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महाकुंभ 2025; संगम स्नान के साथ 12 ज्योर्तिलिंग के दर्शन, बोट चलाकर कीजिए भारत की परिक्रमा - MAHA KUMBH MELA 2025

प्रयागराज के अरैल में स्थित शिवालय पार्क में करीब 400 टन कबाड़ से मंदिरों के स्ट्रक्चर और अन्य चीजों को बनाया गया है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 7, 2025, 11:16 AM IST

प्रयागराज: संगम नगरी प्रयागराज में महाकुंभ 2025 का शुभारंभ होने में अब कुछ ही दिन बचे हैं. इस बार महाकुंभ में संगम स्नान के साथ आपको 12 ज्योर्तिलिंग के दर्शन भी कुंभ क्षेत्र में होंगे. इसके साथ ही देश के 5 प्रमुख तीर्थस्थल के दर्शन का भी सौभाग्य प्राप्त होगा और पूरे भारत के साथ 12 ज्योर्तिलिंग की परिक्रमा करने का भी अवसर मिलेगा.

144 साल बाद हो रहा महाकुंभ: दरअसल, 144 साल बाद हो रहे महाकुंभ की आध्यात्मिकता और भव्यता को एक नई ऊंचाई देने के लिए प्रयागराज में नगर निगम की ओर से एक विशाल पार्क बनाया गया है. करीब 400 टन कबाड़ से बने इस अनोखे पार्क में जंग खाए बिजली के खंभे, पुराने वाहन जैसे ट्रक, कार, रिक्शे, पाइप, रेल की पटरियों का इस्तेमाल किया गया है.

VIDEO में देखें प्रयागराज के शिवालय पार्क की भव्यता और सुंदरता. (Video Credit; ANI)

11 एकड़ जमीन पर बना है शिवालय पार्क: प्रयागराज के अरैल में इस अनूठे शिवालय पार्क को 11 एकड़ जमीन में बनाया गया है जो महाकुंभनगर का क्षेत्र है. 14 करोड़ रुपए से बने इस पार्क को 22 कलाकारों और 500 श्रमिकों ने स्वरूप दिया है. वेस्ट एंड वंडर थीम पर बना ये पार्क कला और स्वच्छता का प्रतीक है.

प्रयागराज के शिवालय पार्क में प्रवेश करते ही बड़ी से नंदी की प्रतिमा देखने को मिलेगी.
प्रयागराज के शिवालय पार्क में प्रवेश करते ही बड़ी से नंदी की प्रतिमा देखने को मिलेगी. (Photo Credit; ETV Bharat)

समुद्र मंथन की पूरी कहानी: शिवालय पार्क में प्रवेश करते ही समुद्र मंथन का जीवंत दृश्य नजर आता है. इसमें नागवासुकी को रस्सी बनाकर देव और दानवों को मंथन करते हुए दिखाया गया है. इसके अलावा नंदी और त्रिशूल की विशालकाय कृति यहां की भव्यता को और बढ़ा देती हैं.

प्रयागराज के शिवालय पार्क में प्रवेश करते आपको मिलेगी समुद्र मंथल की कथा.
प्रयागराज के शिवालय पार्क में प्रवेश करते आपको मिलेगी समुद्र मंथल की कथा. (Photo Credit; ETV Bharat)

शिवालय पार्क का कितना है एंट्री टिकट: पार्क में प्रवेश के लिए 50 रुपए का टिकट लगता है. लेकिन, यही टिकट वीकेंड पर 100 रुपए का हो जाता है. हालांकि, 3 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए एंट्री फ्री है. कम लागत में तैयार यह स्थान पर्यटकों को एक भव्य धार्मिक और सांस्कृतिक अनुभव प्रदान करता है.

प्रयागराज के शिवालय पार्क के मुख्य गेट पर बड़े-बड़े त्रिशूल लगाए गए हैं.
प्रयागराज के शिवालय पार्क के मुख्य गेट पर बड़े-बड़े त्रिशूल लगाए गए हैं. (Photo Credit; ETV Bharat)

बच्चों के लिए खास इंतजाम: बच्चों के लिए एक अलग जोन भी बनाया गया है. इसमें तुलसी वन और संजीवनी वन, फूड कोर्ट, रेस्टोरेंट शामिल हैं. इसके अलावा भारत के नक्शे के बॉर्डर पर एक प्रतीकात्मक नदी बनाई गई है. इस नदी में बोटिंग भी की जा सकती है. बोटिंग करके पूरे देश की और 12 ज्योर्तिलिंग की परिक्रमा का अनुभव कर सकते हैं. ये 12 ज्योर्तिलिंग भारत के नक्शे में उन्हीं जगह पर बनाए गए हैं, जहां वास्तव में हैं. ये जलाशय 600 मीटर लंबा है.

प्रयागराज के शिवालय पार्क में जगह-जगह रेलिंग में त्रिशूल बनाए गए हैं.
प्रयागराज के शिवालय पार्क में जगह-जगह रेलिंग में त्रिशूल बनाए गए हैं. (Photo Credit; ETV Bharat)

12 ज्योर्तिलिंग जिनकी एक साथ कर सकेंगे परिक्रमा

  • सोमनाथ मंदिर (गिर सोमनाथ, गुजरात)
  • मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर (श्रीशैलम, आंध्र प्रदेश)
  • महाकालेश्वर मंदिर (उज्जैन, मध्य प्रदेश)
  • ओंकारेश्वर मंदिर (खंडवा, मध्य प्रदेश)
  • बैद्यनाथ मंदिर (देवघर, झारखंड)
  • भीमाशंकर मंदिर (भीमाशंकर, महाराष्ट्र)
  • रामनाथस्वामी मंदिर (रामेश्वरम, तमिलनाडु)
  • नागेश्वर मंदिर (द्वारका, गुजरात)
  • काशी विश्वनाथ मंदिर (वाराणसी, उत्तर प्रदेश)
  • त्र्यंबकेश्वर मंदिर (नासिक, महाराष्ट्र)
  • केदारनाथ मंदिर (रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड)
  • घृष्णेश्वर मंदिर (औरंगाबाद, महाराष्ट्र)

शिवालय पार्क में इन तीर्थ की भी कर सकेंगे परिक्रमा

  • बैजनाथ मंदिर (बैजनाथ, हिमाचल प्रदेश)
  • पशुपतिनाथ मंदिर (काठमांडू, नेपाल)
  • लिंगराज मंदिर (भुवनेश्वर, ओडिशा)
  • वीरभद्र मंदिर (लेपाक्षी, आंध्र प्रदेश)
  • शोर मंदिर (महाबलीपुरम, तमिलनाडु)

वेस्ट मैनेजमेंट की तकनीक भी सीखने को मिलेगी: शिवालय पार्क केवल एक दर्शनीय स्थल ही नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा केंद्र है, जहां बच्चे और बड़े 12 ज्योर्तिलिंग के दर्शन करने के साथ उनके बारे में पूरा ज्ञान भी प्राप्त कर सकेंगे. इसके साथ ही यहां पर वेस्ट से वंडर बनाने की तकनीक को भी सिखाया जाता है, जिसमें पर्यटक हिस्सा लेकर ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं.

प्रयागराज के शिवालय पार्क में हर मंदिर के नाम का बोर्ड लगाया गया है.
प्रयागराज के शिवालय पार्क में हर मंदिर के नाम का बोर्ड लगाया गया है. (Photo Credit; ETV Bharat)

हर मंदिर के गेट पर उसका नाम और विवरण लिखा: शिवालय पार्क के सभी मंदिर कबाड़ में निकले लोहे से बनाए गए हैं. हर मंदिर को वही स्वरूप दिया गया है जो वास्तव में है. मंदिर के प्रवेश द्वार पर ही उसके नाम का बोर्ड भी लगाया गया है. ताकि पर्यटकों को मंदिर पहचानने में कोई दिक्कत न हो. शिवालय पार्क में बने मंदिरों की खूबसूरती और कलाकारी भारतीय वास्तुकला का अद्भुत नमूना है.

प्रयागराज का शिवालय पार्क.
प्रयागराज का शिवालय पार्क. (Photo Credit; ETV Bharat)

फोटोग्राफी पर कोई प्रतिबंध नहीं, ले जा सकते हैं कैमरा: शिवालय पार्क में फोटोग्राफी पर किसी प्रकार का कोई प्रतिबंध नहीं है. आप यहां अपना कैमरा या मोबाइल फोन ले जाकर फोटोग्राफी कर सकते हैं. ध्यान लगा सकते हैं. गार्डन एरिया में घूम सकते हैं. साथ ही एक कैंटिन एरिया भी बनाया गया है जिसमें आप आराम से बैठकर स्नैक्स आदि का लुत्फ उठा सकते हैं.

प्रयागराज का शिवालय पार्क.
प्रयागराज का शिवालय पार्क. (Photo Credit; ETV Bharat)

ये भी पढ़ेंः आखिर जीवन में एक ही बार ही क्यों पड़ सकता है महाकुंभ? जानिए- कुंभ, अर्धकुंभ से यह कितना अलग

प्रयागराज: संगम नगरी प्रयागराज में महाकुंभ 2025 का शुभारंभ होने में अब कुछ ही दिन बचे हैं. इस बार महाकुंभ में संगम स्नान के साथ आपको 12 ज्योर्तिलिंग के दर्शन भी कुंभ क्षेत्र में होंगे. इसके साथ ही देश के 5 प्रमुख तीर्थस्थल के दर्शन का भी सौभाग्य प्राप्त होगा और पूरे भारत के साथ 12 ज्योर्तिलिंग की परिक्रमा करने का भी अवसर मिलेगा.

144 साल बाद हो रहा महाकुंभ: दरअसल, 144 साल बाद हो रहे महाकुंभ की आध्यात्मिकता और भव्यता को एक नई ऊंचाई देने के लिए प्रयागराज में नगर निगम की ओर से एक विशाल पार्क बनाया गया है. करीब 400 टन कबाड़ से बने इस अनोखे पार्क में जंग खाए बिजली के खंभे, पुराने वाहन जैसे ट्रक, कार, रिक्शे, पाइप, रेल की पटरियों का इस्तेमाल किया गया है.

VIDEO में देखें प्रयागराज के शिवालय पार्क की भव्यता और सुंदरता. (Video Credit; ANI)

11 एकड़ जमीन पर बना है शिवालय पार्क: प्रयागराज के अरैल में इस अनूठे शिवालय पार्क को 11 एकड़ जमीन में बनाया गया है जो महाकुंभनगर का क्षेत्र है. 14 करोड़ रुपए से बने इस पार्क को 22 कलाकारों और 500 श्रमिकों ने स्वरूप दिया है. वेस्ट एंड वंडर थीम पर बना ये पार्क कला और स्वच्छता का प्रतीक है.

प्रयागराज के शिवालय पार्क में प्रवेश करते ही बड़ी से नंदी की प्रतिमा देखने को मिलेगी.
प्रयागराज के शिवालय पार्क में प्रवेश करते ही बड़ी से नंदी की प्रतिमा देखने को मिलेगी. (Photo Credit; ETV Bharat)

समुद्र मंथन की पूरी कहानी: शिवालय पार्क में प्रवेश करते ही समुद्र मंथन का जीवंत दृश्य नजर आता है. इसमें नागवासुकी को रस्सी बनाकर देव और दानवों को मंथन करते हुए दिखाया गया है. इसके अलावा नंदी और त्रिशूल की विशालकाय कृति यहां की भव्यता को और बढ़ा देती हैं.

प्रयागराज के शिवालय पार्क में प्रवेश करते आपको मिलेगी समुद्र मंथल की कथा.
प्रयागराज के शिवालय पार्क में प्रवेश करते आपको मिलेगी समुद्र मंथल की कथा. (Photo Credit; ETV Bharat)

शिवालय पार्क का कितना है एंट्री टिकट: पार्क में प्रवेश के लिए 50 रुपए का टिकट लगता है. लेकिन, यही टिकट वीकेंड पर 100 रुपए का हो जाता है. हालांकि, 3 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए एंट्री फ्री है. कम लागत में तैयार यह स्थान पर्यटकों को एक भव्य धार्मिक और सांस्कृतिक अनुभव प्रदान करता है.

प्रयागराज के शिवालय पार्क के मुख्य गेट पर बड़े-बड़े त्रिशूल लगाए गए हैं.
प्रयागराज के शिवालय पार्क के मुख्य गेट पर बड़े-बड़े त्रिशूल लगाए गए हैं. (Photo Credit; ETV Bharat)

बच्चों के लिए खास इंतजाम: बच्चों के लिए एक अलग जोन भी बनाया गया है. इसमें तुलसी वन और संजीवनी वन, फूड कोर्ट, रेस्टोरेंट शामिल हैं. इसके अलावा भारत के नक्शे के बॉर्डर पर एक प्रतीकात्मक नदी बनाई गई है. इस नदी में बोटिंग भी की जा सकती है. बोटिंग करके पूरे देश की और 12 ज्योर्तिलिंग की परिक्रमा का अनुभव कर सकते हैं. ये 12 ज्योर्तिलिंग भारत के नक्शे में उन्हीं जगह पर बनाए गए हैं, जहां वास्तव में हैं. ये जलाशय 600 मीटर लंबा है.

प्रयागराज के शिवालय पार्क में जगह-जगह रेलिंग में त्रिशूल बनाए गए हैं.
प्रयागराज के शिवालय पार्क में जगह-जगह रेलिंग में त्रिशूल बनाए गए हैं. (Photo Credit; ETV Bharat)

12 ज्योर्तिलिंग जिनकी एक साथ कर सकेंगे परिक्रमा

  • सोमनाथ मंदिर (गिर सोमनाथ, गुजरात)
  • मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर (श्रीशैलम, आंध्र प्रदेश)
  • महाकालेश्वर मंदिर (उज्जैन, मध्य प्रदेश)
  • ओंकारेश्वर मंदिर (खंडवा, मध्य प्रदेश)
  • बैद्यनाथ मंदिर (देवघर, झारखंड)
  • भीमाशंकर मंदिर (भीमाशंकर, महाराष्ट्र)
  • रामनाथस्वामी मंदिर (रामेश्वरम, तमिलनाडु)
  • नागेश्वर मंदिर (द्वारका, गुजरात)
  • काशी विश्वनाथ मंदिर (वाराणसी, उत्तर प्रदेश)
  • त्र्यंबकेश्वर मंदिर (नासिक, महाराष्ट्र)
  • केदारनाथ मंदिर (रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड)
  • घृष्णेश्वर मंदिर (औरंगाबाद, महाराष्ट्र)

शिवालय पार्क में इन तीर्थ की भी कर सकेंगे परिक्रमा

  • बैजनाथ मंदिर (बैजनाथ, हिमाचल प्रदेश)
  • पशुपतिनाथ मंदिर (काठमांडू, नेपाल)
  • लिंगराज मंदिर (भुवनेश्वर, ओडिशा)
  • वीरभद्र मंदिर (लेपाक्षी, आंध्र प्रदेश)
  • शोर मंदिर (महाबलीपुरम, तमिलनाडु)

वेस्ट मैनेजमेंट की तकनीक भी सीखने को मिलेगी: शिवालय पार्क केवल एक दर्शनीय स्थल ही नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा केंद्र है, जहां बच्चे और बड़े 12 ज्योर्तिलिंग के दर्शन करने के साथ उनके बारे में पूरा ज्ञान भी प्राप्त कर सकेंगे. इसके साथ ही यहां पर वेस्ट से वंडर बनाने की तकनीक को भी सिखाया जाता है, जिसमें पर्यटक हिस्सा लेकर ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं.

प्रयागराज के शिवालय पार्क में हर मंदिर के नाम का बोर्ड लगाया गया है.
प्रयागराज के शिवालय पार्क में हर मंदिर के नाम का बोर्ड लगाया गया है. (Photo Credit; ETV Bharat)

हर मंदिर के गेट पर उसका नाम और विवरण लिखा: शिवालय पार्क के सभी मंदिर कबाड़ में निकले लोहे से बनाए गए हैं. हर मंदिर को वही स्वरूप दिया गया है जो वास्तव में है. मंदिर के प्रवेश द्वार पर ही उसके नाम का बोर्ड भी लगाया गया है. ताकि पर्यटकों को मंदिर पहचानने में कोई दिक्कत न हो. शिवालय पार्क में बने मंदिरों की खूबसूरती और कलाकारी भारतीय वास्तुकला का अद्भुत नमूना है.

प्रयागराज का शिवालय पार्क.
प्रयागराज का शिवालय पार्क. (Photo Credit; ETV Bharat)

फोटोग्राफी पर कोई प्रतिबंध नहीं, ले जा सकते हैं कैमरा: शिवालय पार्क में फोटोग्राफी पर किसी प्रकार का कोई प्रतिबंध नहीं है. आप यहां अपना कैमरा या मोबाइल फोन ले जाकर फोटोग्राफी कर सकते हैं. ध्यान लगा सकते हैं. गार्डन एरिया में घूम सकते हैं. साथ ही एक कैंटिन एरिया भी बनाया गया है जिसमें आप आराम से बैठकर स्नैक्स आदि का लुत्फ उठा सकते हैं.

प्रयागराज का शिवालय पार्क.
प्रयागराज का शिवालय पार्क. (Photo Credit; ETV Bharat)

ये भी पढ़ेंः आखिर जीवन में एक ही बार ही क्यों पड़ सकता है महाकुंभ? जानिए- कुंभ, अर्धकुंभ से यह कितना अलग

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