देहरादून: उत्तराखंड का उत्तरकाशी बीते कुछ सालों से सांप्रदायिकता की आग में झुलस रहा है. कभी तथाकथित लव जिहाद, लैंड जिहाद के मामलों ने सुर्खियों बटोरी तो कभी मस्जिद विवाद ने यहां की शांत फिजाओं में शोर घोल दिया. इसके बाद 1 दिसंबर को उत्तरकाशी हिंदू महापंचायत ने एक बार फिर से देशभर का ध्यान अपनी ओर खींचा है. मस्जिद विवाद को लेकर हुई महापंचायत को देखते हुए शहर भारी पुलिस फोर्स तैनात की गई. समुदाय विशेष के लोगों की दुकानें बंद रही. लोग घरों में कैद रहे. कुल मिलाकार महापंचायत को लेकर माहौल पूरा गर्म था. मस्जिद विवाद के बाद हुई हिंदू महापंचायत में कई फायर ब्रांड हिंदूवादी नेता पहुंचे. इसके बाद भी महापंचायत में उतनी भीड़ नहीं जुटी जितनी उम्मीद की जा रही थी.
महापंचायत से संतुष्ठ नहीं हिंदूवादी संगठन:उत्तरकाशी महापंचायत से हिंदूवादी संगठन के नेता स्वामी दर्शन भारती संतुष्ठ नहीं दिखे. उन्होंने कहा महापंचायत से जो निष्कर्ष निकल सकता था वह नहीं निकला है, लिहाजा एक बार फिर से बैठक करके संगठन कोई ऐलान करेगा. जिससे इस मामले में कुछ किया जा सकेगा. उन्होंने कहा उत्तरकाशी मस्जिद मामला अभी कोर्ट में है. इसलिए इस मामले पर कुछ भी कहना सही नहीं है. उन्होंने कहा हिंदूवादी संगठन अगले 15 दिनों के बाद राज्य के सभी जिलाधिकारी को एक-एक ज्ञापन सौंपेंगे. जिसमें अवैध मस्जिद, मजारों से जुड़ी जानकारियां जुटाई जाएंगी.
फिर होगा बड़ा आंदोलन (ETV BHARAT) उत्तरकाशी को धार्मिक नगरी बनाने की घोषणा:महापंचायत और मस्जिद विवाद के बहाने अब गंगोत्री विधायक सुरेश चौहान ने एक बड़ी घोषणा की है. गंगोत्री विधायक सुरेश चौहान ने कहा उत्तरकाशी को पूरी तरह से धार्मिक शहर बनाने के लिए वह हर संभव प्रयास करेंगे. इसके लिए शहर में ना तो मीट की दुकान होंगी और ना ही यहां नॉनवेज बेचा जाएगा. उन्होंने कहा उत्तरकाशी पवित्र शहर है. जिसे हम सभी को कायम रखने की जरूरता है.
उत्तरकाशी महापंचायत के बाद बड़ी मांग (ETV BHARAT) सीएम को भी भेजा ज्ञापन: उधर उत्तरकाशी महापंचायत के बाद हिंदूवादी नेता लखपत भंडारी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ज्ञापन भेजा है. जिसमें उन्होंने चारधाम यात्रा मार्गों पर किसी भी गैर हिंदू को रहने की इजाजत, जमीन खरीदने की इजाजत न देने की मांग की है. साथ ही उन्होंने व्यवसाय करने वाले लोगों के जीएसटी से लेकर तमाम रजिस्ट्रेशन और कागजात चेक करने की मांग की.
महापंचायत पर सामने आया बीजेपी का पक्ष:महापंचायत खत्म होने के बाद बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट का भी बयान सामने आया है. उन्होंने कहा लोकतंत्र में सभी को अपनी बात कहने का अधिकार है. उन्होंने कहा कानून व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए अपनी बात कही जानी चाहिए. भट्ट ने महापंचायत के बहाने विपक्ष को घेरने से भी गुरेज नहीं किया. उन्होंने कहा चाहे राज्य की राजनीति हो या फिर संसद कार्यवाही विपक्ष हमेशा से हंगामे के पक्ष में ही रहा है.
उत्तरकाशी में हुई हिंदू महापंचायत (ETV BHARAT) कांग्रेस ने बीजेपी पर फोड़ा ठीकरा:महापंचायत को लेकर कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने बीजेपी को घेरा. उन्होंने कहा उत्तरकाशी सब कुछ सरकार के इशारे पर हो रहा है. सरकार जानबूझकर प्रदेश में सांप्रदायिक माहौल बनाने की कोशिश कर रही है. इससे राज्य का अहित हो रहा है. उन्होंने कहा इससे पूर्व उत्तरकाशी में जो भी कुछ हुआ उसमें उपद्रवियों को सरकार का संरक्षण प्राप्त है. सरकार मुद्दों को भटकाकर लोगों को ऐसे ही माहौल में रखना चाहती है.
हिंदू महापंचायत से पहले फ्लैग मार्च (ETV BHARAT) क्या है उत्तरकाशी मस्जिद विवाद:उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में एक 55 साल पुरानी मस्जिद को लेकर विवाद चल रहा है. ये विवाद तब बढ़ गया, जब एक हिंदू धार्मिक संगठन ने मस्जिद को अवैध बताते हुए प्रशासन के खिलाफ जन आक्रोश रैली आयोजित की थी. रैली के दौरान तनाव हो गया था. पुलिस ने 8 नामजद और 200 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया. उत्तरकाशी के बाड़ाहाट इलाके में स्थित इस मस्जिद का निर्माण वर्ष 1969 में हुआ था. मस्जिद के लिए 4 नाली और 15 मुठ्ठी भूमि का सौदा 20 मई 1969 में हुआ था. बीते 21 अक्टूबर को उत्तरकाशी जिला प्रशासन ने एक प्रेस नोट जारी कर बताया था कि ये जमीन रमजान अली (पुत्र बजीर अली), अब्दुल हमीद बेग (पुत्र फतेह बेग), अली अहमद (पुत्र रसीद अहमद), यासीन बेग (पुत्र आशीग बेग), ईलाही वक्श (पुत्र जहांगीरवक्श) व मुहम्मद रफीक (पुत्र जहांगीर बक्स) साकिनान उत्तरकाशी पट्टी बाड़ाहाट, तहसील भटवाड़ी को बेची गई थी. 2005 में इस मस्जिद की जमीन का दाखिल-खारिज किया गया. जिससे यह कानूनी विवाद में आ गई. सितंबर 2023 में हिंदू समुदाय के एक धार्मिक संगठन ने इस मस्जिद को अवैध बताकर जिला प्रशासन से इसके निर्माण को लेकर आरटीआई में जानकारी मांगी. उसी के बाद विवाद बढ़ता चला गया.
उत्तरकाशी की मस्जिद (ETV BHARAT) बता दें कि, 19 अक्टूबर को मुस्लिम समुदाय की ओर से जिलाधिकारी को मस्जिद से संबंधित सभी कागजात सौंपे गए थे. इसमें मस्जिद की जमीन से संबंधित रजिस्ट्री, खाता-खतौनी व सुन्नी वक्फ बोर्ड संबंधी दस्तावेज शामिल थे.
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