मंडी: कर्नाटक की एक महिला साकम्मा की हिमाचल में 20 साल के बाद पहचान हो पाई है. ऐसा अक्सर फिल्मी दुनिया में ही होता है लेकिन ये रील नहीं रियल स्टोरी है जो हर किसी की आंखों में आंसू ला देगी. हिमाचल सरकार के एक अफसर की बेमिसाल कोशिश ने इस बुजुर्ग महिला को ना सिर्फ नाम दिलाया बल्कि अब साकम्मा 20 साल बाद मंगलवार 24 दिसंबर को अपने घर कर्नाटक लौट गई हैं.
ये था मामला
बीते 18 दिसंबर को एडीसी मंडी रोहित राठौर जिले के एक वृद्धाश्रम भंगरोटू में निरीक्षण के लिए पहुंचे थे. जहां उन्हें एक बुजुर्ग महिला मिली, जिसका नाम वृद्धाश्रम के रिकॉर्ड में साकम्मा था. पता चला कि महिला कर्नाटक की रहने वाली है और हिंदी नहीं बोल पाती. जिसके बाद रोहित राठौर जिले के अन्य अफसरों के साथ इस महिला को उसके घर पहुंचाने के मिशन में जुट गए. पहले हिमाचल में कर्नाटक के अफसरों की मदद ली गई और उनकी साकम्मा के साथ बातचीत करवाई गई.
साकम्मा के घरवालों तक पहुंचा प्रशासन
कर्नाटक की निवासी नेत्रा मैत्ती हिमाचल के कांगड़ा जिले में पालमपुर की एसडीएम हैं. फोन पर उनकी बात साकम्मा के साथ करवाई गई और उनके घर के बारे में जानकारी जुटाई गई. फिर मंडी जिले में ही तैनात आईपीएस प्रोबेशनर अधिकारी रवि नंदन को वृद्धाश्रम भेजकर साकम्मा के साथ बातचीत करवाई गई. महिला का वीडियो बनाकर कर्नाटक के अधिकारियों के साथ साझा किया गया. फिर हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक के अफसरों के प्रयास से साकम्मा के परिवार को ढूंढ लिया गया. साकम्मा कर्नाटक के जिला विजय नगर के गांव दनायाकनाकेरे की रहने वाली हैं. पहचान होने के बाद कर्नाटक से अफसरों की टीम साकम्मा को उनके घर ले जाने के लिए हिमाचल पहुंची.
जिला उपायुक्त, मंडी अपूर्व देवगन ने बताया "समय-समय पर ओल्ड एज होम और अनाथ आश्रम की इंस्पेक्शन की जाती है. हाल ही में अतिरिक्त उपायुक्त मंडी की ओर से भंगरोटू अनाथ आश्रम का निरीक्षण किया गया. इस दौरान एक महिला से उनकी बात हुई जो कर्नाटक से हैं लेकिन उनके घर का पता नहीं चल पा रहा था. फिर जिला प्रशासन ने कर्नाटक के अफसरों के साथ मिलकर उन्हें घर पहुंचाने का प्रयास किया जो सफल हो गया"
साल 2018 में लावारिस हालत में मिली थी साकम्मा
साकम्मा 20 साल पहले कर्नाटक से भटकर उत्तर भारत आ पहुंची थी और यहां गुरबत की जिंदगी जी रही थी. साल 2018 में साकम्मा को हिमाचल में लावारिस हालत में पाया गया था जिसके बाद वह कई आश्रमों में रही. मौजूदा समय में साकम्मा वृद्ध आश्रम भंगरोटू में रह रही थी. हिमाचल से कर्नाटक की दूरी करीब 2 हजार किलोमीटर है लेकिन साकम्मा को वहां पहुंचने में 20 साल लग गए और इसके लिए कर्नाटक के ऑफिसर हिमाचल के अधिकारियों की तारीफ करते नहीं थक रहे.
साकम्मा के हैं तीन बच्चे
साकम्मा के चार बच्चे थे जिनमें से अब 3 ही जीवित बच्चे हैं जिनकी शादियां हो चुकी हैं. वहीं, साकम्मा के पति का भी स्वर्गवास हो चुका है. जब साकम्मा अपने परिवार से बिछड़ी थी तब उनके बच्चे छोटे-छोटे थे.
बस्वराज एनजी, कर्नाटक सरकार के अधिकारी ने अपनी सरकार की तरफ से हिमाचल सरकार का धन्यवाद करते हुए कहा "हिमाचल के सभी अधिकारियों ने साकम्मा को उसके घर पहुंचाने के लिए हमारी बहुत मदद की है. आश्चर्य की बात है 20 साल बाद साकम्मा मिली है. साकम्मा के तीन बच्चे उसका कर्नाकट में इंतजार कर रहे हैं. परिवार के लोगों ने साकम्मा को मरा हुआ समझकर अंतिम संस्कार कर दिया था लेकिन साकम्मा जिंदा है."