्यावरणीय कारणों में निवेश को प्राथमिकता देता है. चूंकि दुनिया जलवायु परिवर्तन, गरीबी, सामाजिक अन्याय और असमानता जैसी कई चुनौतियों का सामना कर रही है, इसलिए SSE निवेशकों को सामाजिक विकास के साथ वित्तीय उद्देश्य प्रदान करते हैं.

परंपरागत रूप से शेयरहोल्डर्स की संपत्ति को अधिकतम करना स्टॉक एक्सचेंजों का प्राथमिक उद्देश्य है, जो वित्तीय पूंजीवाद को दर्शाता है. हालांकि, जैसे-जैसे वैश्विक परिदृश्य बदल रहे हैं, निवेशक अब सामाजिक रूप से जिम्मेदार निवेश के लिए अपनी पूंजी का लाभ उठाना चाहते हैं. SSE वित्तीय रिटर्न और सामाजिक परिणामों के दोहरे लाभ देने के लिए एक मंच प्रदान करते हैं. यहां व्यापार के लिए एक बाजार प्रदान किया जाता है, जहां निवेशक सामाजिक कारणों से काम करने वाली फर्मों का समर्थन करने में सक्षम होते हैं. ये निवेशक अपनी पूंजी को प्रभावी ढंग से और कुशलता से आवंटित करते हैं.

पहला सोशल स्टॉक एक्सचेंज वर्ष 2003 में ब्राजील में शुरू किया गया था. इसके बाद, कई देशों ने इन एसएसई की शुरुआत की, जैसे यूनाइटेड किंगडम, दक्षिण अफ्रीका, कनाडा, सिंगापुर, पुर्तगाल और जमैका. भारत में एसएसई के कॉन्सेप्ट को वित्तीय वर्ष 2019-20 के बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया था. इसमें भारत में एसएसई के तहत पहली यूनिट के रूप में 'एसजीबीएस उन्नति फाउंडेशन' को रजिस्टर करने से लेकर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज एसएसई प्लेटफॉर्म पर 43 संस्थाओं और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज एसएसई प्लेटफॉर्म पर 59 संस्थाओं तक शामिल हैं.

भारत में सेबी ने एसएसई के तहत पंजीकरण के लिए कड़े मानदंड बनाए हैं. इन मानदंडों में गैर-लाभकारी संगठन की अनिवार्य आयु 3 साल, आयकर अधिनियम की धारा 12ए/12एए/12एबी के तहत वैलिड सार्टिफिकेशन, वैध 80जी रजिस्ट्रेशन, वार्षिक खर्च के रूप में न्यूनतम 50 लाख रुपये और पिछले वर्ष में न्यूनतम 10 लाख रुपये का फंड शामिल है. लाभ वाले सामाजिक उद्यम के लिए धन जुटाने के लिए एसएसई के साथ पंजीकरण करना अनिवार्य नहीं है, जब तक कि वह धन जुटाने के लिए पूंजी जारी करने और डिसक्लोजर रिक्वायरमेंट रेगूलेशन और अल्टरेनटिव इंवेस्टमेंट फंड रेगूलेशन के सभी प्रावधानों का अनुपालन नहीं करता है.

किसी यूनिट को सामाजिक उद्यम के रूप में फॉक्स करने के लिए, उसे समाज के कम सुविधा प्राप्त या अविकसित वर्गों और कम प्रदर्शन वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जिसमें शासन संबंधी फैक्टर्स, पर्यावरणीय स्थिरता और सामाजिक कल्याण शामिल हैं. इसके साथ ही, किसी इकाई के पास अपने लक्षित लाभार्थियों से कुल राजस्व/व्यय/ग्राहक आधार के तत्काल पिछले 3-साल के औसत का कम से कम 67 फीसदी राजस्व/व्यय/ग्राहक आधार होना चाहिए. कुछ संस्थाओं को सामाजिक उद्यमों के कॉर्पोरेट फाउंडेशन, राजनीतिक या धार्मिक संगठन या गतिविधियां, पेशेवर या व्यापार संघ, बुनियादी ढांचा और किफायती आवास को छोड़कर हाउसिंग कंपनियों के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता है.

किसी भी घटना के लिए डिस्क्लोजर जरूरी है जो सोशल स्टॉक एक्सचेंज या स्टॉक एक्सचेंज जहां यह पंजीकृत है. उनको आउटपुट या परिणामों की उनकी योजनाबद्ध उपलब्धि को भौतिक रूप से प्रभावित कर सकती है. ऐसी घटनाओं के सात दिनों के भीतर वार्षिक प्रभाव रिपोर्ट (AIR) प्रस्तुत की जानी चाहिए जिसमें इकाई द्वारा उत्पन्न सामाजिक प्रभाव के गुणात्मक और मात्रात्मक पहलुओं को शामिल किया गया हो. इसमें परियोजना या सोल्यूशन से उत्पन्न प्रभाव शामिल हो, जिसके लिए बोर्ड द्वारा निर्दिष्ट प्रारूप में धन जुटाया गया हो, जिसे सामाजिक लेखा परीक्षक को नियुक्त करने वाली सामाजिक लेखा परीक्षा फर्म द्वारा विधिवत लेखा परीक्षित किया गया हो. ऐसी रिपोर्ट वित्तीय वर्ष की समाप्ति से 90 दिनों के भीतर पेश की जानी जरूरी है.

एसएसई वित्त से लेकर विकास तक कई क्षेत्रों को छूकर पूंजी को फ्लो करते हैं, जिसका दुनिया भर में प्रभाव है. एसएसई समावेशी आर्थिक विकास, प्रशिक्षण और रोजगार के अवसर, स्वच्छ ऊर्जा पहल, निष्पक्ष और कुशल व्यापार प्रथाओं को बढ़ावा देना, कौशल विकास, शिक्षा पहल, असमानताओं को कम करना, बेहतर प्रशासन, समुदायों को सशक्त बनाना और सतत विकास की दिशा में मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं.

जैसे-जैसे एसएसई समय के साथ विकसित और विस्तारित होते जा रहे हैं, वे वित्त की एक नई साहसिक सीमा प्रदान करते हैं, जहां निवेशक पर्यावरणीय और सामाजिक जिम्मेदारी के साथ-साथ वित्तीय लाभ प्राप्त करने के लिए प्रेरित होते हैं. एसएसई में पूंजीवाद के युग की संभावना है, जहां उद्देश्य और लाभ इस ग्रह के कल्याण के लिए एक साथ आते हैं.

यह भी पढ़ें- गांवों में खान-पान की आदतों में हो रहा बदलाव, मोटापा-मधुमेह और हृदय रोग बढ़ सकते हैं

नई दिल्ली: चूंकि दुनिया जलवायु परिवर्तन, गरीबी, सामाजिक अन्याय और असमानता जैसी कई चुनौतियों का सामना कर रही है, इसलिए SSE इंवेस्टर्स को सोशल डेवलपमेंट के साथ फाइनेंशियल देश्यों को संरेखित करने का अवसर प्रदान करते हैं. ऐसे में फाइनेंशियस लैंडस्केप में एक क्रांतिकारी बदलाव चल रहा है, जो वित्तीय लाभ के लिए पारंपरिक निवेश परिदृश्य को चुनौती देता है.

इस परिवर्तन को सोशल स्टॉक एक्सचेंज (SSE) व्यर्थ रूप से सुरक्षित रखते हैं, यह मॉनेटरिंग रिटर्न के साथ-साथ सामाजिक और पर्यावरणीय कारणों में निवेश को प्राथमिकता देता है. चूंकि दुनिया जलवायु परिवर्तन, गरीबी, सामाजिक अन्याय और असमानता जैसी कई चुनौतियों का सामना कर रही है, इसलिए SSE निवेशकों को सामाजिक विकास के साथ वित्तीय उद्देश्य प्रदान करते हैं.

परंपरागत रूप से शेयरहोल्डर्स की संपत्ति को अधिकतम करना स्टॉक एक्सचेंजों का प्राथमिक उद्देश्य है, जो वित्तीय पूंजीवाद को दर्शाता है. हालांकि, जैसे-जैसे वैश्विक परिदृश्य बदल रहे हैं, निवेशक अब सामाजिक रूप से जिम्मेदार निवेश के लिए अपनी पूंजी का लाभ उठाना चाहते हैं. SSE वित्तीय रिटर्न और सामाजिक परिणामों के दोहरे लाभ देने के लिए एक मंच प्रदान करते हैं. यहां व्यापार के लिए एक बाजार प्रदान किया जाता है, जहां निवेशक सामाजिक कारणों से काम करने वाली फर्मों का समर्थन करने में सक्षम होते हैं. ये निवेशक अपनी पूंजी को प्रभावी ढंग से और कुशलता से आवंटित करते हैं.

पहला सोशल स्टॉक एक्सचेंज वर्ष 2003 में ब्राजील में शुरू किया गया था. इसके बाद, कई देशों ने इन एसएसई की शुरुआत की, जैसे यूनाइटेड किंगडम, दक्षिण अफ्रीका, कनाडा, सिंगापुर, पुर्तगाल और जमैका. भारत में एसएसई के कॉन्सेप्ट को वित्तीय वर्ष 2019-20 के बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया था. इसमें भारत में एसएसई के तहत पहली यूनिट के रूप में 'एसजीबीएस उन्नति फाउंडेशन' को रजिस्टर करने से लेकर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज एसएसई प्लेटफॉर्म पर 43 संस्थाओं और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज एसएसई प्लेटफॉर्म पर 59 संस्थाओं तक शामिल हैं.

भारत में सेबी ने एसएसई के तहत पंजीकरण के लिए कड़े मानदंड बनाए हैं. इन मानदंडों में गैर-लाभकारी संगठन की अनिवार्य आयु 3 साल, आयकर अधिनियम की धारा 12ए/12एए/12एबी के तहत वैलिड सार्टिफिकेशन, वैध 80जी रजिस्ट्रेशन, वार्षिक खर्च के रूप में न्यूनतम 50 लाख रुपये और पिछले वर्ष में न्यूनतम 10 लाख रुपये का फंड शामिल है. लाभ वाले सामाजिक उद्यम के लिए धन जुटाने के लिए एसएसई के साथ पंजीकरण करना अनिवार्य नहीं है, जब तक कि वह धन जुटाने के लिए पूंजी जारी करने और डिसक्लोजर रिक्वायरमेंट रेगूलेशन और अल्टरेनटिव इंवेस्टमेंट फंड रेगूलेशन के सभी प्रावधानों का अनुपालन नहीं करता है.

किसी यूनिट को सामाजिक उद्यम के रूप में फॉक्स करने के लिए, उसे समाज के कम सुविधा प्राप्त या अविकसित वर्गों और कम प्रदर्शन वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जिसमें शासन संबंधी फैक्टर्स, पर्यावरणीय स्थिरता और सामाजिक कल्याण शामिल हैं. इसके साथ ही, किसी इकाई के पास अपने लक्षित लाभार्थियों से कुल राजस्व/व्यय/ग्राहक आधार के तत्काल पिछले 3-साल के औसत का कम से कम 67 फीसदी राजस्व/व्यय/ग्राहक आधार होना चाहिए. कुछ संस्थाओं को सामाजिक उद्यमों के कॉर्पोरेट फाउंडेशन, राजनीतिक या धार्मिक संगठन या गतिविधियां, पेशेवर या व्यापार संघ, बुनियादी ढांचा और किफायती आवास को छोड़कर हाउसिंग कंपनियों के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता है.

किसी भी घटना के लिए डिस्क्लोजर जरूरी है जो सोशल स्टॉक एक्सचेंज या स्टॉक एक्सचेंज जहां यह पंजीकृत है. उनको आउटपुट या परिणामों की उनकी योजनाबद्ध उपलब्धि को भौतिक रूप से प्रभावित कर सकती है. ऐसी घटनाओं के सात दिनों के भीतर वार्षिक प्रभाव रिपोर्ट (AIR) प्रस्तुत की जानी चाहिए जिसमें इकाई द्वारा उत्पन्न सामाजिक प्रभाव के गुणात्मक और मात्रात्मक पहलुओं को शामिल किया गया हो. इसमें परियोजना या सोल्यूशन से उत्पन्न प्रभाव शामिल हो, जिसके लिए बोर्ड द्वारा निर्दिष्ट प्रारूप में धन जुटाया गया हो, जिसे सामाजिक लेखा परीक्षक को नियुक्त करने वाली सामाजिक लेखा परीक्षा फर्म द्वारा विधिवत लेखा परीक्षित किया गया हो. ऐसी रिपोर्ट वित्तीय वर्ष की समाप्ति से 90 दिनों के भीतर पेश की जानी जरूरी है.

एसएसई वित्त से लेकर विकास तक कई क्षेत्रों को छूकर पूंजी को फ्लो करते हैं, जिसका दुनिया भर में प्रभाव है. एसएसई समावेशी आर्थिक विकास, प्रशिक्षण और रोजगार के अवसर, स्वच्छ ऊर्जा पहल, निष्पक्ष और कुशल व्यापार प्रथाओं को बढ़ावा देना, कौशल विकास, शिक्षा पहल, असमानताओं को कम करना, बेहतर प्रशासन, समुदायों को सशक्त बनाना और सतत विकास की दिशा में मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं.

जैसे-जैसे एसएसई समय के साथ विकसित और विस्तारित होते जा रहे हैं, वे वित्त की एक नई साहसिक सीमा प्रदान करते हैं, जहां निवेशक पर्यावरणीय और सामाजिक जिम्मेदारी के साथ-साथ वित्तीय लाभ प्राप्त करने के लिए प्रेरित होते हैं. एसएसई में पूंजीवाद के युग की संभावना है, जहां उद्देश्य और लाभ इस ग्रह के कल्याण के लिए एक साथ आते हैं.

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