कुल्लू/लाहौल स्पीति: किशोरावस्था में दोस्ती, फिर दशकों बाद प्रधानमंत्री बनने पर हुई मुलाकात. इस दौरान दोस्त की दिल की पीड़ा जान एक प्रधानमंत्री ने मदद का ऐसा 'अटल वचन' दिया, जो आज देश-दुनिया के लिए दोस्ती की मिसाल बन गयी है. यह कोई फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि यह कहानी है पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और हिमाचल के टशी दावा की दोस्ती की. जिसकी मिसाल आज पूरी दुनिया दे रही है. ऐसे में आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी के 100वीं जयंती पर हम आपको अटल टनल की नींव रखने और हिमाचल को दुनिया के मानचित्र पर लाने वाले इस अनोखी दोस्ती की कहानी सुनाते हैं, जो किसी मिसाल से कम नहीं.
अटल बिहारी का हिमाचल से रहा अटूट प्रेम
प्रधानमंत्री बनने से पहले भी अटल बिहारी वाजपेयी हिमाचल आते रहे. इस दौरान पर्यटन नगरी मनाली उनका पसंदीदा जगह बन गया. भारत के पूर्व प्रधानमंत्री एवं भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का हिमाचल प्रेम किसी से छुपा हुआ नहीं था. लाहौल और लेह की दूरी को कम करने के लिए भी भारत के इतिहास में पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी का नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित हो गया है. अटल टनल रोहतांग ने जहां लाहौल और लेह की दूरी कम की. वहीं, इस टनल को दोस्ती की मिसाल भी कहा जाता है. लाहौल घाटी के रहने वाले टशी दावा के आग्रह पर तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी ने इस अटल टनल के निर्माण कार्य को प्रगति दी और आज देश दुनिया के सैलानियों के लिए भी अटल टनल रोहतांग आकर्षण का केंद्र बनी गयी है.
![हिमाचल दौरे पर पहुंचें थे अटल बिहारी वाजपेयी](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/24-12-2024/hp-kul-tunnel-img-7204051_23122024145051_2312f_1734945651_593.jpg)
नागपुर में हुई थी अटल और टशी की दोस्ती
अटल टनल रोहतांग के निर्माण में हर नेता और पार्टी ने अपनी भूमिका निभाई है. लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी और टशी दावा की दोस्ती इस दिशा में अहम कड़ी बनी. वर्ष 1942 में आरएसएस के तृतीय वर्ष कोर्स में नागपुर में दोनों की दोस्ती परवान चढ़ी. ऐसे में जब अटल देश के प्रधानमंत्री बने. तब संघ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी चमन लाल ने सालों बाद दोनों की मुलाकात करवाई. जिसके साथ ही टनल निर्माण को लेकर बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ. सुरंग निर्माण की मांग को लेकर टशी दावा उर्फ अर्जुन गोपाल अपने दो मित्रों छेरिंग दोरजे और अभय चंद राणा ने कई बार दिल्ली जाकर वाजपेयी से मुलाकात की. टशी दावा के निमंत्रण पर ही वाजपेयी 2 जून 2000 को केलांग पहुंचे. यहां पर वाजपेयी ने रोहतांग सुरंग निर्माण की विधिवत घोषणा की.
![दशकों बाद अटल बिहारी वाजपेयी से टशी दावा ने की थी मुलाकात](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/24-12-2024/hp-kul-tunnel-img-7204051_23122024145051_2312f_1734945651_734.jpg)
सालों बाद दोस्त को देखा तो प्रधानमंत्री ने गले से लगाया
टशी दावा लाहौल के ठोलंग गांव के रहने वाले थे. उनके मन में लाहौल घाटी की कठिन जिंदगी और जटिल भौगोलिक परिस्थिति को लेकर पीड़ा थी. क्योंकि बर्फबारी के दौरान लाहौल घाटी छह महीने तक शेष दुनिया से संपर्क टूट जाता था और वहां रहने वाले लोगों की जिंदगी बहुत दुश्वार हो जाती थी. खासकर बीमार लोगों को स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पाती थी. टशी की सोच थी कि अगर लाहौल घाटी को मनाली से सुरंग के जरिए जोड़ दिया जाए तो ये सारी समस्याएं दूर हो सकती थीं. इसी विचार को लेकर टशी दावा अपने दोस्त और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मिलने के लिए वर्ष 1998 में दिल्ली पहुंचे थे. हालांकि, सालों बाद टशी जब तत्कालीन पीएम वाजपेयी से मिले तो अटल जी उन्हें पहचान नहीं पाए. लेकिन जैसी ही टशी दावा ने अपना परिचय दिया तो वाजपेयी ने कुर्सी से उठकर उन्हें गले लगा लिया.
![टशी दावा ने अटल जी से रखी थी टनल की मांग](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/24-12-2024/hp-kul-tunnel-img-7204051_23122024145051_2312f_1734945651_184.jpg)
![दोस्त के निमंत्रण पर केलांग पहुंचे थे तत्कालीन प्रधानमंत्री वाजपेयी](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/24-12-2024/hp-kul-tunnel-img-7204051_23122024145051_2312f_1734945651_924.jpg)
मंच पर दोस्त के सामने अटल जी ने की टनल की घोषणा
दिल्ली में टशी और वाजपेयी की मुलाकात हुई, वाजपेयी जी ने अपने दोस्त टशी से आने का कारण पूछा. इस दौरान टशी ने लाहौल की भौगोलिक परिस्थितियों को लेकर अपना दुख सुनाया और टनल की मांग रखी. जिस पर वाजपेयी ने दावा की मांग पर हामी भरी. बता दें कि टशी दावा ने लाहौल-स्पीति एवं पांगी जनजातीय कल्याण समिति का गठन किया था. इस समिति ने तीन साल तक पीएम अटल बिहारी वाजपेयी से रोहतांग टनल बनाने को लेकर पत्राचार किया. 3 जून, 2000 को जब वाजपेयी हिमाचल दौरे पर लाहौल के मुख्यालय केलांग पहुंचे तो उन्होंने अपने मित्र टशी दावा की उपस्थिति में जनसभा को संबोधित किया और मंच से ही सुरंग निर्माण का ऐलान कर दिया था. भले ही रोहतांग टनल निर्माण की सुगबुगाहट दशकों पूर्व से चल रही थी, लेकिन पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने मित्र टशी दावा के कहने के बाद घोषणा की और 2002 में मनाली के बाहंग से वाजपेयी ने पलचान से साउथ पोर्टल सड़क मार्ग का शिलान्यास किया.
![केलांग में दोस्त के सामने अटल जी ने की थी सुरंग बनाने की घोषणा](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/24-12-2024/hp-kul-tunnel-img-7204051_23122024145051_2312f_1734945651_1034.jpg)
टशी दावा के बेटे रामदेव कपूर ने कहा, "दो दोस्तों की याद के रूप में आज भी लाहौल घाटी के लोग इस टनल को दोस्ती की निशानी मानते हैं. मेरे पिता टशी दावा ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मनाली से लाहौल स्पीति को जोड़ने के लिए टनल की मांग की थी, जिसे अटल जी ने पूरा किया और उन्होंने अपने कार्यकाल में ही अटल टनल की नींव रखी. जिसकी वजह से आज मनाली-लाहौल के बीच सालों भर कनेक्टिविटी बनी रहती है".
रोहतांग दर्रे के नीचे सुरंग बनाने का लिया गया फैसला
पर्यटन नगरी मनाली के रोहतांग दर्रे के नीचे सामरिक महत्व की सुरंग बनाए जाने का फैसला 2 जून 2000 को लिया गया था. यह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान तय हुआ था. अटल सुरंग के दक्षिणी भाग को जोड़ने वाली सड़क की आधारशिला 26 मई 2002 को रखी गई थी. स्व पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने साल 2003 में रोहतांग टनल का शिलान्यास किया था. अटल सुरंग के दोनों छोर पर सड़क निर्माण 15 अक्टूबर 2017 को पूरा हुआ था.
अटल टनल नाम रखने का रखा गया था प्रस्ताव
हिमाचल प्रदेश सरकार के मंत्रिमंडल की बैठक में 20 अगस्त 2018 को रोहतांग टनल का नाम पूर्व प्रधानमंत्री के नाम पर रखने का प्रस्ताव किया गया था. बाद में इसे केंद्र सरकार की मंजूरी के लिए भेजा गया था. वर्ष 2000 में टनल परियोजना की अनुमानित लागत 1500 करोड़ रुपये आंकी गई थी और 2007 में स्नोवी माउंटेन इंजीनियरिंग कारपोरेशन को निर्माण का ठेका दिया गया. घोषणाओं के बावजूद 2009 तक कार्य में कोई प्रगति नहीं हुई. फिर एफकॉन व स्ट्रॉबेग को काम सौंपा गया. उसी साल कैबिनेट ऑन सिक्योरिटी ने रोहतांग टनल निर्माण को हरी झंडी दी. 28 जून 2010 को सोनिया गांधी के टनल शिलान्यास के बाद खुदाई का काम शुरू हुआ.
काम में देरी से 3200 करोड़ हुई टनल की लागत
अटल टनल के निर्माण की लागत 1500 करोड़ रुपये थी. लेकिन काम में देरी होने और विकट परिस्थितियों ने इसकी लागत 3200 करोड़ रुपए कर दी. दुनिया में सबसे ऊंचाई पर बनी सबसे लंबी अटल टनल रोहतांग ने करीब 160 साल का लंबा सफर तय किया है. अंग्रेजी हुकूमत के दौरान साल 1860 में सबसे पहले मोरोवियन मिशनरीज ने रोहतांग दर्रा के नीचे सुरंग बनाने की कल्पना की थी. हालांकि, उनकी यह कल्पना महज कल्पना ही बनकर रह गई. लेकिन अंग्रेजों की इस सोच ने भविष्य में इस ऐतिहासिक टनल की नींव रखने में अहम किरदार निभाया.
ग्रामीण प्रेम आजाद और किशन लाल ने कहा, अटल टनल निर्माण में स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की भूमिका भी काफी अहम रही है. ऐसे में इस टनल के माध्यम से आज लाहौल घाटी पूरा साल कुल्लू से जुड़ी रहती है और यहां पर पर्यटन कारोबार भी टनल के माध्यम से काफी बढ़ा है. जिससे लोगों की आर्थिक की भी अब काफी मजबूत हुई है".
अटल टनल इंजीनियरिंग की अद्भुत मिसाल
अटल बिहारी वाजपेयी और टशी दावा की दोस्ती की मिसाल ये सुरंग इंजीनियरिंग का अद्भुत नमूना है. इसके निर्माण में साढ़े चौदह हजार मीट्रिक टन स्टील का उपयोग हुआ है. वहीं, इस टनल को बनाने में करीब ढाई लाख मीट्रिक टन सीमेंट का प्रयोग किया गया है. इस टनल के निर्माण में देश के कुशलतम इंजीनियर जुड़े थे. डेढ़ सौ इंजीनियर्स और एक हजार से अधिक श्रमिकों ने अटल और टशी के सपनों को साकार किया.
![अटल टनल](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/24-12-2024/hp-kul-tunnel-img-7204051_23122024145051_2312f_1734945651_510.jpg)
अटल टनल की खासियत
अटल टनल की खासियत पर्यटन नगरी मनाली की तरफ से सुरंग तक पहुंचने के लिए स्नो गैलरी है और साल भर मनाली को कनेक्टिविटी मिलती हैं. इस सुरंग के भीतर इमरजेंसी एग्जिट का निर्माण भी किया गया है और हर 150 मीटर पर टेलीफोन, हर 60 मीटर पर फायर हाइड्रेंट लगाए गए हैं. अटल टनल में हर 500 मीटर पर इमरजेंसी एग्जिट बनाए गए हैं और सुरंग के अंदर वापस मुड़ने के लिए हर 2.2 किमी के बाद टर्निंग है. टनल में हर 250 मीटर पर सीसीटीवी और हर एक किमी पर एयर क्वालिटी निगरानी सिस्टम है और सुरंग के भीतर अधिकतम 60 किमी प्रति घंटे की रफ्तार रखी गई है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया लोकार्पण
हालांकि, अटल टनल के लोकार्पण के समय दोनों दोस्त मौजूद नहीं रहे. लेकिन उनकी दोस्ती का यह तोहफा हमेशा देश को दोनों की याद दिलाएगा. रोहतांग टनल बनने से जहां भारतीय सेना की ताकत भी कई गुणा बढ़ गई है. वहीं, अब साल भर चीन और पाकिस्तान सीमा तक रसद पहुंचने में अब कोई बाधा नहीं रही. अब सैलानियों के लिए भी अटल टनल आकर्षण का नया केंद्र है. यहां आने वाले सैलानियों की संख्या में हर साल बढ़ोतरी होते जा रही है. 3 अक्टूबर 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका लोकार्पण किया था. ये दुनिया में सबसे ऊंची जगह पर बनी हाईवे टनल है. इसके निर्माण में 3200 करोड़ रुपए की लागत आई है.
![सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र बना अटल टनल](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/24-12-2024/hp-kul-tunnel-img-7204051_23122024145051_2312f_1734945651_541.jpg)
पूर्व मंत्री डॉ रामलाल मारकंडे ने कहा, "अटल टनल बनने से लाहौल घाटी की सूरत ही बदल गई है और इसमें स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. अटल बिहारी वाजपेयी मनाली के साथ-साथ लाहौल के मुख्यालय केलांग भी आए थे और यहां पर उन्होंने अटल टनल बनाने की घोषणा की थी. ऐसे में अपने दोस्त टशी दावा के साथ दोस्ती निभाते हुए. उन्होंने इसके लिए बजट का प्रावधान किया था और आज अटल टनल के माध्यम से देश दुनिया के सैलानी लाहौल घाटी का रुख कर रहे हैं".
ये भी पढ़ें: अटल टनल से रेस्क्यू किए 1 हजार से ज्यादा टूरिस्ट व्हीकल, बर्फबारी के कारण लाहौल घाटी में फंसी थी गाड़ियां
ये भी पढ़ें: मनाली और लाहौल में बर्फबारी के बाद खिले पर्यटकों के चेहरे, प्रशासन हुआ अलर्ट