शिमला: छह कांग्रेस विधायकों की क्रॉस वोटिंग के कारण राज्यसभा सीट में पराजय का स्वाद चखने के बाद सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार सतर्क हो गई. हाई प्रोफाइल सियासी ड्रामे के बीच अभी सरकार पर संकट के बाद छंटे नहीं हैं. ऐसे में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू और उनकी टीम अपनी सरकार के रास्ते को आसान बनाने के लिए जुट गए हैं. इस कड़ी में शनिवार को सरकार ने एक और कैबिनेट रैंक का तोहफा दिया है. कांग्रेस के बड़े राजपूत नेता रहे स्व. सुजान सिंह पठानिया के बेटे और फतेहपुर से विधायक भवानी सिंह पठानिया को राज्य योजना बोर्ड का डिप्टी चेयरमैन बनाया है. उन्हें कैबिनेट रैंक दिया गया है.
इससे पहले शुक्रवार को रामपुर के विधायक नंदलाल को भी सातवें राज्य वित्त आयोग का अध्यक्ष बनाया गया था. वहीं, राज्य सरकार ने शनिवार को ही 11 एडिशनल एडवोकेट जनरल और 5 डिप्टी एडवोकेट जनरल बनाए हैं. अभी आने वाले समय में और नियुक्तियां भी संभावित हैं. उल्लेखनीय है कि हिमाचल में संगठन के लोगों को एडजस्ट करने के साथ-साथ चुने हुए प्रतिनिधियों को भी निगम-बोर्ड में नियुक्तियों का इंतजार रहा. वैसे तो सीएम ने एक साल तक कैबिनेट विस्तार को टाले रखा. बाद में दो मंत्री बनाए भी तो एक पद और खाली रखे रखा.
पीसीसी चीफ प्रतिभा सिंह बार-बार कहती रही कि संगठन को एडजस्ट करना होगा, नहीं तो असंतोष बढ़ता जाएगा. जो चुने हुए विधायक पद का इंतजार कर रहे थे, उनमें बड़सर के विधायक इंद्र दत्त लखनपाल, ठियोग से विधायक और पूर्व पीसीसी चीफ कुलदीप राठौर, भवानी पठानिया आदि शामिल थे. सुधीर शर्मा, राजेंद्र राणा कैबिनेट मंत्री का पद देख रहे थे. निरंतर अनदेखी से असंतोष बढ़ता गया और परिणाम राज्यसभा सीट के लिए चुनाव में आया.