हैदराबाद: आजकल पूरी दुनिया में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस या एआई टेक्नोलॉजी की चर्चा हो रही है. एआई टेक्नोलॉजी का जन्म कुछ साल पहले ही हुआ है और तब से लेकर अभी तक इस टेक्नोलॉजी की रेस में अमेरिका सबसे आगे दौड़ रहा था, लेकिन अब उसे टक्कर देने के लिए चीन भी काफी तेजी से आगे आ गया है. अमेरिकन एआई चैटबॉट्स, Open AI का ChatGPT, Google का Gemini AI और Microsoft का Copilot आदि ने पूरी दुनिया में तहलका मचा रखा था. अब चीन की एक एआई स्टार्टअप कंपनी DeepSeek के एआई चैटबॉट DeepSeek R1 ने अमेरिकन एआई कंपनियों और यहां तक की पूरे अमेरिका को एक गहरी चिंता में डाल दिया है.
अब हालात ऐसे हो गए हैं कि अमेरिकी संसद के नेताओं ने डीपसीक को बैन करने की प्लानिंग कर ली है. AP की खबर के मुताबिक, अमेरिकी सदन में दोनों पार्टियों के नेता एक कानून का प्रस्ताव रख रहे हैं, जिससे चीनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ऐप DeepSeek को सरकारी उपकरणों पर बैन किया जा सके, ठीक वैसे ही जैसे पॉपुलर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म TikTok के लिए नीति लागू है.
अमेरिकी संसद के कुछ सीनेटर चीन के इस एआई चैटबॉट को सरकारी डिवाइस से बैन करने के लिए एक नए बिल को पेश करने की तैयारी कर रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, रिप्रजेंटेटिव्स जोश गोटहेमर और डेरिन लाहुड ने गुरुवार को “नो दीपसीक ऑन गवर्नमेंट डिवाइसेस एक्ट” पेश किया, जिससे फ़ेडरल कर्मचारियों को सरकारी इलेक्ट्रॉनिक्स पर चीनी एआई ऐप का उपयोग करने से प्रतिबंधित किया जाएगा.
DeepSeek को बैन करने का कारण भी वही है, जो टिकटॉक को बैन करने का था. यह ऐप अमेरिकियों का डेटा चीनी सरकार को भेजता है. हॉली ने डीपसीक एआई ऐप के सुरक्षा, गोपनीयता और नैतिकता पर सवाल खड़े किए हैं. गोटहेमर ने एक बयान में कहा, “चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि वह हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा को कमजोर करने, हानिकारक गलत जानकारी फैलाने, और अमेरिकियों का डेटा इकट्ठा करने के लिए किसी भी उपकरण का उपयोग करेगी। हम सीसीपी को हमारे सरकारी अधिकारियों के उपकरणों में घुसपैठ करने और हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने का जोखिम नहीं उठा सकते.”
कई देशों ने किया बैन
बहरहाल, अगर यह कानून बनता है तो डीपसीक को बैन करने वाला अमेरिका दुनिया का पहला देश नहीं होगा. अमेरिका के पहले इटली, ताइवान और ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों ने चीन के इस एआई चैटबॉट को बैन कर दिया है. वहीं, भारत की बात करें तो केंद्रीय इलेक्ट्रोनिक्स एंड इंफोर्मेशन टेक्नोलॉजी मिनिस्टर, अश्विणी वैष्णव ने भी प्राइवेसी खतरे की बात करते हुए कहा है कि डीपसीक के एआई मॉडल को भारतीय सर्वर पर होस्ट किया जाएगा.
दरअसल, अमेरिका और चीन के बीच में काफी लंबे समय से ट्रेड वॉर चल रही है. इसी की वजह से अमेरिका ने अपने देश में बने एआई चीप्स को चीन एक्सपोर्ट करने से मना कर दिया था. चीन ने अमेरिका के इस एक्शन का जवाब देते हुए खुद का एआई चैटबॉट बनाया, जो वो सारे काम कर सकता है, जोकि अमेरिकी एआई मॉडल्स करते हैं. इतना ही नहीं, चीन ने अपने एआई चैटबॉट को बनाने के लिए अमेरिकी चैटबॉट चैटजीपीटी की तुलना में कई गुना कम पैसे खर्च किए.
ये भी पढ़ें: