श्रीनगर (जम्मू-कश्मीर): हाल के वर्षों में, गुर्दे की पथरी ( Kidney Stones) एक बड़ी स्वास्थ्य चिंता बनती जा रही है. जिससे कई लोगों को असुविधा और परेशानी हो रही है. अगर मामला अधिक नाजुक नहीं है तो यह बड़ी परेशानी का सबब नहीं बन सकते हैं. हालांकि इंसानों में गंभीर किडनी स्टोन की समस्या हो गई तो वह आगे चलकर मरीज को ज्यादा परेशानी में डाल सकती है. इस विषय पर ईटीवी भारत के साथ बातचीत करते हुए डॉ. तनवरी इकबाल ने बताया कि, गुर्दे की पथरी जिसे रीनल कैलकुली (Renal Calculi) भी कहते हैं, जो कि एक क्रिस्टलीय खनीज जमाव है. यह मूत्र नली के अंदर बनता है. इसके भीतर बनने वाले पत्थर अलग-अलग प्रकार के होते हैं, जिनमें कैल्शियम ऑक्सालेट, कैल्शियम फॉस्फेट, यूरिक एसिड और सिस्टीन पत्थर शामिल होते हैं.
डॉ. तनवीर ने कहा, इनमें से कौन से पत्थर अधिक या फिर कम खतरनाक हैं, इसे कैटेगराइज करना संभव नहीं है. उन्होंने बताया कि पथरी संबंधी बीमारियों की गंभीरता प्रभावित क्षेत्र या फिर मूत्र नली में रुकावट की सीमा के आधार पर अलग-अलग होती है. गुर्दे की पथरी आमतौर पर रक्त को छानने और मूत्र बनाने के गुर्दे के कार्य के कारण बनती है. जिसमें शरीर से कुछ विषाक्त पदार्थों सहित अपशिष्ट पदार्थों को निकालना शामिल है. हालांकि, जब इन हानिकारक पदार्थों को पूरी तरह से समाप्त नहीं किया जा सकता है, तो वे धीरे-धीरे जमा हो जाते हैं और जम कर पथरी बन जाती है, जिसे चिकित्सकीय भाषा में नेफ्रोलिथियासिस (Nephrolithiasis) कहा जाता है. वे कौन से ऐसे खान-पान हैं जिससे गुर्दे में पथरी की समस्या उत्पन्न हो सकती है.
डॉ तनवीर इकबाल ने बताया कि, स्टोन में पर्यावरणीय कारकों, आहार संबंधी आदतों जैसे नट्स और मिठाइयों में पाए जाने वाले ऑक्सालेट जैसे कुछ पदार्थों का सेवन करने वाले व्यक्तियों में गुर्दे की पथरी विकसित होने का खतरा अधिक होता है. इसके अलावा, पारिवारिक इतिहास और अनुचित आहार व्यवहार इस तरह के जोखिम को अधिक बढ़ावा देता है. डॉ तनवीर ने आगे कहा कि, विभिन्न व्यावसायिक जोखिमों और आहार संबंधी प्राथमिकताओं के कारण पुरुषों में महिलाओं की तुलना में गुर्दे की पथरी बनने की संभावना अधिक होती है. इसके अलावा, पुरुषों में अधिक प्रोटीन के सेवन से यूरिक एसिड का उत्पादन बढ़ सकता है, जिससे उनमें यूरिक एसिड पथरी होने की संभावना बढ़ जाती है. गुर्दे की पथरी के लक्षणों में अक्सर असहनीय दर्द शामिल होता है, हालांकि कुछ मामले जटिलताओं के उत्पन्न होने तक लक्षणहीन भी रह सकते हैं.
डॉ. तनवीर ने समय पर निदान और उपचार के महत्व पर जोर दिया, क्योंकि अनुपचारित पथरी मूत्र पथ में संक्रमण, गुर्दे की क्षति या यहां तक कि किडनी फेलियर का कारण बन सकती है. डॉ तनवरी ने आगे बताया कि पथरी का समस्या की गंभीरता को देखते हुए इसका इलाज दवाओं से या फिर सर्जिकल तरीके से किया जाता है. साथ ही डॉक्टर ने बताया कि पथरी की समस्या से निजात पाने के लिए मरीज या एक इंसान को अपने शरीर के वजन और खान पान पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है. ऑक्सालेट युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन कम करने और संतुलित आहार अपनाने से पथरी बनने का खतरा काफी कम हो सकता है. बता दें कि किडनी स्टोन की समस्या इंसानों में स्वास्थ्य चुनौती पैदा करती है. इस बीमारी से बचने और गुर्दे को स्वस्थ्य रखने के लिए लोगों में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है.
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