हैदराबाद: भारत सरकार जिला कृषि मौसम विज्ञान इकाइयों को पुनर्जीवित करने का फैसला लिया है. ये इकाइयां पहले तदर्थ आधार पर काम कर रही थीं और पिछले साल नीति आयोग की सिफारिशों के बाद बंद कर दी गई थी. हालांकि, सरकार ने अब किसानों के लिए इनके महत्व को पहचानते हुए इन्हें एक स्थायी ढांचे में स्थापित करने की योजना बना रही है.
डीएएमयू किसानों को लिए वरदान
डीएएमयू किसानों को ब्लॉक स्तर पर मौसम संबंधी सलाह देने के लिए महत्वपूर्ण हैं. वे ग्रामीण कृषि मौसम सेवा के साथ मिलकर काम करते हैं और विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों में किसानों को सटीक सलाह देते हैं. इससे किसानों को यह तय करने में मदद मिलती है कि कौन सी फसल कब बोनी है, सिंचाई कब करनी है और कब खाद डालनी है. यह जानकारी किसानों को फसल की पैदावार बढ़ाने और जलवायु से संबंधित नुकसान को कम करने में मदद करती है.
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने PMO को लिखा पत्र
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम रविचंद्रन ने कहा कि सरकार कृषि के लिए महत्वपूर्ण मौसम संबंधी सेवाएं प्रदान करने के लिए एक मजबूत ढांचे की आवश्यकता को समझती है. इसलिए, सरकार ने डीएएमयू को पुनर्जीवित करने को प्राथमिकता दी है. एक आधिकारिक सूत्र ने यह भी पुष्टि की है कि मंत्रालय ने प्रधानमंत्री कार्यालय से इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है.
सरकार द्वारा डीएएमयू के पुनर्जीवन करने से किसानों को फायदा होगा. किसानों का कहना है कि डीएएमयू उन्हें मौसम की सटीक जानकारी प्रदान करके एक बड़ी मदद करते थे. इससे उन्हें अपनी फसलों की रक्षा करने और नुकसान को कम करने में मदद मिलती है. डीएएमयू को स्थायी और संविदा दोनों तरह के कर्मचारियों के साथ स्थापित किया जाएगा. इससे पिछली गुणवत्ता संबंधी समस्याओं को दूर करने में मदद मिलेगी, जो अस्थायी कर्मचारियों से जुड़ी थीं.
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