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'भारत में मुसलमान असुरक्षित महसूस कर रहे हैं', फारूक अब्दुल्ला का बड़ा बयान

फारूक अब्दुल्ला को लगता है कि, भारत में मुसलमान असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. जानें कश्मीरी पंडितों पर क्या कहा...

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फारूक अब्दुल्ला (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 3 hours ago

श्रीनगर: नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला का कहना है कि, भारत में मुसलमान असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि, केंद्र सरकार देश की 24 करोड़ मुस्लिम आबादी के अधिकारों को कमजोर नहीं कर सकती . एक दिन पहले सऊदी अरब में उमरा (तीर्थ यात्रा) से लौटने के बाद पार्टी मुख्यालय में मीडिया से बातचीत में उन्होंने यह बात कही.

फारूक अब्दुल्ला ने मीडिया से बातचीत में आगे कहा कि, इसमें कोई संदेह नहीं है कि, मुसलमान असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि, केंद्र को सांप्रदायिक तनाव वाली गतिविधियों पर रोक लगानी चाहिए. वे केंद्र सरकार सरकार से कहना चाहते हैं कि, इस तरह की गतिविधियों पर लगाम लगाएं क्योंकि वे भारत के 24 करोड़ मुसलमानों को समुद्र में नहीं फेंक सकते. मुसलमान समान व्यवहार के पात्र हैं. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि, भारत के संविधान के अनुसार सभी धर्म और भाषाएं समान हैं, ”

तीन बार जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और सांसद ने कहा कि, विभाजनकारी ताकतों को रोका जाना चाहिए और उन्हें सफल नहीं होने देना चाहिए. "मैंने अल्लाह से प्रार्थना की कि वह हमारी परेशानियों को कम करे और भाईचारा बरकरार रखे." उन्होंने यह भी कहा कि, जो लोग हमारे लोगों को धर्म के आधार पर विभाजित करना चाहते हैं, उन्हें चेतावनी दी जानी चाहिए. अब्दुल्ला ने कहा, "हम ऐसी विभाजनकारी ताकतों को हावी नहीं होने दे सकते."

घाटी में पहली कश्मीरी पंडित हाउसिंग सोसायटी के बारे में एक सवाल का जवाब देते हुए, एनसी प्रमुख ने गेंद उनके पाले में डालते हुए कहा कि वापसी का फैसला उन्हें (कश्मीरी पंडित) करना है, "जब मैं मुख्यमंत्री था तो हमने उनकी वापसी को सुविधाजनक बनाने की कोशिश की थी. हमारे दिल उनके लिए खुले हैं. उनकी वापसी के लिए उन्हें कोई नहीं रोकता. कब लौटना है यह उनकी पसंद है, हमारी नहीं."

अब्दुल्ला ने कहा कि उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली सरकार उन सरकारी कर्मचारियों के मामलों को देखेगी जिन्हें उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बर्खास्त कर दिया है. उन्होंने यह भी कहा कि, सरकार आरक्षण नीति पर गौर करेगी, जिससे पिछले साल एलजी प्रशासन द्वारा कुछ समूहों और ओबीसी को अतिरिक्त कोटा शामिल करने पर उनकी संभावनाओं को कम करने के बाद खुली योग्यता श्रेणी से आने वाले लोगों में असंतोष पैदा हो गया है.

अब्दुल्ला ने इज़राइल-लेबनान युद्धविराम का स्वागत किया. साथ ही इजराइल द्वारा गाजा सहित क्षेत्र में हिंसा को समाप्त करने के लिए युद्धविराम का आह्वान किया.

ये भी पढ़ें: बांग्लादेश में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन चाहती हैं ममता बनर्जी, जयशंकर से संसद में बयान देने की मांग

श्रीनगर: नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला का कहना है कि, भारत में मुसलमान असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि, केंद्र सरकार देश की 24 करोड़ मुस्लिम आबादी के अधिकारों को कमजोर नहीं कर सकती . एक दिन पहले सऊदी अरब में उमरा (तीर्थ यात्रा) से लौटने के बाद पार्टी मुख्यालय में मीडिया से बातचीत में उन्होंने यह बात कही.

फारूक अब्दुल्ला ने मीडिया से बातचीत में आगे कहा कि, इसमें कोई संदेह नहीं है कि, मुसलमान असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि, केंद्र को सांप्रदायिक तनाव वाली गतिविधियों पर रोक लगानी चाहिए. वे केंद्र सरकार सरकार से कहना चाहते हैं कि, इस तरह की गतिविधियों पर लगाम लगाएं क्योंकि वे भारत के 24 करोड़ मुसलमानों को समुद्र में नहीं फेंक सकते. मुसलमान समान व्यवहार के पात्र हैं. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि, भारत के संविधान के अनुसार सभी धर्म और भाषाएं समान हैं, ”

तीन बार जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और सांसद ने कहा कि, विभाजनकारी ताकतों को रोका जाना चाहिए और उन्हें सफल नहीं होने देना चाहिए. "मैंने अल्लाह से प्रार्थना की कि वह हमारी परेशानियों को कम करे और भाईचारा बरकरार रखे." उन्होंने यह भी कहा कि, जो लोग हमारे लोगों को धर्म के आधार पर विभाजित करना चाहते हैं, उन्हें चेतावनी दी जानी चाहिए. अब्दुल्ला ने कहा, "हम ऐसी विभाजनकारी ताकतों को हावी नहीं होने दे सकते."

घाटी में पहली कश्मीरी पंडित हाउसिंग सोसायटी के बारे में एक सवाल का जवाब देते हुए, एनसी प्रमुख ने गेंद उनके पाले में डालते हुए कहा कि वापसी का फैसला उन्हें (कश्मीरी पंडित) करना है, "जब मैं मुख्यमंत्री था तो हमने उनकी वापसी को सुविधाजनक बनाने की कोशिश की थी. हमारे दिल उनके लिए खुले हैं. उनकी वापसी के लिए उन्हें कोई नहीं रोकता. कब लौटना है यह उनकी पसंद है, हमारी नहीं."

अब्दुल्ला ने कहा कि उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली सरकार उन सरकारी कर्मचारियों के मामलों को देखेगी जिन्हें उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बर्खास्त कर दिया है. उन्होंने यह भी कहा कि, सरकार आरक्षण नीति पर गौर करेगी, जिससे पिछले साल एलजी प्रशासन द्वारा कुछ समूहों और ओबीसी को अतिरिक्त कोटा शामिल करने पर उनकी संभावनाओं को कम करने के बाद खुली योग्यता श्रेणी से आने वाले लोगों में असंतोष पैदा हो गया है.

अब्दुल्ला ने इज़राइल-लेबनान युद्धविराम का स्वागत किया. साथ ही इजराइल द्वारा गाजा सहित क्षेत्र में हिंसा को समाप्त करने के लिए युद्धविराम का आह्वान किया.

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