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कौन है ये रहस्यमयी युवक? 5 महीने पहले दून पुलिस को बताया मोनू हूं मैं, अब गाजियाबाद में बना भीम सिंह

मोनू ने गाजियाबाद पुलिस को देहरादून वाली स्टोरी रिपीट की, परिवार से बिछड़ने की कहानी सुनाई, दो राज्यों की पुलिस के उड़े होश

DEHRADUN MISSING YOUTH MONU
मोनू उर्फ भीम सिंह में उलझी यूपी-उत्तराखंड की पुलिस (PHOTO- ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 3 hours ago

Updated : 1 hours ago

देहरादून: 1 जुलाई 2024 को देहरादून पुलिस के पास एक गुमशुदा युवक का मामला आया था. इस युवक ने बताया था कि वो बचपने में अपने परिवार से बिछड़ गया था. बिछड़ने की उसने मार्मिक कहानी सुनाई थी. काफी जांच-पड़ताल के बाद पुलिस ने देहरादून में इश्तहार देकर उसे परिवार से मिलाने का दावा किया था.

खोया पाया युवक की सस्पेंस स्टोरी: अब इस युवक से जुड़ी एक नई कहानी सामने आ गई है. ऐसी ही कहानी उसने गाजियाबाद पुलिस को सुनाई. उसकी कहानी के तार देहरादून से जुड़े निकले. परिवार से बिछड़ने की देहरादून वाली कहानी सुनने के बाद शक होने पर पुलिस ने जांच पड़ताल की है. जांच पड़ताल में जो पर्दाफाश हुआ, उससे देहरादून पुलिस की भौचक्की है. इस युवक ने देहरादून पुलिस को अपना नाम मोनू बताकर एक परिवार को अपना बताया था.

5 महीने में मोनू बना भीम सिंह! (VIDEO- ETV Bharat)

देहरादून में मोनू तो गाजियाबाद में भीम सिंह: अब इससे जुड़ी जो नई कहानी सामने आई है, उसमें इसने गाजियाबाद पुलिस को अपना नाम भीम सिंह बताया. पुलिस को इसने बचपन में अपहरण हो जाने की वही मार्मिक कहानी सुनाई. गाजियाबाद पुलिस ने इसके लिए काफी ढूंढ के बाद साहिबाबाद के एक परिवार को इसे सौंप दिया. वहां एक महिला को इसने उनका बचपन में खो गया बेटा होने का विश्वास दिलाया. लीलावती नाम की महिला ने इसे अपना बेटा मान लिया.

क्या है मोनू और भीम सिंह का रहस्य: लेकिन गाजियाबाद पुलिस को इसकी देहरादून वाली कहानी पता चली तो इस पर शक हुआ. उन्होंने देहरादून आकर पुलिस से पूरे मामले की पड़ताल की. ह्यूमन ट्रैफिकिंग पुलिस को भी इस मामले की जांच में लगाया गया है. अब उत्तराखंड के देहरादून और उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले की पुलिस असमंजस में है कि आखिर मोनू और भीम सिंह का माजरा क्या है.

यहां से शुरू हुई कहानी: आइए अब आपको इस कहानी के फ्लैश बैक में ले जाते हैं. पूरी तरह फिल्मी जैसी ये कहानी 2008 में देहरादून से शुरू होती है. 17 साल पहले कपिल देव शर्मा और आशा देवी शर्मा का 8 साल का बेटा गुम हो गया था. पुलिस में बेटे की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाई गई. काफी खोजबीन के बाद भी जब बेटा नहीं मिला तो थक हारकर परिवार ने उसकी ढूंढ बंद कर दी. दिन, महीने और साल बीतते गए. अचानक 5 महीने पहले जुलाई 2024 में देहरादून पुलिस के पास एक युवक आया. उसने अपना नाम मोनू बताया.

17 साल पुरानी गुमशुदगी से जुड़ी कहानी: उसने पुलिस को बताया कि उसका घर देहरादून में है. 17 साल पहले उसका अपहरण हो गया था. अपहरणकर्ता उसे राजस्थान ले गया था. राजस्थान के जैसलमेर में उससे भेड़-बकरी चरवाते थे. खेत में बनी एक झोपड़ी में उसे बेड़ियों से हाथ-पैर बांधकर रखते थे. एक दिन एक ट्रक चालक भेड़ खरीदने जैसलमेर आया. उसे बेड़ियों में बंधा देखकर भेड़-बकरियों के बीच ट्रक में लादकर दिल्ली ले आया. दिल्ली से उस ट्रक वाले ने उसे देहरादून जाने वाली ट्रेन में बिठा दिया. पुलिस को युवक की मार्मिक कहानी पर दया आ गई. उन्होंने लोहियानगर से 2008 में गुमशुदा हुए एक बच्चे से मोनू की तस्वीर मिलाई तो उससे मिलती-जुलती लगी.

देहरादून की महिला ने बताया था अपना बेटा: इसके बाद देहरादून पुलिस ने समाचार पत्रों में मोनू के बारे में विज्ञापन छपवाए. विज्ञापन में मोनू की फोटो और उसकी गुमशुदगी की कहानी सुनकर परिवार पुलिस के पास पहुंचा. आशा देवी शर्मा ने मोनू को अपना बेटा मानते हुए पहचानने की बात कही. इसके बाद वो उसे अपने घर ले आईं. घर में बिछड़ा बेटा मिलने से खुशी का माहौल था. फिर इसके बाद सब इस मामले को भूल गए.

गाजियाबाद पुलिस को भी सुनाई वही कहानी: 24 नवंबर 2024 को मोनू गाजियाबाद पुलिस के पास पहुंच गया. यहां उसने पांच महीने पहले देहरादून पुलिस को सुनाई कहानी दोहरा दी. इस बार उसने अपना नाम मोनू की जगह भीम सिंह बताया. पुलिस ने साहिबाबाद की एक महिला लीलावती को पुलिस थाने भी बुलवा लिया. लीलावती, मोनू उर्फ भीम सिंह को अपना बेटा मानकर घर ले जाने को तैयार हो गई. दरअसल लीलावती का बेटा भी कई साल पहले लापता हो गया था. इस बीच गाजियाबाद पुलिस को शक हुआ तो उन्होंने देहरादून आकर मामले की पड़ताल कर दी. 30 नवंबर 2024 को गाजियाबाद पुलिस मोनू को लेकर देहरादून आ गई. पुलिस को जब उन्होंने पूरी कहानी सुनाई तो देहरादून पुलिस भी भौचक्की रह गई.

घरवालों से मारपीट करता है मोनू: इस दौरान मोनू के देहरादून वाले घर पर जाकर उसके माता-पिता और बहन से बात की गई तो उन्होंने पूरी कहानी बताई. मोनू उर्फ भीम सिंह के घरवालों ने बताया कि वो अक्सर घर में मारपीट करने लगा था. कई बार वो घर छोड़कर जाने की धमकी देते हुए, कुछ घंटों के लिए घर से चला जाता था. फिर वापस लौट आता था.

दिल्ली में नौकरी करने के बहाने घर से गया था: कथित मोनू उर्फ भीम सिंह की मां आशा शर्मा और बहन शिल्पी ने बताया कि 21 नवंबर 2024 को उसने दिल्ली जाने की बात कही थी. मोनू ने बताया था कि उसे देहरादून में कम वेतन मिल रहा है. वो अपने कुछ साथियों के साथ नौकरी करने दिल्ली जाएगा. इसके बाद वो दिल्ली जाने की बात कहकर चला गया. देहरादून से मोनू उर्फ भीम सिंह की दूसरी स्क्रिप्ट गाजियाबाद से सामने आई है.

पिता को मोनू की कहानी पर नहीं था यकीन: कथित मोनू उर्फ भीम सिंह के पिता कपिल देव शर्मा का कहना है कि उन्हें पहले से ही इसकी कहानी पर शक था. उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी थाने गई थी और मोनू को घर लेकर आई थी. उन्होंने कहा कि मोनू ने घर में अशांति फैला रखी थी. वो अपने माता-पिता पर भी हाथ उठाने लगा था. अपनी बहन के बच्चों को वो घर से भगा देता था.

डीएनए जांच होती तो दूध का दूध, पानी का पानी होता: अब देहरादून और गाजियाबाद दोनों जिलों की पुलिस के सामने मोनू उर्फ भीम सिंह के सस्पेंस को हल करने की चुनौती है. इस युवक की मानसिक स्थिति की जांच भी की जा रही है. देहरादून के एसएसपी अजय सिंह का कहना है कि गाजियाबाद पुलिस से बात चल रही है. पूरी जानकारी की जा रही है, जिससे कोई भ्रम की स्थिति पैदा न हो. इस मामले में देहरादून पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं. सवाल ये है कि उन्होंने बिना डीएनए जांच कराए कैसे उसे एक परिवार के हाथों सौंप दिया. अगर उसी समय डीएनए जांच हो जाती तो मामला गाजियाबाद तक नहीं पहुंचता.
ये भी पढ़ें: 16 साल बाद मां को मिला 'जिगर का टुकड़ा', खुशी में छलके आंसू, दुलार कर ले गई घर

देहरादून: 1 जुलाई 2024 को देहरादून पुलिस के पास एक गुमशुदा युवक का मामला आया था. इस युवक ने बताया था कि वो बचपने में अपने परिवार से बिछड़ गया था. बिछड़ने की उसने मार्मिक कहानी सुनाई थी. काफी जांच-पड़ताल के बाद पुलिस ने देहरादून में इश्तहार देकर उसे परिवार से मिलाने का दावा किया था.

खोया पाया युवक की सस्पेंस स्टोरी: अब इस युवक से जुड़ी एक नई कहानी सामने आ गई है. ऐसी ही कहानी उसने गाजियाबाद पुलिस को सुनाई. उसकी कहानी के तार देहरादून से जुड़े निकले. परिवार से बिछड़ने की देहरादून वाली कहानी सुनने के बाद शक होने पर पुलिस ने जांच पड़ताल की है. जांच पड़ताल में जो पर्दाफाश हुआ, उससे देहरादून पुलिस की भौचक्की है. इस युवक ने देहरादून पुलिस को अपना नाम मोनू बताकर एक परिवार को अपना बताया था.

5 महीने में मोनू बना भीम सिंह! (VIDEO- ETV Bharat)

देहरादून में मोनू तो गाजियाबाद में भीम सिंह: अब इससे जुड़ी जो नई कहानी सामने आई है, उसमें इसने गाजियाबाद पुलिस को अपना नाम भीम सिंह बताया. पुलिस को इसने बचपन में अपहरण हो जाने की वही मार्मिक कहानी सुनाई. गाजियाबाद पुलिस ने इसके लिए काफी ढूंढ के बाद साहिबाबाद के एक परिवार को इसे सौंप दिया. वहां एक महिला को इसने उनका बचपन में खो गया बेटा होने का विश्वास दिलाया. लीलावती नाम की महिला ने इसे अपना बेटा मान लिया.

क्या है मोनू और भीम सिंह का रहस्य: लेकिन गाजियाबाद पुलिस को इसकी देहरादून वाली कहानी पता चली तो इस पर शक हुआ. उन्होंने देहरादून आकर पुलिस से पूरे मामले की पड़ताल की. ह्यूमन ट्रैफिकिंग पुलिस को भी इस मामले की जांच में लगाया गया है. अब उत्तराखंड के देहरादून और उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले की पुलिस असमंजस में है कि आखिर मोनू और भीम सिंह का माजरा क्या है.

यहां से शुरू हुई कहानी: आइए अब आपको इस कहानी के फ्लैश बैक में ले जाते हैं. पूरी तरह फिल्मी जैसी ये कहानी 2008 में देहरादून से शुरू होती है. 17 साल पहले कपिल देव शर्मा और आशा देवी शर्मा का 8 साल का बेटा गुम हो गया था. पुलिस में बेटे की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाई गई. काफी खोजबीन के बाद भी जब बेटा नहीं मिला तो थक हारकर परिवार ने उसकी ढूंढ बंद कर दी. दिन, महीने और साल बीतते गए. अचानक 5 महीने पहले जुलाई 2024 में देहरादून पुलिस के पास एक युवक आया. उसने अपना नाम मोनू बताया.

17 साल पुरानी गुमशुदगी से जुड़ी कहानी: उसने पुलिस को बताया कि उसका घर देहरादून में है. 17 साल पहले उसका अपहरण हो गया था. अपहरणकर्ता उसे राजस्थान ले गया था. राजस्थान के जैसलमेर में उससे भेड़-बकरी चरवाते थे. खेत में बनी एक झोपड़ी में उसे बेड़ियों से हाथ-पैर बांधकर रखते थे. एक दिन एक ट्रक चालक भेड़ खरीदने जैसलमेर आया. उसे बेड़ियों में बंधा देखकर भेड़-बकरियों के बीच ट्रक में लादकर दिल्ली ले आया. दिल्ली से उस ट्रक वाले ने उसे देहरादून जाने वाली ट्रेन में बिठा दिया. पुलिस को युवक की मार्मिक कहानी पर दया आ गई. उन्होंने लोहियानगर से 2008 में गुमशुदा हुए एक बच्चे से मोनू की तस्वीर मिलाई तो उससे मिलती-जुलती लगी.

देहरादून की महिला ने बताया था अपना बेटा: इसके बाद देहरादून पुलिस ने समाचार पत्रों में मोनू के बारे में विज्ञापन छपवाए. विज्ञापन में मोनू की फोटो और उसकी गुमशुदगी की कहानी सुनकर परिवार पुलिस के पास पहुंचा. आशा देवी शर्मा ने मोनू को अपना बेटा मानते हुए पहचानने की बात कही. इसके बाद वो उसे अपने घर ले आईं. घर में बिछड़ा बेटा मिलने से खुशी का माहौल था. फिर इसके बाद सब इस मामले को भूल गए.

गाजियाबाद पुलिस को भी सुनाई वही कहानी: 24 नवंबर 2024 को मोनू गाजियाबाद पुलिस के पास पहुंच गया. यहां उसने पांच महीने पहले देहरादून पुलिस को सुनाई कहानी दोहरा दी. इस बार उसने अपना नाम मोनू की जगह भीम सिंह बताया. पुलिस ने साहिबाबाद की एक महिला लीलावती को पुलिस थाने भी बुलवा लिया. लीलावती, मोनू उर्फ भीम सिंह को अपना बेटा मानकर घर ले जाने को तैयार हो गई. दरअसल लीलावती का बेटा भी कई साल पहले लापता हो गया था. इस बीच गाजियाबाद पुलिस को शक हुआ तो उन्होंने देहरादून आकर मामले की पड़ताल कर दी. 30 नवंबर 2024 को गाजियाबाद पुलिस मोनू को लेकर देहरादून आ गई. पुलिस को जब उन्होंने पूरी कहानी सुनाई तो देहरादून पुलिस भी भौचक्की रह गई.

घरवालों से मारपीट करता है मोनू: इस दौरान मोनू के देहरादून वाले घर पर जाकर उसके माता-पिता और बहन से बात की गई तो उन्होंने पूरी कहानी बताई. मोनू उर्फ भीम सिंह के घरवालों ने बताया कि वो अक्सर घर में मारपीट करने लगा था. कई बार वो घर छोड़कर जाने की धमकी देते हुए, कुछ घंटों के लिए घर से चला जाता था. फिर वापस लौट आता था.

दिल्ली में नौकरी करने के बहाने घर से गया था: कथित मोनू उर्फ भीम सिंह की मां आशा शर्मा और बहन शिल्पी ने बताया कि 21 नवंबर 2024 को उसने दिल्ली जाने की बात कही थी. मोनू ने बताया था कि उसे देहरादून में कम वेतन मिल रहा है. वो अपने कुछ साथियों के साथ नौकरी करने दिल्ली जाएगा. इसके बाद वो दिल्ली जाने की बात कहकर चला गया. देहरादून से मोनू उर्फ भीम सिंह की दूसरी स्क्रिप्ट गाजियाबाद से सामने आई है.

पिता को मोनू की कहानी पर नहीं था यकीन: कथित मोनू उर्फ भीम सिंह के पिता कपिल देव शर्मा का कहना है कि उन्हें पहले से ही इसकी कहानी पर शक था. उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी थाने गई थी और मोनू को घर लेकर आई थी. उन्होंने कहा कि मोनू ने घर में अशांति फैला रखी थी. वो अपने माता-पिता पर भी हाथ उठाने लगा था. अपनी बहन के बच्चों को वो घर से भगा देता था.

डीएनए जांच होती तो दूध का दूध, पानी का पानी होता: अब देहरादून और गाजियाबाद दोनों जिलों की पुलिस के सामने मोनू उर्फ भीम सिंह के सस्पेंस को हल करने की चुनौती है. इस युवक की मानसिक स्थिति की जांच भी की जा रही है. देहरादून के एसएसपी अजय सिंह का कहना है कि गाजियाबाद पुलिस से बात चल रही है. पूरी जानकारी की जा रही है, जिससे कोई भ्रम की स्थिति पैदा न हो. इस मामले में देहरादून पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं. सवाल ये है कि उन्होंने बिना डीएनए जांच कराए कैसे उसे एक परिवार के हाथों सौंप दिया. अगर उसी समय डीएनए जांच हो जाती तो मामला गाजियाबाद तक नहीं पहुंचता.
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