पटना:बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिले यह मांग राजनीतिक दलों के नेताओं के मुंह से बिहार के लोग करीब 2 दशक से सुन रहे हैं. जब भी चुनाव नजदीक आता है या केंद्र सरकार के बजट का सत्र आता है बिहार के राजनीति में विशेष राज्य के दर्जे की मांग जिंदा हो जाती है.
बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की मांग: केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी. साल 2000 में बिहार से अलग होकर नए राज्य झारखंड की स्थापना हुई थी. बिहार का सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र उससे कट कर अलग हो गया था. बिहार में राबड़ी देवी मुख्यमंत्री थीं और उन्होंने केंद्र की सरकार से बिहार के विकास के लिए स्पेशल पैकेज और स्पेशल स्टेटस की पहली बार मांग की थी.
2005 में नीतीश कुमार ने उठायी थी मांग:2005 में बिहार में सत्ता में परिवर्तन हुआ और नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बने. मुख्यमंत्री बनने के बाद नीतीश कुमार ने सबसे पहली मांग बिहार के लिए स्पेशल स्टेटस की थी. नीतीश कुमार ने विधानसभा में तर्क दिया कि झारखंड बनने के बाद बिहार के हिस्से केवल गरीबी और पिछड़ापन आया है. इसलिए राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देकर इसके नुकसान की भरपाई की जा सकती है.
कई बार उठी मांग:मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2005 ने जब ये मांग उठाई तब केंद्र में यूपीए एक की सरकार थी. डॉ मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे. केंद्र की सरकार में राजद का अच्छा खासा प्रतिनिधित्व था और लालू प्रसाद यादव केंद्र में रेल मंत्री थे. बिहार में नीतीश कुमार और बीजेपी के गठबंधन की सरकार थी.
मनमोहन सरकार के खिलाफ हुई थी रैली: साल 2010 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर नीतीश कुमार के नेतृत्व में दोबारा बिहार में एनडीए की सरकार बनी. उस समय भी केंद्र में यूपीए 2 का शासन था. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ही थे. नीतीश कुमार विशेष राज्य के दर्जे की मांग फिर से उठाए. विशेष राज्य के दर्जे की मांग को लेकर जेडीयू ने नवंबर 2012 में पटना के गांधी मैदान में इसके बाद मार्च 2013 में दिल्ली के रामलीला मैदान में केंद्र की मनमोहन सरकार के खिलाफ रैली किया था.
NDA सरकार में भी मांग की गई: बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की मांग को लेकर नीतीश कुमार यूपीए की सरकार हो या एनडीए की सरकार दोनों सरकार में इस मांग को उठाते रहे हैं. नरेंद्र मोदी के नाम पर नीतीश कुमार ने बिहार में बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़कर राजद के साथ महागठबंधन की सरकार बनाई. 2014 लोकसभा चुनाव में केंद्र में सत्ता परिवर्तन हुआ और नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने.
पिछले साल लाया गया था प्रस्ताव: केंद्र में बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी. एक बार फिर से नीतीश कुमार ने बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की मांग केंद्र सरकार के सामने रखा. नीतीश कुमार ने मई 2017 में भी केंद्र सरकार को बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के संबंध में पत्र लिखा था. इसके बाद पिछले साल 2023 में बिहार कैबिनेट में विशेष राज्य का दर्जा के लिए बकायदा प्रस्ताव भी पारित किया गया. उस समय बिहार में एक बार फिर से महागठबंधन की सरकार थी.
नीतीश ने इशारों-इशारों दोहराई अपनी पुरानी मांग: 2024 लोकसभा चुनाव के पहले नीतीश कुमार फिर से बीजेपी के साथ आ गए. लोकसभा चुनाव परिणाम में बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला. बिहार में 12 सीट लाकर जेडीयू केंद्र की सरकार में महत्वपूर्ण भूमिका में आ गयी. यही कारण है कि दिल्ली में केंद्र सरकार के गठन से पहले एनडीए की बैठक में नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी के सामने यह मांग रखी कि केंद्र में अब एनडीए की सरकार है तो अपेक्षा है कि बिहार की पुरानी लंबित मांगों पर जल्द काम होगा.
जदयू को मिला विपक्ष का साथ: केंद्र की सरकार में जेडीयू अब महत्वपूर्ण भूमिका में आ गई है तो बिहार में फिर से विशेष राज्य के दर्जे की मांग उठने लगी है. एनडीए के घटक दल लोजपा, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा, राष्ट्रीय लोक मोर्चा भी अब बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की मांग की बात करने लगे हैं. बिहार की विपक्षी पार्टी राजद कांग्रेस वाम दल सबों ने बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की मांग दोहराई है. केंद्र सरकार के बजट सत्र में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग फिर से उठने लगी है. जेडीयू ने भी विशेष राज्य के दर्जे या बिहार को विशेष पैकेज देने की मांग केंद्र सरकार से की है.
स्पेशल स्टेटस को लेकर क्या है संभावना:बिहार को स्पेशल स्टेटस देने की मांग वर्षों से हो रही है. कुछ खास परिस्थितियों में विशेष दर्जे की मांग को केंद्र सरकार पूरा कर सकती है. उसके लिए केंद्र सरकार यदि चाहे तो विशेष राज्य के दर्जे को लेकर जो नियम बना है उसमें संशोधन करके बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दे सकती है. बिहार के प्रति व्यक्ति आय देश के अन्य राज्यों की तुलना में बहुत ही कम हो तो. बिहार अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटा हुआ राज्य है.
प्रतिवर्ष प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़ एवं सुखाड़ से बिहार के लोग हर वर्ष परेशान होते हैं और बिहार के लोगों की मुख्य आय अभी भी कृषि पर ही निर्भर है. ऐसे में बिहार के विकास के लिए विशेष राज्य का दर्जा बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाता है. बिहार में उद्योग धंधों की कमी है. यदि बाहर के इंडस्ट्री यहां पर आकर व्यापार करते हैं तो लोगों को नौकरी भी मिलेगी और राज्य को आर्थिक लाभ भी संभव है, जिससे बिहार का पिछड़ापन दूर हो जाएगा.
विशेष राज्य का दर्जा किसे दिया जाता है:विशेष श्रेणी का दर्जा दरअसल किसी राज्य को उसके पिछड़ेपन की स्थिति में उसकी विकास संभावनाओं को बढ़ाने के लिए दिया जाता है. यह दर्जा उन क्षेत्रों की विकास दर के आधार पर दिया जाता है, जहां कोई सामाजिक-आर्थिक या भौगोलिक कमी है. विशेष राज्य का दर्जा पाने वाले राज्यों को केंद्र सरकार द्वारा दी गई राशि में 90% अनुदान और 10% रकम बिना ब्याज के कर्ज के तौर पर मिलती है.
किन राज्यों को मिला है स्पेशल स्टेटस:वर्तमान में भारत में 11 राज्यों को विशेष श्रेणी का दर्जा दिया गया है. जिनमें अरुणाचल प्रदेश, असम, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा और उत्तराखंड राज्य शामिल हैं.