पटनाःबिहार में लोकसभा की 40 सीटों में से अब अंतिम चरण में 8 सीटों पर 1 जून को वोटिंग होगी. इन 8 में 2 हॉट सीट बन गया है. काराकाट में एनडीए, महागठबंधन, निर्दलीय और AIMIM तो पाटलिपुत्र में एनडीए, महागठबंधन और AIMIM के बीच टक्कर है. ऐसे में यह तो तय है कि असदुद्दीन औवेसी की पार्टी AIMIM किसी न किसी का वोट काटेगी.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ? पाटलिपुत्र मीसा भारती और काराकाट पवन सिंह के कारण पहले से ही चर्चा में है. AIMIM ने दोनों सीटों पर उम्मीदवार उतारा है. जहां काराकाट में प्रियंका चौधरी तो पाटलिपुत्र में राजद के पुराने साथी फारुख रजा को उतारा है. राजद नेता लगातार बयान दे रहे हैं कि बीजेपी और संघ के इसारे पर ओवैसी बिहार में काम कर रहे हैं. राजनीतिक विशेषज्ञ मान रहे हैं कि ओवैसी ने ट्रंप कार्ड खेला है, क्योंकि उनके उम्मीदवार जीतने वाले नहीं हैं. ये लोग सिर्फ वोट काटने का काम करेंगे.
क्या महागठबंधन की परेशानी बढ़ेगी? राजनीतिक विशेषज्ञ प्रिय रंजन भारती का कहना है कि असदुद्दीन ओवैसी बिहार ही नहीं उत्तर प्रदेश और दूसरे राज्यों में भी अपने उम्मीदवार मुस्लिम पॉकेट में देती रही है. हालांकि इस बार बिहार में स्ट्रेटजी बदला है. 8 सीटों में चार मुस्लिम और चार हिंदू को टिकट दिया है. काराकाट में अति पिछड़ा वर्ग से आने वाली प्रियंका चौधरी हैं तो पाटलिपुत्र में मुस्लिम समाज से आने वाले फारुख रजा हैं. दोनों पढ़े लिखे हैं और दोनों की अपने-अपने क्षेत्र में पकड़ है. इसी कारण महागठबंधन के लिए परेशानी थोड़ी बढ़ी हुई है.
"दोनों जगह AIMIM के उम्मीदवार चुनाव जीतने के लिए नहीं बल्कि हराने के लिए खड़े हुए हैं. एक तरह से कहा जा सकता है AIMIM अपनी ताकत दिखाने की कोशिश कर रहा है जिसका लाभ विधानसभा चुनाव में उसे मिले, लेकिन AIMIM के उम्मीदवार से फिलहाल एनडीए के उम्मीदवार को लाभ मिलना तय है."-प्रिय रंजन भारती, राजनीतिक विशेषज्ञ
यादव और कुशवाहा का इलाका है काराकाटः यादव और कुशवाहा बहुल क्षेत्र काराकाट में इस बार 18 लाख 72 हजार से अधिक मतदाता हैं. सवर्ण व मुस्लिम वोटर की यहां अच्छी संख्या है. अति पिछड़ा में मल्लाह का वोट काफी है. दलित-महादलित वोटर भी निर्णायक भूमिका में हैं. इस सीट से कुशवाहा, यादव व राजपूत जाति के वोटर ही राजनीति साधते रहे हैं. यहां सबसे अधिक करीब 3 लाख यादव, 2.5 लाख मुस्लिम, कोइरी-कुर्मी मिलाकर ढाई लाख, राजपूत दो लाख, निषाद के 1.5 लाख, 75 हजार ब्राह्मण और 50 हजार भूमिहार हैं.
काराकाट में ओवैसी का दांव: ओवैसी की पार्टी AIMIM ने अल्पसंख्यक पर भरोसा न जताकर अति पिछड़ी जाति की महिला जिला पार्षद प्रियंका चौधरी पर दांव खेला है. 2021 में प्रियंका और उनकी सास दोनों ने चुनाव लड़ा था. प्रियंका ने जिला परिषद और उनकी सास रामदुलारी देवी ने मुखिया का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. प्रियंका नासरीगंज पश्चिम की जिला पार्षद है. निषाद समाज से आने वाली प्रियंका के अपने फॉलोवर हैं. काराकाट में निषाद मतों की संख्या करीब 1.5 लाख है. ओवैसी के आने के बाद प्रियंका चौधरी को मुस्लिम वोटर कितने पसंद करते हैं यही चुनावी फैक्टर है.
पाटलिपुत्र राजद को लग सकता है झटका: पाटलिपुत्र में लालू प्रसाद यादव की बेटी मीसा भारती के चुनाव लड़ने से यह सीट चर्चा में है. AIMIM ने यहां से राजद के पुराने साथी फारुख रजा को उम्मीदवार बनाया है. कई वर्षों से राजद से जुड़े व गद्दावर नेता व पूर्व प्रदेश महासचिव फारुख रजा उर्फ डब्लू मुस्लिम बहुल फुलवारी शरीफ में रहते हैं. ऐसे में पाटलिपुत्र में भी ओवैसी की पार्टी मुस्लिम वोट पर डोरे डालने में लगी है. फारुख रजा इंजीनियर भी है और पिछले चुनाव में मीसा भारती के लिए काम भी कर चुके हैं. ऐसे में मीसा भारती और राजद को एक तरह से बड़ा झटका दिया है.
फारूक रजा का प्लान RJD: पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर कुल 18 लाख से भी ज्यादा वोटर्स हैं. इस सीट के अंतर्गत पटना जिले के ग्रामीण क्षेत्र खासकर पश्चिमी इलाके आते हैं. पाटलिपुत्र में यादव, भूमिहार, मुस्लिम, कोइरी, कुर्मी जाति, महादलित, अति पिछड़ा की अच्छी खासी जनसंख्या है. पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र के अंदर छह विधानसभा सीटें हैं जिसमें मनेर, दानापुर, मसौढी, बिक्रम, पालीगंज और फुलवारी सरीफ शामिल है. फुलवारी मुस्लिम आबादी बहुल है. ऐसे में फारूक रजा राजद को नुकसान पहुंचा सकते हैं.