नई दिल्ली:लिब टेक (Lib Tech) की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अप्रैल से सितंबर के बीच मनरेगा ( MGNREGA) के 84.8 लाख से अधिक मजदूरों का नाम योजना से हटा दिया गया. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस योजना से 84.8 लाख मनरेगा मजदूर हटाए गए, जबकि केवल 45.4 लाख नए मजदूर जोड़े गए.
रिपोर्ट के अनुसार, तमिलनाडु और ओडिशा में व्यक्ति-दिवस (person-days) में सबसे अधिक गिरावट आई, जबकि महाराष्ट्र और हिमाचल प्रदेश में वृद्धि देखी गई. भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण 2021 से ही मनरेगा को पश्चिम बंगाल में फिर से शुरू नहीं किया गया है, जिससे मनरेगा मजदूर बेरोजगार हो गए हैं. कई मजदूरों को एबीपीएस यानी आधार भुगतान ब्रिज सिस्टम के कार्यान्वयन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे मनरेगा में भाग लेने की उनकी क्षमता और कम हो गई है.
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इन योजनाओं के तहत रोजगार के अवसर पिछले वर्ष की तुलना में काफी कम हो गए हैं, जो 184 करोड़ से घटकर 154 करोड़ व्यक्ति-दिवस रह गए हैं.
योजना के सार्वजनिक आंकड़ों पर आधारित लिब टेक के विश्लेषण में कहा गया है कि 27.4 प्रतिशत से अधिक पंजीकृत मजदूर आधार-आधारित भुगतान प्रणाली (एबीपीएस) के लिए अपात्र हैं. एबीपीएस कार्यान्वयन की समय सीमा कई बार बढ़ाई गई थी.