गया: बिहार के गया में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला चल रहा है. इस पितृपक्ष में मेले में राजकुमार शर्मा अपने कुछ रिश्तेदारों के साथ सन 1947 में भारत-पाकिस्तान बंटवारे के दौरान पाकिस्तान में कत्लेआम कर दिए गए 300 पितरों का पिंडदान करने आए हैं. यह वैसे पूर्वज हैं, जिन्हें देश की आजादी के समय भारत- पाकिस्तान विभाजन की विभीषका में कत्ल कर दिया गया था.
300 पाकिस्तानी पूर्वजों का पिंडदान : सात दशक के बाद पाकिस्तान में मार दिए गए सभी 300 पूर्वजों की लिस्ट बनाकर राजकुमार शर्मा मोक्ष धाम गया आए और सभी के नाम से पिंडदान कर रहे हैं. राजकुमार शर्मा के साथ उनकी पत्नी सत्या देवी और कुछ अन्य दो-तीन रिश्तेदार भी आए हैं.
पाक बंटवारे में कत्ल हो गए थे सभी : 14 अगस्त 1947 के बाद भारत- पाकिस्तान विभाजन और फिर पाकिस्तान में मचाए गए कत्लेआम की कहानी बताते-बताते राजकुमार शर्मा का गला रूंध जाता है और भावुक हो जाते हैं. पाकिस्तान में उन्हें वापसी की आस कई सालों तक बनी रही, लेकिन वहां के हालात बद से बदतर होते चले गए और उनके परिवार के लोग, जो बच गए थे, उनके साथ ही रिफ्यूजी बनकर इंडिया में जम्मू कश्मीर के राजौरी जिले के डुंगी बरमना गांव में रिफ्यूजी बनकर रह गए.
तीन गोत्र के 300 पूर्वजों का पिंडदान: राजकुमार शर्मा सभी वैसे 300 पूर्वजों की लिस्ट बनाकर लाए हैं, जिन्हें पाकिस्तान में मार दिया गया था. उनके पिता जगत शर्मा, दादा समेत लगभग सभी को मार दिया गया. कुछ बच्चे और बूढ़े बच गए थे. एक भी जवान लड़के लड़कियों को नहीं छोड़ा गया. जवान लड़कों या अन्य जो भी परिवार का मिला, उनको मार दिया गया, तो लड़कियों को उठा ले गए.
विभाजन में खोया परिवार : विभाजन विभीषिका और पाकिस्तान में कत्लेआम की कहानी सुनाते -सुनाते राजकुमार शर्मा भावुक हो जाते हैं. एक बड़ी पीड़ा के भाव उनके चेहरे पर बन जाते हैं, जिसे उन्होंने सात दशक से अधिक समय से दबाकर रखा है. अपने पितरों का धार्मिक ऋण राजकुमार शर्मा चुकाने गयाजी धाम यानी कि विष्णुपद मोक्ष भूमि को पहुंचे हैं और 7 दिनों तक रुककर पिंडदान, श्राद्ध और तर्पण का कर्मकांड कर रहे हैं. वैसे उन पूर्वजों का भी पिंडदान इनके द्वारा किया जा रहा है, जिनकी इंडिया बॉर्डर पर रिफ्यूजी कैंप में रहने के दौरान स्वाभाविक मौत हुई थी.
''मैं 1991, 2001 में पहले भी गयाजी धाम आ चुका हूं. इस बार 23 साल बाद पहुंचा हूं. मैं एक पुराना रिकॉर्ड निकाला, जिसमें सभी 300 पूर्वजों का नाम निकाला गया, जिनकी हत्या पाकिस्तान में कर दी गई थी. इन सभी का रिकॉर्ड नहीं था, लेकिन कई सालों तक मेहनत कर सभी का रिकॉर्ड इकट्ठा किया और पिंडदान कर रहा हूं.'' -राजकुमार शर्मा, पिंडदानी
पाकिस्तान में जन्म, भारत में शरणार्थी: राजकुमार शर्मा ने पाकिस्तान के सुहाना में जन्म लिया, तब उनकी उम्र मेज 1 साल की थी. उस समय अंग्रेजों से देश को आजादी मिली थी. बात 14 अगस्त 1947 के आसपास की है. भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ था.