देहरादून, धीरज सजवाण: हिंसा और दंगों के हालातों के बीच भी मणिपुर के खिलाड़ियों ने 38वें राष्ट्रीय खेलों में खुद को साबित किया है. राष्ट्रीय खेलों की अंक तालिका में मणिपुर लगातार तीन दिन तक सबसे ऊपर रहा. खिलाड़ियों का शानदार प्रदर्शन मणिपुर को कहीं से भी टॉप की लड़ाई से बाहर नहीं होने दे रहा है. अपनी मेहनत और तमाम तरह के संघर्षों से जूझते हुए मणिपुर के खिलाड़ी नेशनल गेम्स में कमाल कर मेडल जीत रहे हैं. मेडल जीतने के बाद ईटीवी भारत की टीम ने मणिपुर के खिलाड़ियों से बात की. इस बातचीत में जीत के बाद भी मणिपुर हिंसा का दर्द छलका. इन खिलाड़ियों से ईटीवी भारत से अपने अपने हिस्से के दुख साझा किए.
अब तक टॉप फाइव में मणिपुर: लगातार हिंसा आगजनी और अस्थिरता के बावजूद भी मणिपुर की धरती खिलाड़ियों की पौध तैयार कर रही है. उत्तराखंड में चल रहे 38वें राष्ट्रीय खेलों इसका एक बड़ा उदाहरण है. 28 जनवरी से उत्तराखंड में शुरू हुए 38वें राष्ट्रीय खेलों में मणिपुर ने पहले तीन दिन तक पूरे देश के खिलाड़ियों को दांतों ताली उंगली दबाने के लिए मजबूर कर दिया. 29 से 31 जनवरी तक हुए वूशु प्रतियोगिता में मणिपुर ने 7 गोल्ड, 8 सिल्वर और 2 ब्रॉन्ज मेडल के साथ कुल 17 मेडल प्राप्त करके टॉप में जगह बनाई. ताजा स्टेट्स के अनुसार, मणिपुर ने वेटलिफ्टिंग में 2 गोल्ड और 2 ब्रॉन्ज मेडल लाए हैं. ट्रायथलॉन में 2 गोल्ड और 1 सिल्वर के साथ मणिपुर ने अब तक कुछ 25 मेडल लाकर 38वें राष्ट्रीय गेम्स में अभी भी टॉप 5 के अंदर जगह बनाई हुई है.
मणिपुर के DNA में खेल, बचपन से मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग: ईटीवी भारत ने मणिपुर के अर्जुन अवॉर्डी ओशो टीम के कोच मयंगलंबम विमोलजीत सिंह से बातचीत की. मयंगलंबम विमोलजीत सिंह ने भारत की ओर से पहली दफा 2006 एशियन गेम्स दोहा कतर में वुशु स्पर्धा को इंट्रोड्यूस करवाया था. वो इस वक्त मणिपुर वुशु टीम के कोच हैं.
मणिपुर में बचपन से ही बच्चों को खेल के प्रति जागरूक किया जाता है. खास तौर पर मार्शल आर्ट से जुड़े सभी खेलों में बच्चों को बढ़ावा दिया जाता है. उन्होंने बताया मणिपुर में मार्शल आर्ट और वुशु एक ट्रेडिशनल के तौर पर देखा जाता है. इसके अलावा सभी कांटेक्ट स्पोर्ट एक तरह से मणिपुर के डीएनए में है.
- मयंगलंबम विमोलजीत सिंह, कोच, मणिपुर वुशु टीम -
इसके अलावा मणिपुर ओलंपिक संघ के जॉइंट सेक्रेटरी Ningthoukhongjam Ibungochoubi Singh से भी हमने खास बातचीत की. उन्होंने बताया-
38वें राष्ट्रीय खेलों में मणिपुर के खिलाड़ियों की सफलता के लिए पूरी तरह से क्रेडिट मणिपुर के खिलाड़ियों और उनके सपोर्ट स्टाफ उनके कोच को जाता है. जिस तरह से मणिपुर में हालत हैं निश्चित तौर से इन हालातों से खिलाड़ियों का संघर्ष और अधिक बढ़ जाता है. इसके बावजूद भी खिलाड़ी जितनी विपरीत परिस्थिति होती है उतना अच्छा प्रदर्शन कर पूरे देश और तमाम सरकारों को लगातार अपनी स्पिरिट और अपनी क्षमता का लोहा मनवा रहे हैं.
हिंसा ने छीना एक खिलाड़ी, रेड जोन के खिलाड़ियों को किया विस्थापित: मणिपुर वुशु टीम के कोच Maibam Premkumar Singh ने बात करते हुए हिंसा वाले दिनों को याद किया. उन्होंने बताया-
साल 2003 से लेकर अब तक मणिपुर में हालात बेहद खराब हैं. पिछले 1 साल में मणिपुर में हुई हिंसा के बाद से मणिपुर के खेल और खिलाड़ियों ने भी बहुत कुछ गंवाया है. हाल ही में एक हिंसा के दौरान उनके एक खिलाड़ी की मौत हुई है. इसके अलावा उनके कई खिलाड़ी हिंसा की वजह से घायल हुए हैं. इसके बावजूद भी उन्होंने खेल और खेल के जज्बे में किसी तरह की कोई कमी नहीं आई है.
इसी टीम के एक खिलाड़ी ने बताया उनके तीन वुशु खिलाड़ी अत्यधिक हिंसा वाले क्षेत्र में रहते हैं. उन पर हिंसा का असर न पड़े इसके लिए उन्होंने रेड जोन में पड़ने वाले इन तीनों खिलाड़ियों को उनके गांव से लाकर इंफाल में अपने खर्चे पर वुशु ट्रेनिंग सेंटर के पास रखा. इन खिलाड़ियों में से एक खिलाड़ी ने भी इस नेशनल गेम्स में सिल्वर मेडल जीता है.
मणिपुरी खिलाड़ियों की नेशनल गेम्स के मंच से अपील: मणिपुर से आने वाले तमाम खिलाड़ियों, कोच, सपोर्ट स्टाफ और मणिपुर ओलंपिक संघ ने मणिपुर की सरकार और देश की केंद्र सरकार से 38वें राष्ट्रीय खेलों के इस मंच से खास अपील की है. इन सभी एक स्वर में मणिपुर में हालात सही करने की मांग की है. हिंसा, आगजनी, अस्थिरता के साथ ही संघर्ष की घटनाओं को रोकने के लिए भी सभी ने अवाज उठाई.
मणिपुरी खिलाड़ियों ने कहा ये घटनाएं खेल और खिलाड़ियों के करियर और उनके हुनर को बढ़ने से रोकती हैं. मणिपुर के खिलाड़ियों का कहना है-
वह इस विषम परिस्थितियों के बावजूद भी देश का और प्रदेश का नाम रोशन कर रहे हैं. अगर हालात सही होते हैं तो निश्चित तौर से मणिपुर के खिलाड़ियों में इतनी क्षमता है कि आने वाले 2036 के ओलंपिक हो या फिर किसी भी तरह के राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएं हो मणिपुर के खिलाड़ी देश और प्रदेश का नाम रोशन करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.
कुकी समाज का खेल में योगदान शून्य, मैतई, मुस्लिम और नागा लेते हैं भाग: वहीं, इसके अलावा ईटीवी भारत ने 38वें राष्ट्रीय खेलों में भाग लेने आए तमाम खिलाड़ी और वहां के सपोर्ट स्टाफ से यह भी जानने की कोशिश की है कि मणिपुर में कुकी और मैतई कम्युनिटी के बीच में लगातार बढ़ रहे संघर्ष के बावजूद भी खेलों में किन कम्युनिटी के लोग प्रतिभाग कर रहे हैं. कोच मयंगलंबम विमोलजीत सिंह ने बताया मणिपुर में केवल मैतई समाज के लोग ही खेलों में प्रतिभाग करते हैं. मणिपुर के कोच ने बताया मणिपुर में मैतई, मुस्लिम, और नागा कम्युनिटी खिलाड़ी ही प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हैं. उन्होंने बताया है वो हमेशा अहिंसा, समाधान पर भरोसा रखते हैं.