हैदराबादः तेलंगाना में गुलियन बैरी सिंड्रोम (GBS) से पहली मौत होने की सूचना है. सिद्दीपेट की 25 वर्षीय विवाहित महिला की अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई. इस बीमारी की पहचान सबसे पहले महाराष्ट्र में हुई थी. महाराष्ट्र के पुणे में जीबीएस के कारण कुछ लोगों की मौत हुई थी. कई लोग अस्पतालों में इस बीमारी का इलाज करा रहे हैं. डॉक्टरों ने बताया कि तेलंगाना राज्य में इस बीमारी से यह पहली मौत है.
कैसे हुई मौतः परिजनों के अनुसार, सिद्दीपेट जिले के सिद्दीपेट ग्रामीण क्षेत्र में एक महिला के पांच साल से कम उम्र के दो बेटे हैं. हाल ही में उसकी बेटी पैदा हुई है. बेटी के जन्म के एक महीने बाद उसे न्यूरोलॉजिकल दर्द (तंत्रिका तंत्र से जुड़ी समस्याओं के कारण होने वाला दर्द ) हुआ. परिजनों ने सिद्दीपेट और निम्स तथा हैदराबाद के निजी अस्पतालों में इलाज कराया. लाखों रुपए खर्च हुए. अस्पताल में इलाज के दौरान आखिरकार उसकी जान चली गई.
क्या है जीबीएसः जीबीएस (गुलियन बैरी सिंड्रोम) एक न्यूरोलॉजिकल बीमारी है. गुलियन बेयर सिंड्रोम शरीर में तंत्रिका पर बुरी तरह से प्रभाव डालती है. शरीर के संक्रमण के प्रति उत्तरदायी है. जीबीएस से संक्रमित लोगों को पूरे शरीर में सुन्नपन महसूस होता है. शुरुआती अवस्था में गंभीर बुखार और उल्टी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. इसके अलावा, गुलियन बेयर सिंड्रोम के लक्षणों में पेट में दर्द, अचानक सुस्ती और मांसपेशियों का कमजोर होना शामिल है.
क्यों होती है यह बीमारीः प्रसिद्ध स्वास्थ्य विशेषज्ञ और इंटरनेशनल फेडरेशन फॉर इमरजेंसी मेडिसिन में क्लिनिकल प्रैक्टिस कमेटी के अध्यक्ष डॉ. तामोरिश कोले के अनुसार इस बीमारी के फैलने का अभी तक कोई सटीक कारण स्पष्ट नहीं है. ऐसा कहा जाता है कि यह अक्सर कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी, साइटोमेगालोवायरस (CMV), एपस्टीन-बार वायरस (EBV), इन्फ्लूएंजा और SARS-CoV-2 (COVID-19) जैसे संक्रमणों से शुरू होता है. अन्य ट्रिगर्स में वैक्सीनेशन (शायद ही कभी), हाल ही में हुई सर्जरी, शॉक और ऑटोइम्यून डिजीज शामिल हैं. जीबीएस आमतौर पर तेजी से बिगड़ती मांसपेशियों की कमजोरी के रूप में प्रकट होता है.
क्या बरतें सावधानीः डॉ. कोले के अनुसार, व्यक्तियों को गिलियन-बैरे सिंड्रोम के संक्रमण से बचने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए. डॉ. कोले ने कहा कि इसमें हाइजीन का पालन करना सबसे जरूरी. जैसे बार-बार हाथ धोना, कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी जैसे जीवाणु संक्रमण को रोकने के लिए स्वच्छ भोजन और पानी का सेवन करना और जब सिफारिश की जाए तो फ्लू और अन्य वायरस के खिलाफ टीका लगवाना शामिल है.
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