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नशे से दूरी, पेड़ जरूरी, 45 साल से कुमाऊंनी गीत गाकर पर्यावरण बचा रहा ये उत्तराखंडी लोकगायक - KUMAUNI FOLK SINGER LACHCHIRAM

72 साल के लच्छीराम युवाओं से अपील करते हैं कि नशे से दूर रहें और पेड़ों से प्यार करें.

KUMAUNI FOLK SINGER LACHCHIRAM
पर्यटकों में बने आकर्षण का केंद्र (SOURCE: ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 22, 2025, 1:14 PM IST

Updated : Feb 22, 2025, 4:23 PM IST

रामनगर: देवभूमि उत्तराखंड चारों ओर से हरा भरा है. प्रकृति ने इस प्रदेश को खूबसूरत वादियों से नवाजा और यहां के वाशिंदों ने इसे बचाए रखने के लिए कभी पेड़ लगाए तो कभी पेड़ बचाओ के लिए आंदोलन किए. इन दिनों रामनगर में पर्यावरण बचाने के अनोखे संदेश देते सुनाई पड़ते हैं लच्छी राम और उनका पूरा ग्रुप. जिन्होंने लोकगीतों और लोकनृत्य के जरिए पर्यावरण को बचाने का बीड़ा उठाया हुआ है.

हम आपको मिलवाने जा रहे हैं उत्तराखंड के उस शख्स से, जो अपने जीवन के 45 साल पर्यावरण संरक्षण को समर्पित कर चुके हैं. 72 वर्षीय लच्छीराम और उनकी टीम लोगों को पर्यावरण संरक्षण का सुंदर संदेश देने के साथ ही लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं.

45 साल से कुमाऊंनी गीत गाकर पर्यावरण बचा रहे लच्छीराम (SOURCE: ETV BHARAT)

जिम कॉर्बेट पार्क में गाए लोकगीत, पर्यटकों को भाया कुमाऊंनी गाना: लच्छीराम और उनकी टीम ने नैनीताल जिले के रामनगर स्थित कॉर्बेट पार्क में अनोखे अंदाज में पर्यावरण बचाने का संदेश दिया. कॉर्बेट पार्क के बिजरानी पर्यटन जोन में सफारी के लिए जा रहे पर्यटकों, स्थानीय ग्रामीणों, नेचर गाइडों और जिप्सी चालकों को उन्होंने कुमाऊंनी सांस्कृतिक नाटक के ज़रिए 'पेड़ लगाओ, वन बचाओ' का संदेश दिया.

KUMAUNI FOLK SINGER LACHCHIRAM
45 साल से कुमाऊंनी गीत गाकर पर्यावरण बचा रहे लच्छीराम (SOURCE: ETV BHARAT)

1980 से लोगों को कर रहे जागरूक: वहीं लच्छी राम ने बातचीत में बताय कि "हम 1980 से लोगों को जागरूक कर रहे हैं. जंगल और पर्यावरण हमारी धरोहर हैं, इनकी रक्षा करना हम सबकी जिम्मेदारी है. कोई भी जंगल में आग न जलाए, कूड़ा न फेंके और ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए".

स्थानीय ग्रामीणों ने खूब सराहा: वहीं लच्छीराम और उनकी टीम के इस प्रयास को पर्यटकों और स्थानीय ग्रामीणों ने खूब सराहा. उन्होंने भी वन संरक्षण में सहयोग देने का वादा किया. उन्होंने कहा कि 'यह बहुत अच्छी पहल है, हमें समझ में आया कि पर्यावरण की रक्षा करना कितना ज़रूरी है. लच्छीराम जी का यह प्रयास सराहनीय है'.

लच्छी राम और उनकी टीम प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में पर्यावरण संरक्षण का संदेश फैला रहे हैं, उत्तराखंड सांस्कृतिक विभाग के सहयोग से वे स्थानीय समुदायों को पेड़ लगाने और प्रकृति की रक्षा करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. लच्छी राम का कहना है कि बढ़ते प्रदूषण और वनों की कटाई के कारण पर्यावरण संकट गहराता जा रहा है, जिसे रोकने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी है. उनकी यह पहल लोगों में जागरूकता बढ़ा रही है और हरित भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रही है.

ये भी पढ़ें- फॉरेस्ट फायर पर 'ब्रेक' लगाएगा शीतलाखेत मॉडल! वन विभाग ने की प्लानिंग, अफसरों को दी बड़ी जिम्मेदारी

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रामनगर: देवभूमि उत्तराखंड चारों ओर से हरा भरा है. प्रकृति ने इस प्रदेश को खूबसूरत वादियों से नवाजा और यहां के वाशिंदों ने इसे बचाए रखने के लिए कभी पेड़ लगाए तो कभी पेड़ बचाओ के लिए आंदोलन किए. इन दिनों रामनगर में पर्यावरण बचाने के अनोखे संदेश देते सुनाई पड़ते हैं लच्छी राम और उनका पूरा ग्रुप. जिन्होंने लोकगीतों और लोकनृत्य के जरिए पर्यावरण को बचाने का बीड़ा उठाया हुआ है.

हम आपको मिलवाने जा रहे हैं उत्तराखंड के उस शख्स से, जो अपने जीवन के 45 साल पर्यावरण संरक्षण को समर्पित कर चुके हैं. 72 वर्षीय लच्छीराम और उनकी टीम लोगों को पर्यावरण संरक्षण का सुंदर संदेश देने के साथ ही लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं.

45 साल से कुमाऊंनी गीत गाकर पर्यावरण बचा रहे लच्छीराम (SOURCE: ETV BHARAT)

जिम कॉर्बेट पार्क में गाए लोकगीत, पर्यटकों को भाया कुमाऊंनी गाना: लच्छीराम और उनकी टीम ने नैनीताल जिले के रामनगर स्थित कॉर्बेट पार्क में अनोखे अंदाज में पर्यावरण बचाने का संदेश दिया. कॉर्बेट पार्क के बिजरानी पर्यटन जोन में सफारी के लिए जा रहे पर्यटकों, स्थानीय ग्रामीणों, नेचर गाइडों और जिप्सी चालकों को उन्होंने कुमाऊंनी सांस्कृतिक नाटक के ज़रिए 'पेड़ लगाओ, वन बचाओ' का संदेश दिया.

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45 साल से कुमाऊंनी गीत गाकर पर्यावरण बचा रहे लच्छीराम (SOURCE: ETV BHARAT)

1980 से लोगों को कर रहे जागरूक: वहीं लच्छी राम ने बातचीत में बताय कि "हम 1980 से लोगों को जागरूक कर रहे हैं. जंगल और पर्यावरण हमारी धरोहर हैं, इनकी रक्षा करना हम सबकी जिम्मेदारी है. कोई भी जंगल में आग न जलाए, कूड़ा न फेंके और ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए".

स्थानीय ग्रामीणों ने खूब सराहा: वहीं लच्छीराम और उनकी टीम के इस प्रयास को पर्यटकों और स्थानीय ग्रामीणों ने खूब सराहा. उन्होंने भी वन संरक्षण में सहयोग देने का वादा किया. उन्होंने कहा कि 'यह बहुत अच्छी पहल है, हमें समझ में आया कि पर्यावरण की रक्षा करना कितना ज़रूरी है. लच्छीराम जी का यह प्रयास सराहनीय है'.

लच्छी राम और उनकी टीम प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में पर्यावरण संरक्षण का संदेश फैला रहे हैं, उत्तराखंड सांस्कृतिक विभाग के सहयोग से वे स्थानीय समुदायों को पेड़ लगाने और प्रकृति की रक्षा करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. लच्छी राम का कहना है कि बढ़ते प्रदूषण और वनों की कटाई के कारण पर्यावरण संकट गहराता जा रहा है, जिसे रोकने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी है. उनकी यह पहल लोगों में जागरूकता बढ़ा रही है और हरित भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रही है.

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Last Updated : Feb 22, 2025, 4:23 PM IST
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