हैदराबाद: जापानी वाहन निर्माता कंपनी Suzuki Motor Corp. के पूर्व चेयरमैन ओसामु सुजुकी का 94 साल की उम्र में 25 दिसंबर, 2024 को निधन हो गया. उनके निधन की पुष्टि वाहन निर्माता कंपनी ने की है. कंपनी ने बताया कि ओसामु लिम्फोमा (कैंसर का एक प्रकार) से ग्रसित थे. कंपनी का कहना है कि वे भारत में प्रमुख परिचालन वाली वैश्विक दिग्गज कंपनी के लिए एक मजबूत विरासत छोड़ गए है.
आपको बता दें कि ओसामु सुजुकी को ही भारतीय बाजार में Suzuki के प्रवेश का श्रेय दिया जाता है, जो अब कंपनी की वैश्विक बिक्री में सबसे बड़े हिस्से का योगदान देता है. उनका असली नाम ओसामु मात्सुदा था, जिसके बाद उन्होंने सुजुकी परिवार में विवाह किया और अपनी पत्नी का उपनाम अपना लिया. ओसामु एक बैंक कर्मचारी थे.
1958 में वे सुजुकी में शामिल हुए, जिसके बाद 1978 में वे कंपनी के अध्यक्ष बने और इससे पहले कई जिम्मेदारियां संभाली. उन्हीं के नेतृत्व में, Suzuki Motor ने साल 1979 में जापान में Alto मिनीकार लॉन्च की, जिसने तेजी से सफलता प्राप्त की. इस कार ने कंपनी के लिए एक नए युग की शुरुआत की और जापान में घरेलू मिनीकार बाजार को पुनर्जीवित किया.
Suzuki की भारतीय बाजार में एंट्री
वैसे तो ओसामु सुजुकी का मास्टरस्ट्रोक भारतीय बाजार में प्रवेश करने के तौर पर सामने आता है, लेकिन पूर्व राष्ट्रपति को एक लेख मिला, जिसमें भारत सरकार द्वारा एक ऑटोमेकर पार्टनर की तलाश के बारे में जानकारी दी गई थी. साल 1982 में आयोजित एक बैठक में सुजुकी के भारत में एंट्री मारने का रास्ता खुला, जिसमें जापानी ऑटो दिग्गज ने सरकारी स्वामित्व वाली कार निर्माता कंपनी Maruti Udyog में 26 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल की.
इसी साझेदारी के बाद आज Maruti Suzuki भारतीय ऑटोमोटिव उद्योग का पर्याय बन गई है. यह विरासत दिसंबर 1983 से शुरू हुई, जब साझेदारी के बाद पहले उत्पाद के तौर पर Maruti 800 हैचबैक को लॉन्च किया गया. हैरानी की बात यह थी कि इस शुरुआती मारुति कार के लिए कई सालों तक वेटिंग पीरियड बना रहा. और अब कार निर्माता कंपनी ने अकेले 2024 में दो मिलियन कारों का उत्पादन किया है.
भारत में एंट्री करने के बाद ही ओसामु सुजुकी ने एक जबरदस्त फॉर्मूले को अपना लिया और अन्य वाहन निर्माता कंपनियों द्वारा नजरअंदाज किए गए छोटे कार बाजार पर ध्यान केंद्रित किया. इसके बाद ओसामु सुजुकी ने अगले कुछ वर्षों में पाकिस्तान और हंगरी के बाजारों में भी एंट्री मारी.
दशकों में कई अन्य पार्टनरशिप
भारत में Maruti के साथ साझेदारी के अलावा ओसामु सुजुकी ने अपने कार्यकाल के दौरान दो और प्रमुख साझेदारियां कीं. पहली पार्टनरशिप साल 1981 में General Motors के साथ हुई, जिससे जापानी वाहन निर्माता को उत्तरी अमेरिकी और यूरोपीय बाज़ारों तक पहुंच बढ़ाने में मदद मिली.
इसके बाद General Motors ने साल 2001 तक सुजुकी मोटर का 20 प्रतिशत हिस्सा हासिल कर लिया. हालांकि, GM ने लगातार घाटे के बाद अपनी हिस्सेदारी बेचनी शुरू कर दी, और अंततः दिवालियापन घोषित करने से एक साल पहले 2008 में हिस्सेदारी पूरी तरह से बेच दी.
ओसामु सुजुकी ने साल 2010 में जर्मन ऑटो दिग्गज Volkwagen के साथ 19.9 प्रतिशत की हिस्सेदारी हासिल करने के साथ दूसरी पार्टनरशिप की संभावना तलाशी. हालांकि, यह गठबंधन अल्पकालिक रहा, क्योंकि VW ने Suzuki Motor को 'सहयोगी' बताया, जबकि सुजुकी ने कहा कि Volkswagen ने Fiat से इंजन खरीदकर उसके सम्मान और साझेदारी का अपमान किया.
इसके बाद जापानी कार निर्माता ने 3.8 बिलियन डॉलर मूल्य के अपने शेयर वापस खरीद लिए और Suzuki और VW दोनों ने साल 2015 में इस साझेदारी को समाप्त कर दिया. ओसामु सुजुकी ने तीसरी साझेदारी की ओर कदम बढ़ाया. इस बार कंपनी ने टोयोटा के साथ हाथ मिलाया, जिससे उभरते बाजारों के लिए कंपनी की छोटी कार लाइनअप तक पहुंच बनाई जा सके, जबकि कार निर्माता की बड़ी कारों तक पहुंच प्राप्त हुई.