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एक दिन के नवजात को मिला नया जीवन, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट ने की सफल हार्ट सर्जरी - FORTIS HEART INSTITUTE SET EXAMPLE

फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट ने ट्रांसपोज़िशन ऑफ द ग्रेट आर्टरीज़ से पीड़ित नवजात की जटिल हार्ट सर्जरी कर दिया जीवन दान

फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट में एक दिन के नवजात की जटिल हार्ट सर्जरी
फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट में एक दिन के नवजात की जटिल हार्ट सर्जरी (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jan 29, 2025, 9:54 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी के एक निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने ट्रांसपोज़िशन ऑफ द ग्रेट आर्टरीज़ से पीड़ित, मात्र एक दिन के नवजात का जीवन बचाने के लिए एक जटिल और चुनौतीपूर्ण सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है. डॉक्टरों ने बताया कि यह नवजात कन्या शिशु एक ऐसे दुर्लभ जन्मजात हृदय दोष से ग्रस्त थी जिससे उसकी जान को खतरा था. इसमें हृदय से निकलने वाली प्रमुख धमनियों के स्थान की अदला-बदली हो जाती है. इसके अलावा शिशु के हृदय में भी छेद था.

फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट ओखला में पिडियाट्रिक कार्डियोलॉजी विभाग के डायरेक्टर डॉ. नीरज अवस्थी के नेतृत्व में डॉक्टरों की कुशल टीम ने बेहद जोखिमपूर्ण स्विच ऑपरेशन (दुर्लभ किस्म की ओपन-हार्ट सर्जरी जिसके जरिए एओर्टा और पल्मोनरी धमनियों के हृदय के गलत वेंट्रिकल्स में मौजूद होने की वजह से उत्पन्न दोष को सुधारा जाता है) को सफलतापूर्वक संपन्न कर इस नवजात का जीवन बचाया.

3 घंटे तक चली नवजात की जटिल सर्जरी : यह जटिल सर्जरी लगभग 3 घंटे तक चली और मरीज को सर्जरी के 16 दिनों के बाद स्थिर अवस्था में अस्पताल से छुट्टी दी गई. डॉक्टर नीरज ने बताया कि इस शिशु की मां की गर्भावस्था के 20वें हफ्ते में रूटीन अल्ट्रासाउंड जांच के दौरान ही भ्रूण के हृदय में कुछ असामान्य महसूस हुआ था. भ्रूण के इकोकार्डियोग्राम से पता चला कि शिशु जन्मजात हृदय रोग से ग्रस्त होगी. इस डायग्नॉसिस के बाद डॉ अवस्थी ने शिशु का प्रसव फोर्टिस अस्पताल में ही सीनियर डायरेक्टर ऑब्सटेट्रिक्स एंड गाइनीकोलॉजी की डॉ मीनाक्षी आहूजा की देखरेख में करवाने की सलाह दी, जहां सीज़ेरियन डिलीवरी करवायी गई. डिलीवरी के बाद मां और शिशु को आगे की जांच के लिए फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट, ओखला में ट्रांसफर किया गया.

स्विच ऑपरेशन के जरिए किया गया बच्ची का इलाज : अगले ही दिन, डॉ अवस्थी ने इस नवजात की बैलून एट्रियल सेप्टोस्टॉमी की. इस मिनीमॅली इन्वेसिव हार्ट प्रोसीजर का इस्तेमाल नवजात शिशुओं के जन्मजात हृदय विकारों को दूर करने के लिए किया जाता है. इस प्रक्रिया के दौरान, एक कैथेटर को जिसकी एक नोक पर बिना फूला हुआ गुब्बारा होता है, धमनियों में डालकर हृदय तक पहुंचाया जाता है. इसके बाद इस गुब्बारे को फुलाया जाता है ताकि हृदय के दोनों चैंबर के बीच एक बड़ा छेद किया जा सके और तब इस गुब्बारे की हवा निकालकर इसे हटा लिया जाता है. यह प्रक्रिया काफी नाजुक थी और इससे शिशु के ऑक्सीजन स्तर में सुधार लाकर उसकी कंडीशन को बेहतर बनाने में मदद मिली.

हाई-रिस्क आर्टेरियल स्विच ऑपरेशन कर नवजात की बचाई जान : नवजात की हालत स्थिर होने के बाद डॉ नीरज अवस्थी और डॉ के एस अय्यर चेयरमैन पिडियाट्रिक एंड कॉन्जेनाइटल हार्ट सर्जरी ने हाइ-रिस्क आर्टेरियल स्विच ऑपरेशन किया जिसमें दोनों धमनियों को सामान्य स्थिति में जोड़ा गया. इस ऑपरेशन को बायपास सर्जरी की सहायता से किया जाता है. ये दोनों सर्जरी सफल रहीं और शिशु की हालत में भी सुधार होने लगा. और जब बच्ची की हालत स्थिर अवस्था में देखी गई तब उसे अस्पताल से छुट्टी मिल गई. अब यह नवजात शिशु स्वास्थ्य लाभ कर रही है और ऑपरेशन के दौरान बने घाव भी भर चुके हैं.

बच्ची का जन्म के समय वजन कम होने से मामला जटिल था : इस मामले की जानकारी देते हुए डॉ नीरज अवस्थी ने बताया कि यह मामला शिशु के सामान्य से कम वज़न का होने तथा उसके हृदय विकारों के चलते बेहद चुनौतीपूर्ण था. जन्म के समय इस शिशु कन्या का वज़न मात्र 1.8 किलोग्राम था. बच्ची को गैवेज फीडिंग पर रखा गया. यह नाक के जरिए शिशु के भोजन देने का एक तरीका होता है ताकि वज़न बढ़ सके और लगातार रिकवरी के लिए उसे समुचित पोषण भी मिलता रहे. इससे शिशु का वज़न बढ़कर 2.3 किलोग्राम हो गया. मामले में हम समय पर फीटल इकोकार्डियोग्राम से डायग्नॉसिस होने की वजह से नवजात की जान बचाने में कामयाब हुए. जांच के चलते जन्म से पहले ही हृदय रोगों का पता चला और हम समय पर पूरी तैयारी के साथ उपचार कर सके. हमारी पूरी टीम के बीच भरपूर तालमेल के परिणामस्वरूप इस नवजात की जान बचायी जा सकी और अब यह बच्ची ठीक तरीके से रिकवर कर रही है.

डॉ के एस अय्यर का कहना है कि आर्टेरियल स्विच ऑपरेशन काफी नाजुक किस्म की प्रक्रिया है. खासतौर से एक से अधिक हृदय विकारों के साथ जन्मे नवजातों के मामले में यह बेहद चुनौतीपूर्ण होती है. यह सर्जरी इसलिए भी जोखिम से भरपूर थी क्योंकि शिशु को जन्म लिए हुए महज़ एक ही दिन हुआ था. उसका वज़न भी सामान्य से कम था. वह प्रीमैच्योर जन्मी थी और उसके हृदय के एक तरफ का हिस्सा पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ था. इतने सारे जोखिमों के बावजूद यह सर्जरी सफल रही और अब यह बच्ची ठीक ढंग से रिकवर भी कर रही है.

समय पर इलाज नहीं करने पर बच्ची का बचना था मुश्किल : नवजात का यदि समय पर इलाज नहीं किया जाता तो बच्ची का बचना नामुमकिन था क्योंकि उसकी मुख्य धमनियों की अदला-बदली की वजह से हालत काफी नाजुक थी. इस विकार के साथ जन्मे शिशुओं के शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाता, जिसके कारण कई तरह की जटिलताएं पैदा हो जाती हैं. अंग बेकार होने लगते हैं और असमय मृत्यु हो जाती है. फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल के फैसिलिटी डायरेक्टर डॉ विक्रम अग्रवाल ने कहा कि यह मामला नवजात की उम्र और उसकी नाजुक हालत के मद्देनज़र काफी खतरनाक था. लेकिन, तमाम विपरीत हालातों के बावजूद समय पर सही उपचार मिलने से मरीज को नया जीवन मिला है.

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नई दिल्ली: राजधानी के एक निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने ट्रांसपोज़िशन ऑफ द ग्रेट आर्टरीज़ से पीड़ित, मात्र एक दिन के नवजात का जीवन बचाने के लिए एक जटिल और चुनौतीपूर्ण सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है. डॉक्टरों ने बताया कि यह नवजात कन्या शिशु एक ऐसे दुर्लभ जन्मजात हृदय दोष से ग्रस्त थी जिससे उसकी जान को खतरा था. इसमें हृदय से निकलने वाली प्रमुख धमनियों के स्थान की अदला-बदली हो जाती है. इसके अलावा शिशु के हृदय में भी छेद था.

फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट ओखला में पिडियाट्रिक कार्डियोलॉजी विभाग के डायरेक्टर डॉ. नीरज अवस्थी के नेतृत्व में डॉक्टरों की कुशल टीम ने बेहद जोखिमपूर्ण स्विच ऑपरेशन (दुर्लभ किस्म की ओपन-हार्ट सर्जरी जिसके जरिए एओर्टा और पल्मोनरी धमनियों के हृदय के गलत वेंट्रिकल्स में मौजूद होने की वजह से उत्पन्न दोष को सुधारा जाता है) को सफलतापूर्वक संपन्न कर इस नवजात का जीवन बचाया.

3 घंटे तक चली नवजात की जटिल सर्जरी : यह जटिल सर्जरी लगभग 3 घंटे तक चली और मरीज को सर्जरी के 16 दिनों के बाद स्थिर अवस्था में अस्पताल से छुट्टी दी गई. डॉक्टर नीरज ने बताया कि इस शिशु की मां की गर्भावस्था के 20वें हफ्ते में रूटीन अल्ट्रासाउंड जांच के दौरान ही भ्रूण के हृदय में कुछ असामान्य महसूस हुआ था. भ्रूण के इकोकार्डियोग्राम से पता चला कि शिशु जन्मजात हृदय रोग से ग्रस्त होगी. इस डायग्नॉसिस के बाद डॉ अवस्थी ने शिशु का प्रसव फोर्टिस अस्पताल में ही सीनियर डायरेक्टर ऑब्सटेट्रिक्स एंड गाइनीकोलॉजी की डॉ मीनाक्षी आहूजा की देखरेख में करवाने की सलाह दी, जहां सीज़ेरियन डिलीवरी करवायी गई. डिलीवरी के बाद मां और शिशु को आगे की जांच के लिए फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट, ओखला में ट्रांसफर किया गया.

स्विच ऑपरेशन के जरिए किया गया बच्ची का इलाज : अगले ही दिन, डॉ अवस्थी ने इस नवजात की बैलून एट्रियल सेप्टोस्टॉमी की. इस मिनीमॅली इन्वेसिव हार्ट प्रोसीजर का इस्तेमाल नवजात शिशुओं के जन्मजात हृदय विकारों को दूर करने के लिए किया जाता है. इस प्रक्रिया के दौरान, एक कैथेटर को जिसकी एक नोक पर बिना फूला हुआ गुब्बारा होता है, धमनियों में डालकर हृदय तक पहुंचाया जाता है. इसके बाद इस गुब्बारे को फुलाया जाता है ताकि हृदय के दोनों चैंबर के बीच एक बड़ा छेद किया जा सके और तब इस गुब्बारे की हवा निकालकर इसे हटा लिया जाता है. यह प्रक्रिया काफी नाजुक थी और इससे शिशु के ऑक्सीजन स्तर में सुधार लाकर उसकी कंडीशन को बेहतर बनाने में मदद मिली.

हाई-रिस्क आर्टेरियल स्विच ऑपरेशन कर नवजात की बचाई जान : नवजात की हालत स्थिर होने के बाद डॉ नीरज अवस्थी और डॉ के एस अय्यर चेयरमैन पिडियाट्रिक एंड कॉन्जेनाइटल हार्ट सर्जरी ने हाइ-रिस्क आर्टेरियल स्विच ऑपरेशन किया जिसमें दोनों धमनियों को सामान्य स्थिति में जोड़ा गया. इस ऑपरेशन को बायपास सर्जरी की सहायता से किया जाता है. ये दोनों सर्जरी सफल रहीं और शिशु की हालत में भी सुधार होने लगा. और जब बच्ची की हालत स्थिर अवस्था में देखी गई तब उसे अस्पताल से छुट्टी मिल गई. अब यह नवजात शिशु स्वास्थ्य लाभ कर रही है और ऑपरेशन के दौरान बने घाव भी भर चुके हैं.

बच्ची का जन्म के समय वजन कम होने से मामला जटिल था : इस मामले की जानकारी देते हुए डॉ नीरज अवस्थी ने बताया कि यह मामला शिशु के सामान्य से कम वज़न का होने तथा उसके हृदय विकारों के चलते बेहद चुनौतीपूर्ण था. जन्म के समय इस शिशु कन्या का वज़न मात्र 1.8 किलोग्राम था. बच्ची को गैवेज फीडिंग पर रखा गया. यह नाक के जरिए शिशु के भोजन देने का एक तरीका होता है ताकि वज़न बढ़ सके और लगातार रिकवरी के लिए उसे समुचित पोषण भी मिलता रहे. इससे शिशु का वज़न बढ़कर 2.3 किलोग्राम हो गया. मामले में हम समय पर फीटल इकोकार्डियोग्राम से डायग्नॉसिस होने की वजह से नवजात की जान बचाने में कामयाब हुए. जांच के चलते जन्म से पहले ही हृदय रोगों का पता चला और हम समय पर पूरी तैयारी के साथ उपचार कर सके. हमारी पूरी टीम के बीच भरपूर तालमेल के परिणामस्वरूप इस नवजात की जान बचायी जा सकी और अब यह बच्ची ठीक तरीके से रिकवर कर रही है.

डॉ के एस अय्यर का कहना है कि आर्टेरियल स्विच ऑपरेशन काफी नाजुक किस्म की प्रक्रिया है. खासतौर से एक से अधिक हृदय विकारों के साथ जन्मे नवजातों के मामले में यह बेहद चुनौतीपूर्ण होती है. यह सर्जरी इसलिए भी जोखिम से भरपूर थी क्योंकि शिशु को जन्म लिए हुए महज़ एक ही दिन हुआ था. उसका वज़न भी सामान्य से कम था. वह प्रीमैच्योर जन्मी थी और उसके हृदय के एक तरफ का हिस्सा पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ था. इतने सारे जोखिमों के बावजूद यह सर्जरी सफल रही और अब यह बच्ची ठीक ढंग से रिकवर भी कर रही है.

समय पर इलाज नहीं करने पर बच्ची का बचना था मुश्किल : नवजात का यदि समय पर इलाज नहीं किया जाता तो बच्ची का बचना नामुमकिन था क्योंकि उसकी मुख्य धमनियों की अदला-बदली की वजह से हालत काफी नाजुक थी. इस विकार के साथ जन्मे शिशुओं के शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाता, जिसके कारण कई तरह की जटिलताएं पैदा हो जाती हैं. अंग बेकार होने लगते हैं और असमय मृत्यु हो जाती है. फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल के फैसिलिटी डायरेक्टर डॉ विक्रम अग्रवाल ने कहा कि यह मामला नवजात की उम्र और उसकी नाजुक हालत के मद्देनज़र काफी खतरनाक था. लेकिन, तमाम विपरीत हालातों के बावजूद समय पर सही उपचार मिलने से मरीज को नया जीवन मिला है.

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