देहरादून: उत्तराखंड में प्रतिपूर्ति वनीकरण का बजट नियम विरुद्ध ठिकाने लगाया जाता रहा और वन विभाग को सालों साल तक इसकी कोई भनक भी नहीं लगी. ये मानना तो मुश्किल है, लेकिन फिलहाल वन विभाग के अफसर कुछ ऐसा ही एहसास करवा रहे हैं. वनीकरण और जागरूकता के बजट से आईफोन, कूलर, फ्रिज और अफसरों के भवन को संवारने का काम किया गया. खास बात यह है कि कई सालों बाद कैग की रिपोर्ट में जब इसका खुलासा हुआ तो विभागीय अधिकारी ने मामले में जांच के आदेश दिए हैं.
प्रतिपूरक वनरोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (CAMPA) के अंतर्गत प्रतिपूर्ति वनीकरण का बजट वनों के संवर्धन के लिए खास माना जाता है. इसके लिए करोड़ों के बजट का प्रावधान भी किया गया है, लेकिन नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की ऑडिट रिपोर्ट में जो खुलासे हुए हैं, उसने इस बजट की मंशा पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं.
किसी दूसरी योजना में ट्रांसफर नहीं किया जा सकता पैसा:दरअसल, योजना में फंड वन संरक्षण और वनीकरण के अलावा जन जागरूकता के लिए प्रावधानित था, लेकिन इसका खर्चा ऐसे कार्यों में किया गया, जो पूरी तरह से नियम के विरुद्ध था. योजना के तहत कुल 56.97 लाख रुपए जापान इंटरनेशनल कॉरपोरेशन एजेंसी (जायका) परियोजना को कर भुगतान के लिए ट्रांसफर कर दिए गए, जबकि योजना के पैसे को किसी भी दूसरी परियोजना में ट्रांसफर नहीं किया जा सकता था.
जानिए कहां खर्च किया बजट:इस मामले में राज्य सरकार की तरफ से करीब 20 लाख की रकम वापस कैंपा योजना भेजे जाने की बात कही गई, बाकी पैसा भी जल्द वापस होने की जानकारी दी गई है. इसी तरह अल्मोड़ा DFO कार्यालय ने बिना अनुमति के ही सौर फेंसिंग के लिए 13.51 लाख रुपए आवंटित कर दिए. राज्य सरकार ने इस पर जवाब दिया कि कर्मचारी और अधिकारियों की सुरक्षा और संपत्ति की सुरक्षा के लिए मानव वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए सोलर फेंसिंग की स्वीकृति दी गई थी, लेकिन CAG ने इस तर्क को गलत माना.
उत्तराखंड के तराई ईस्ट डिवीजन में कैंपा के फंड से फर्नीचर, आईफोन , कूलर, फ्रिज, कंप्यूटर, स्ट्रीट लाइट और कुर्सियां खरीद ली गई. इसके अलावा एक करोड़ की कुल रकम से भवन की भी मरम्मत की गई, जबकि यह पैसा इन कार्यों के लिए न होकर वनीकरण और जन जागरूकता के लिए था.
लैंसडाउन वन प्रभाग में 59 लाख रुपए दिए गए, जिससे फॉरेस्ट गेस्ट हाउस की साफ सफाई करवाई गई और फॉरेस्ट रोड के अलावा पतला रास्ता बनाया गया. इसी तरह नैनीताल और पुरोला के टोंस में भी वनीकरण के कार्यों की जगह भवनों के सौंदर्यीकरण का काम कराया गया. इसके लिए कल इन दोनों ही जगह मिलकर 50 लाख रुपए खर्च कर दिए गए.