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CAG रिपोर्ट में बड़ा खुलासा, वनीकरण का बजट लगाया ठिकाने, खरीदे आईफोन, फ्रिज और कूलर - CAG REPORT

कैग ने अपनी रिपोर्ट में बड़ा खुलासा किया है और बताया है कि कैसे वन विभाग ने कैंपा का बजट ठिकाने लगाया है.

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वन विभाग (ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 22, 2025, 10:47 PM IST

Updated : Feb 22, 2025, 10:59 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में प्रतिपूर्ति वनीकरण का बजट नियम विरुद्ध ठिकाने लगाया जाता रहा और वन विभाग को सालों साल तक इसकी कोई भनक भी नहीं लगी. ये मानना तो मुश्किल है, लेकिन फिलहाल वन विभाग के अफसर कुछ ऐसा ही एहसास करवा रहे हैं. वनीकरण और जागरूकता के बजट से आईफोन, कूलर, फ्रिज और अफसरों के भवन को संवारने का काम किया गया. खास बात यह है कि कई सालों बाद कैग की रिपोर्ट में जब इसका खुलासा हुआ तो विभागीय अधिकारी ने मामले में जांच के आदेश दिए हैं.

प्रतिपूरक वनरोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (CAMPA) के अंतर्गत प्रतिपूर्ति वनीकरण का बजट वनों के संवर्धन के लिए खास माना जाता है. इसके लिए करोड़ों के बजट का प्रावधान भी किया गया है, लेकिन नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की ऑडिट रिपोर्ट में जो खुलासे हुए हैं, उसने इस बजट की मंशा पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं.

मामले में प्रतिक्रिया देते वन मंत्री सुबोध उनियाल (Video-ETV Bharat)

किसी दूसरी योजना में ट्रांसफर नहीं किया जा सकता पैसा:दरअसल, योजना में फंड वन संरक्षण और वनीकरण के अलावा जन जागरूकता के लिए प्रावधानित था, लेकिन इसका खर्चा ऐसे कार्यों में किया गया, जो पूरी तरह से नियम के विरुद्ध था. योजना के तहत कुल 56.97 लाख रुपए जापान इंटरनेशनल कॉरपोरेशन एजेंसी (जायका) परियोजना को कर भुगतान के लिए ट्रांसफर कर दिए गए, जबकि योजना के पैसे को किसी भी दूसरी परियोजना में ट्रांसफर नहीं किया जा सकता था.

जानिए कहां खर्च किया बजट:इस मामले में राज्य सरकार की तरफ से करीब 20 लाख की रकम वापस कैंपा योजना भेजे जाने की बात कही गई, बाकी पैसा भी जल्द वापस होने की जानकारी दी गई है. इसी तरह अल्मोड़ा DFO कार्यालय ने बिना अनुमति के ही सौर फेंसिंग के लिए 13.51 लाख रुपए आवंटित कर दिए. राज्य सरकार ने इस पर जवाब दिया कि कर्मचारी और अधिकारियों की सुरक्षा और संपत्ति की सुरक्षा के लिए मानव वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए सोलर फेंसिंग की स्वीकृति दी गई थी, लेकिन CAG ने इस तर्क को गलत माना.

उत्तराखंड के तराई ईस्ट डिवीजन में कैंपा के फंड से फर्नीचर, आईफोन , कूलर, फ्रिज, कंप्यूटर, स्ट्रीट लाइट और कुर्सियां खरीद ली गई. इसके अलावा एक करोड़ की कुल रकम से भवन की भी मरम्मत की गई, जबकि यह पैसा इन कार्यों के लिए न होकर वनीकरण और जन जागरूकता के लिए था.

लैंसडाउन वन प्रभाग में 59 लाख रुपए दिए गए, जिससे फॉरेस्ट गेस्ट हाउस की साफ सफाई करवाई गई और फॉरेस्ट रोड के अलावा पतला रास्ता बनाया गया. इसी तरह नैनीताल और पुरोला के टोंस में भी वनीकरण के कार्यों की जगह भवनों के सौंदर्यीकरण का काम कराया गया. इसके लिए कल इन दोनों ही जगह मिलकर 50 लाख रुपए खर्च कर दिए गए.

कैंपा के बजट का दुरुपयोग करने में अधिकारियों ने भी पूरा साथ निभाया. जन जागरूकता अभियान के लिए दिए गए 6.5 लाख रुपयों को मुख्य वन संरक्षक सतर्कता और कानूनी प्रकोष्ठ के कार्यालय बनाने में खर्च कर दिए गए. कैग की रिपोर्ट सामने आने के बाद वन मंत्री सुबोध उनियाल ने मामले में जांच के आदेश दे दिए हैं और प्रमुख वन संरक्षक हॉफ को जल्द से जल्द कैग की रिपोर्ट में दिए गए बिंदु के आधार पर जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा है.

उत्तराखंड कैग की रिपोर्ट में कैंपा के बजट को लेकर नियम वृद्धि खर्चो की यह स्थिति कोई नई-नहीं है. इससे पहले भी साल 2012 में इसी तरह प्रतिपूरक वनीकरण के बजट को गलत मद में खर्च करने की बात सामने आई थी. बड़ी बात यह भी है कि वन विभाग के स्तर पर इस योजना के तहत मिलने वाले बजट को नियम विरुद्ध खर्च करने के बावजूद कभी किसी अधिकारी पर बड़ी कार्रवाई नहीं की गई.

इस मामले मेंवन मंत्री सुबोध उनियालने कहा कि

ये साल 2019 से 2022 के बीच का मामला है. जैसे ही ये मामले उनके संज्ञान में आया है, उन्होंने तत्काल इस मामले की जांच के लिए प्रमुख सचिव वन को आदेश दे दिए है.

क्या है कैंपा योजना:वन संरक्षण अधिनियम 1980 के मुताबिक जब भी कोई वन भूमि प्रत्यावर्तित की जाती है. नियमों के तहत जितनी वन भूमि प्रत्यावर्तित होती है, उसके बदले उतनी ही गैर वन भूमि दी जाती है. कैंपा फंड की स्थापना साल 2006 में क्षतिपूरक वनीकरण के प्रबंधन के लिए की गई थी. भारत सरकार ने क्षतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण अधिनियम पारित किया था. अधिनियम का मुख्य उद्देश्य वन क्षेत्रों में होने वाली कमी के बदले प्राप्त राशि का संधारण (किसी चीज या काम की देख-रेख करते हुए उसे बनाए रखना) और उसका वनीकरण में दोबारा निवेश करना होता है. केंद्र से स्वीकृति मिलने के बाद योजनाओं में कार्य होता है. उत्तराखंड में वन विभाग के अंतर्गत कई महत्वपूर्ण कार्यों को इससे जोड़ा गया है.

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Last Updated : Feb 22, 2025, 10:59 PM IST

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