इंदौर :शहर में आयोजित लता अलंकरण समारोह के लिए पहुंचे उत्तम सिंह और पार्श्व गायिका केएस चित्रा ने टैलेंट शो के सवाल पर जवाब देते हुए कहा, '' पुराने जमाने में गुरुकुल में पढ़ने के बाद शिष्य को यही बताया जाता था कि कहां कैसा गाना है या परफॉर्मेंस देना है. लेकिन आज जिस तरह के टैलेंट शो खासकर बच्चों के लिए चलाए जा रहे हैं वे सिर्फ आयोजक कंपनियों द्वारा कमाई करने का जरिया हैं'.' उन्होंने कहा कि टीवी पर आने वाले जितने भी टैलेंट बेस्ड प्रोग्राम हैं उनके पीछे सिर्फ कंपनियों की टीआरपी है और पैसा है, इससे बच्चों का भविष्य खराब हो रहा है.
100 सालों में दूसरी लता मंगेश्कर नहीं मिली
संगीतकार उत्तम सिंह कहा, '' ना सिर्फ बच्चे बल्कि ऐसे शो में मां-बाप भी आने के लिए ज्यादा उत्साहित नजर आते हैं. बीते 25 साल में कितने सिंगर आए और गए लेकिन किसी का कोई पता नहीं चला. सिर्फ श्रेया घोषाल, सोनू निगम, सुनिधि चौहान समेत एक दो लोग और हैं जिन्हें छोड़ दिया जाए तो बाकी किसी सिंगर का किसी को कोई पता नहीं है. यानी 25 साल में देश में पांच सिंगर आए लेकिन बीते 100 सालों में ऐसे प्रोग्राम एक लता मंगेशकर तैयार नहीं कर सका क्योंकि लता मंगेशकर बनने के लिए सालों साल की मेहनत लगन और तपस्या की जरूरत होती है.''
कंपनियां करोड़पति हो जाती हैं, सिंगर्स को काम नहीं मिलता
उन्होंने आगे कहा, '' नौशाद साहब के एक-एक गाने पर खुद लता मंगेशकर 40-40 बार रिहर्सल करती थीं. आज म्यूजिक डायरेक्टर जहां सीखते हैं वहीं वह गाना बना देते हैं और गाना भी जिस समय बना उस समय गा दिया गया, इसी तरह सब कुछ खत्म हो जाता है. जो कंपनियां ऐसे-ऐसे आयोजन करती हैं वे करोड़पति हो जाती हैं लेकिन इन सब चीजों का कोई मतलब नहीं है. जो बच्चे इन कार्यक्रमों में गाते हैं 2 साल बाद जब उन्हें काम नहीं मिलता तो वह डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं.''