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नया गोरखपुर बसाने में जमीन का पेंच; 25 गांवों की 6000 एकड़ भूमि चाहिए पर महिलाओं-बच्चों के साथ विरोध में उतरे किसान - NEW GORAKHPUR CITY

योगी सरकार ने जारी किया 400 करोड़ रुपए बजट, सरकारी रेट पर तैयार नहीं किसान, जानिए- आखिर GDA क्यों आगे नहीं बढ़ा पा रहा प्रोजेक्ट?

नया गोरखपुर का मैप.
नया गोरखपुर का मैप. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 21, 2025, 4:42 PM IST

Updated : Jan 22, 2025, 11:59 AM IST

गोरखपुर: नया गोरखपुर बसाने के लिए करीब 25 गांवों की छह हजार एकड़ भूमि गोरखपुर विकास प्राधिकरण(GDA)को अधिग्रहीत करना है. इस पर तीन हजार करोड़ रुपये खर्च भी होगा. जिसके लिये 400 करोड़ रुपये शासन ने जारी भी कर दिया है. लेकिन जिन किसानों की जमीन इसमें जा रही है, वह विरोध कर रहे हैं. किसान अपनी जमीन आसानी से जीडीए को देना नहीं चाह रहे. किसान महिलाओं और बच्चों को को भी आगे लाकर विरोध करने में लगे हैं. इसके लिये GDA की चौपाल भी बेकार जा रही है. जन सुनवाई के दौरान भी आपत्ति दर्ज हो रही है. ऐसे में इस प्रोजेक्ट में जीडीए और किसानों के आमने-सामने का भी खतरा बढ़ा हुआ है.

25 गांव के किसानों की जमीनों का अधिग्रहणः बता दें कि मुख्यमंत्री शहरी विस्तारीकरण योजना के तहत गोरखपुर में नया गोरखपुर बसाने की कवायद शुरू हुई है. गोरखपुर- कुशीनगर रोड पर चौरी चौरा तहसील क्षेत्र के माड़ा पार में 152 हेक्टेयर और सदर तहसील क्षेत्र के तकिया मेदनीपुर में 45 और कोनी में 57 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित की जानी है. इस नए शहर में 25 गांव का अधिग्रहण GDA किसानों से समझौते के आधार पर करेगा. जमीन लेने के साथ ही अनिवार्य अधिग्रहण की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है. चयनित एजेंसी की ओर से सामाजिक अध्ययन की रिपोर्ट प्रस्तुत किए जाने के बाद जनसुनवाई भी हो रही है, जिसमें किसान विरोध कर रहे हैं.

किसान के घरों की महिलाएं और बच्चे जता रहे विरोध.
किसान के घरों की महिलाएं और बच्चे जता रहे विरोध. (Photo Credit; ETV Bharat)

बाजार के दर से पैसे देने की मांगः पूर्व जिला पंचायत सदस्य कुंवर प्रताप सिंह के नेतृत्व में काश्तकारों ने जमीन नहीं देने की बात करते हुए मांग रखी है. किसानों का कहना है कि बाजार दर के अनुसार नए सर्किल रेट तय किया जाए और फिर उसके बाद कमेटी गठित कर उसे सर्किल रेट के हिसाब से मुआवजे की दर तय की जाए. तहसीलदार रामभेज का कहना है कि काश्तकारों ने नए सर्किल रेट के हिसाब से मुआवजा की मांग की है. उच्च अधिकारियों से इस मामले में चर्चा के बाद ही आगे कोई निर्णय किया जाएगा. किसान हीरालाल, रामवती यादव,सुदामा निषाद, संजय जायसवाल, सत्येंद्र निषाद,अब्दुल हमीद अंसारी, प्रदीप निषाद, मुकेश सिंह राम, गोविंद पुजारी, चंद्रभान पासवान, राजेंद्र भगत समेत कई काश्तकार अपनी जमीन देने को तैयार नहीं है.

चार गुना कीमत पर भी खेती योग्य जमीन देने को तैयार नहीं किसानः गोरखपुर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष आनंद वर्धन सिंह ने बताया कि किसान 2016 के आधार पर पहले अपनी जमीन का मुआवजा चार गुना मांगने पर अड़े थे. लेकिन सरकार इसे देने को पहले तैयार नहीं थी. ऐसे में किसान आंदोलन कर रहे थे. पिछले दिनों इस पर सहमति बनी तो किसानों ने अब अपनी जमीन की रजिस्ट्री, गोरखपुर विकास प्राधिकरण के पक्ष में करना शुरू किये हैं. करीब एक हजारों किसानों को रजिस्ट्री करनी है. कुछ किसान नया सर्किल रेट तय करते हुए जमीन देने की बात कह रहे हैं. जिसके लिए प्राधिकरण के अधिकारियों को किसानों तक दौड़ लगानी पड़ रही है. अभी बहुत से किसान चार गुना कीमत पर भी अपनी खेती योग्य जमीन देने को तैयार नहीं है.

अभी 3 करोड़ 35 लाख 70 हजार प्रति हेक्टयेर कीमतः जीडीए उपाध्यक्ष का कहना है कि खेती की जमीन शहर के लिए चली जाएगी तो वह जियेंगे और खाएंगे कैसे. हालांकि अभी तक एक सौ पचास किसानों द्वारा सहमति पत्र भरे जाने की बात कही जा रही है. तीन करोड़ 35 लाख 70 हजार प्रति हेक्टेयर की दर इसके लिये निर्धारित हुई है. इसी प्रकार अन्य गांव से भी जमीन की खरीदारी होगी. शासन को पत्र लिखकर प्राधिकरण और धनराशि की मांग बहुत जल्द करेगा. जैसे-जैसे किसानों की रजिस्ट्री होती जाएगी धन की जरूरत भी बढ़ने लगेगी.

इसे भी पढ़ें-नया गोरखपुर बसाने की कयावद तेज; मल्टी स्टोरी बिल्डिंग, कमर्शियल और आवासीय प्लाट भी मिलेंगे

गोरखपुर: नया गोरखपुर बसाने के लिए करीब 25 गांवों की छह हजार एकड़ भूमि गोरखपुर विकास प्राधिकरण(GDA)को अधिग्रहीत करना है. इस पर तीन हजार करोड़ रुपये खर्च भी होगा. जिसके लिये 400 करोड़ रुपये शासन ने जारी भी कर दिया है. लेकिन जिन किसानों की जमीन इसमें जा रही है, वह विरोध कर रहे हैं. किसान अपनी जमीन आसानी से जीडीए को देना नहीं चाह रहे. किसान महिलाओं और बच्चों को को भी आगे लाकर विरोध करने में लगे हैं. इसके लिये GDA की चौपाल भी बेकार जा रही है. जन सुनवाई के दौरान भी आपत्ति दर्ज हो रही है. ऐसे में इस प्रोजेक्ट में जीडीए और किसानों के आमने-सामने का भी खतरा बढ़ा हुआ है.

25 गांव के किसानों की जमीनों का अधिग्रहणः बता दें कि मुख्यमंत्री शहरी विस्तारीकरण योजना के तहत गोरखपुर में नया गोरखपुर बसाने की कवायद शुरू हुई है. गोरखपुर- कुशीनगर रोड पर चौरी चौरा तहसील क्षेत्र के माड़ा पार में 152 हेक्टेयर और सदर तहसील क्षेत्र के तकिया मेदनीपुर में 45 और कोनी में 57 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित की जानी है. इस नए शहर में 25 गांव का अधिग्रहण GDA किसानों से समझौते के आधार पर करेगा. जमीन लेने के साथ ही अनिवार्य अधिग्रहण की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है. चयनित एजेंसी की ओर से सामाजिक अध्ययन की रिपोर्ट प्रस्तुत किए जाने के बाद जनसुनवाई भी हो रही है, जिसमें किसान विरोध कर रहे हैं.

किसान के घरों की महिलाएं और बच्चे जता रहे विरोध.
किसान के घरों की महिलाएं और बच्चे जता रहे विरोध. (Photo Credit; ETV Bharat)

बाजार के दर से पैसे देने की मांगः पूर्व जिला पंचायत सदस्य कुंवर प्रताप सिंह के नेतृत्व में काश्तकारों ने जमीन नहीं देने की बात करते हुए मांग रखी है. किसानों का कहना है कि बाजार दर के अनुसार नए सर्किल रेट तय किया जाए और फिर उसके बाद कमेटी गठित कर उसे सर्किल रेट के हिसाब से मुआवजे की दर तय की जाए. तहसीलदार रामभेज का कहना है कि काश्तकारों ने नए सर्किल रेट के हिसाब से मुआवजा की मांग की है. उच्च अधिकारियों से इस मामले में चर्चा के बाद ही आगे कोई निर्णय किया जाएगा. किसान हीरालाल, रामवती यादव,सुदामा निषाद, संजय जायसवाल, सत्येंद्र निषाद,अब्दुल हमीद अंसारी, प्रदीप निषाद, मुकेश सिंह राम, गोविंद पुजारी, चंद्रभान पासवान, राजेंद्र भगत समेत कई काश्तकार अपनी जमीन देने को तैयार नहीं है.

चार गुना कीमत पर भी खेती योग्य जमीन देने को तैयार नहीं किसानः गोरखपुर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष आनंद वर्धन सिंह ने बताया कि किसान 2016 के आधार पर पहले अपनी जमीन का मुआवजा चार गुना मांगने पर अड़े थे. लेकिन सरकार इसे देने को पहले तैयार नहीं थी. ऐसे में किसान आंदोलन कर रहे थे. पिछले दिनों इस पर सहमति बनी तो किसानों ने अब अपनी जमीन की रजिस्ट्री, गोरखपुर विकास प्राधिकरण के पक्ष में करना शुरू किये हैं. करीब एक हजारों किसानों को रजिस्ट्री करनी है. कुछ किसान नया सर्किल रेट तय करते हुए जमीन देने की बात कह रहे हैं. जिसके लिए प्राधिकरण के अधिकारियों को किसानों तक दौड़ लगानी पड़ रही है. अभी बहुत से किसान चार गुना कीमत पर भी अपनी खेती योग्य जमीन देने को तैयार नहीं है.

अभी 3 करोड़ 35 लाख 70 हजार प्रति हेक्टयेर कीमतः जीडीए उपाध्यक्ष का कहना है कि खेती की जमीन शहर के लिए चली जाएगी तो वह जियेंगे और खाएंगे कैसे. हालांकि अभी तक एक सौ पचास किसानों द्वारा सहमति पत्र भरे जाने की बात कही जा रही है. तीन करोड़ 35 लाख 70 हजार प्रति हेक्टेयर की दर इसके लिये निर्धारित हुई है. इसी प्रकार अन्य गांव से भी जमीन की खरीदारी होगी. शासन को पत्र लिखकर प्राधिकरण और धनराशि की मांग बहुत जल्द करेगा. जैसे-जैसे किसानों की रजिस्ट्री होती जाएगी धन की जरूरत भी बढ़ने लगेगी.

इसे भी पढ़ें-नया गोरखपुर बसाने की कयावद तेज; मल्टी स्टोरी बिल्डिंग, कमर्शियल और आवासीय प्लाट भी मिलेंगे

Last Updated : Jan 22, 2025, 11:59 AM IST
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