पटना: तीन दिनों तक लाखों क्यूसेक पानी छोड़े जाने से कोसी और गंडक नदी में उफान आ गया था. अभी भी निचले इलाके में बाढ़ और कटाव का खतरा बरकरार है. जैसे जैसे ये पानी आगे बढ़ रहा है वहां के हालात भयावह होते जा रहे हैं. सबसे ज्यादा असर बगहा, मोतिहारी और गोपालगंज में देखने को मिल रहा है. यहां कई गांव ऐसे हैं जो टापू में तब्दील हो गए हैं.
पानी हुआ कम लेकिन परेशानी बढ़ी: राहत की बात ये है आज नेपाल से कम पानी छोड़ा जा रहा है. इसलिए कोसी और गंडक बराज पर दबाव भी कम हो गया है. फिर भी 2.5 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है. इतने पानी से निचले इलाके में बाढ़ का खतरा तो नहीं रहेगा लेकिन कटाव का खतरा काफी बढ़ जाएगा.
सीएम नीतीश ने किया बाढ़ इलाके का सर्वे: सीएम नीतीश ने बिहार में बाढ़ के हालात का जायाज लेने के लिए सर्वेक्षण किया. उन्होंने हवाई मार्ग से डूबे इलाकों को देखा फिर वाल्मीकिनगर में गंडक बराज पहुंचकर भी जायजा लिया. गंडक बराज के गेट संख्या 5 का उन्होंने निरीक्षण किया. समीक्षा बैठक भी सीएम नीतीश ने अफसरों के साथ की, अधिकारियों ने उन्हें बताया कि बिहार में बाढ़ की स्थिति नेपाल की बारिश पर निर्भर करती है.
गंडक बराज पर कम हुआ दबाव: बगहा में गंडक बराज से दोपहर तीन बजे तक 2.54 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. वहीं सुपौल में कोसी बराज से 2 लाख क्यूसेक पानी कोसी नदी में छोड़ा जा रहा है. अभी तक नहरों में पानी डायवर्ट नहीं किया जा रहा था. लेकिन ढाई लाख क्यूसेक से कम होने पर अब नहरों में पानी को मोड़ दिया गया है.
सुपौल में कोसी पर कम हुआ दबाव : कोसी नदी के जलस्तर में जिस प्रकार बढ़ोतरी हुई थी ठीक उसी प्रकार रविवार की शाम पाँच बजे के बाद नदी के जलस्तर में कमी होनी शुरू हो गई है. लेकिन नदी का पानी सहरसा और मधेपुरा जिला प्रवेश कर गया है. सोमवार की शाम पांच बजे कोसी नदी का जलस्तर 2,23,650 क्यूसेक घटते क्रम में दर्ज किया गया है.
कोसी बराज के 34 गेट खुले: नदी के 56 में से 34 फटाको को अब भी खोलकर रखा गया है. ताकि जल अधिग्रहण बराह क्षेत्र से जो पानी आ रहा है उसे सुगमता पूर्वक प्रवाहित किया जा सके. बढ़ते जलस्तर के बीच जलप्रवाह के साथ भारी मात्रा में बालू की मात्रा होने से फ्लेसिंग का कार्य जारी है. जिससे नदी के किसी भी नहर में सिंचाई के लिए पानी नहीं छोड़ा गया है.