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सर्दी में क्यों बढ़ जाता है निमोनिया का खतरा, जानें कारण, लक्षण और बचाव के तरीके - PNEUMONIA INCREASE IN WINTER

अगर बच्चों-बुजुर्गों को सर्दी- जुकाम और खांसी लंबे समय तक हो तो नजर अंदाज न करें, बल्कि विशेषज्ञ डाक्टर से संपर्क करें, जानें क्यों?...

Why does the risk of pneumonia increase in winter, know the causes, symptoms and prevention methods
सर्दी में क्यों बढ़ जाता है निमोनिया का खतरा, जानें कारण, लक्षण और बचाव के तरीके (FREEPIK)
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By ETV Bharat Health Team

Published : Jan 21, 2025, 5:36 PM IST

निमोनिया, फेफड़ों में होने वाला एक खतरनाक इंफेक्शन है. यह बैक्टीरिया, वायरस, या फंगस के कारण हो सकता है. यह बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है. सर्दियों में इस बीमारी का खतरा सबसे ज्यादा होता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सर्दियों में लोग घर के अंदर और एक-दूसरे के करीब रहते हैं. इससे माइक्रोब्स या सूक्ष्मजीवों का एक-दूसरे के बीच आसानी से ट्रान्सफर हो जाता है.

किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के बाल रोग विभाग की प्रो. डॉ. शालिनी त्रिपाठी का कहना है कि ठंड के मौसम में खासकर, बच्चों और बुजुर्गों में हाइपोथर्मिया व निमोनिया के मामले देखने को मिलते हैं. तापमान में गिरावट के साथ ओपीडी में ऐसे रोगियों की संख्या बढ़ने लगी है. वहीं, सिविल अस्पताल के पीडियाट्रिक डॉ. संजय कुमार का कहना है कि इस मौसम में नवजात व बच्चों को निमोनिया होने का खतरा अधिक होता है. यह बैक्टीरिया और वायरस से फैल सकता है.

NIH की एक रिपोर्ट के मुताबिक, निमोनिया से फेफड़ों में सूजन और लालिमा आ जाती है, जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है. यह दुनिया भर में मौत का एक आम कारण है.

निमोनिया के लक्षण
वेबएमडी के अनुसार, आमतौर पर निमोनिया के लक्षण व्यक्ति की उम्र, निमोनिया के प्रकार तथा व्यक्ति की प्रेजेंट हेल्थ कंडीशन पर डिपेंड करता हैं. सामान्य लक्षणों की बात करें तो निमोनिया की शुरुआत ज्यादातर सर्दी या फ्लू और हल्के बुखार से होती है. इसके अलावा निमोनिया के मुख्य लक्षण कुछ इस प्रकार हैं...

  • सांस लेने या खांसने पर सीने में दर्द.
  • 65 वर्ष या उससे ज्यादा एज ग्रुप के व्यक्तियों में मानसिक भ्रम की स्थिति.
  • कफ वाली खांसी.
  • बुखार, पसीना, और कपकपी वाली ठण्ड लगना.
  • थकान.
  • 65 वर्ष से ज्यादा एज वाले लोगों में और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों में शरीर का तापमान सामान्य से कम होना.
  • मतली, उल्टी तथा दस्त.
  • सांस लेने में दर्द या परेशानी होना.
  • सिरदर्द, ज्यादा प्यास लगना.
  • ज्यादा पसीना और पेशाब लगना.
  • मुंह और आंखों का ड्राई होना.
  • फेफड़ों में सूजन, पल्स का बढ़ना.
  • बलगम के साथ खून आना.
  • खाना ना खाने से कमजोरी होना.

निमोनिया के कारण
निमोनिया होने के कईं कारण हो सकते हैं, जैसे कि...

  1. वायरस, बैक्टीरिया, फंगस या अन्य जीवों से निमोनिया हो सकता है.
  2. कई प्रकार के माइक्रोब्स या सूक्ष्मजीवों से निमोनिया हो सकता है.
  3. ज्यादातर मामलों में निमोनिया करने वाले जीव (बैक्टीरिया या वायरस) का पता परीक्षण से भी नहीं लग पाता है.
  4. निमोनिया का सही समय पर इलाज नहीं कराया गया, तो ये परेशानियां हो सकती हैं.

निमोनिया के खतरे को कम करने के लिए कुछ सलाह

  • वैक्सीनेशन निमोनिया को रोकने के सबसे इफेक्टिव तरीकों में से एक है.
  • साबुन से नियमित रूप से हाथ धोने से कीटाणुओं के फैलाव को रोकने में मदद मिलती है, जो निमोनिया जैसे रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन का कारण बन सकते हैं.
  • धूम्रपान छोड़ना या धुएं के संपर्क में आने से बचना निमोनिया के खतरे को काफी हद तक कम कर सकता है.
  • फलों, सब्जियों और लीन प्रोटीन से भरपूर बैलेंस डाइट लेना, पर्याप्त नींद लेना और तनाव को कम करना इम्यून सिस्टम को हेल्दी रखने में मदद कर सकता है.
  • खांसते या छींकते समय मुंह और नाक को ढ़कना कीटाणुओं के फैलाव को रोकने में मदद करता है.
  • अनहेल्दी व्यक्तियों से दूरी बनाए रखना, खासकर अगर उन्हें खांसी और छींकने जैसे लक्षण हैं, संक्रामक एजेंटों के संपर्क को कम करने में मदद कर सकता है.

(डिस्क्लेमर: यहां आपको दी गई सभी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और सलाह केवल आपकी जानकारी के लिए है. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान कर रहे हैं. बेहतर होगा कि इन पर अमल करने से पहले आप अपने निजी डॉक्टर की सलाह ले लें.)

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निमोनिया, फेफड़ों में होने वाला एक खतरनाक इंफेक्शन है. यह बैक्टीरिया, वायरस, या फंगस के कारण हो सकता है. यह बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है. सर्दियों में इस बीमारी का खतरा सबसे ज्यादा होता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सर्दियों में लोग घर के अंदर और एक-दूसरे के करीब रहते हैं. इससे माइक्रोब्स या सूक्ष्मजीवों का एक-दूसरे के बीच आसानी से ट्रान्सफर हो जाता है.

किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के बाल रोग विभाग की प्रो. डॉ. शालिनी त्रिपाठी का कहना है कि ठंड के मौसम में खासकर, बच्चों और बुजुर्गों में हाइपोथर्मिया व निमोनिया के मामले देखने को मिलते हैं. तापमान में गिरावट के साथ ओपीडी में ऐसे रोगियों की संख्या बढ़ने लगी है. वहीं, सिविल अस्पताल के पीडियाट्रिक डॉ. संजय कुमार का कहना है कि इस मौसम में नवजात व बच्चों को निमोनिया होने का खतरा अधिक होता है. यह बैक्टीरिया और वायरस से फैल सकता है.

NIH की एक रिपोर्ट के मुताबिक, निमोनिया से फेफड़ों में सूजन और लालिमा आ जाती है, जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है. यह दुनिया भर में मौत का एक आम कारण है.

निमोनिया के लक्षण
वेबएमडी के अनुसार, आमतौर पर निमोनिया के लक्षण व्यक्ति की उम्र, निमोनिया के प्रकार तथा व्यक्ति की प्रेजेंट हेल्थ कंडीशन पर डिपेंड करता हैं. सामान्य लक्षणों की बात करें तो निमोनिया की शुरुआत ज्यादातर सर्दी या फ्लू और हल्के बुखार से होती है. इसके अलावा निमोनिया के मुख्य लक्षण कुछ इस प्रकार हैं...

  • सांस लेने या खांसने पर सीने में दर्द.
  • 65 वर्ष या उससे ज्यादा एज ग्रुप के व्यक्तियों में मानसिक भ्रम की स्थिति.
  • कफ वाली खांसी.
  • बुखार, पसीना, और कपकपी वाली ठण्ड लगना.
  • थकान.
  • 65 वर्ष से ज्यादा एज वाले लोगों में और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों में शरीर का तापमान सामान्य से कम होना.
  • मतली, उल्टी तथा दस्त.
  • सांस लेने में दर्द या परेशानी होना.
  • सिरदर्द, ज्यादा प्यास लगना.
  • ज्यादा पसीना और पेशाब लगना.
  • मुंह और आंखों का ड्राई होना.
  • फेफड़ों में सूजन, पल्स का बढ़ना.
  • बलगम के साथ खून आना.
  • खाना ना खाने से कमजोरी होना.

निमोनिया के कारण
निमोनिया होने के कईं कारण हो सकते हैं, जैसे कि...

  1. वायरस, बैक्टीरिया, फंगस या अन्य जीवों से निमोनिया हो सकता है.
  2. कई प्रकार के माइक्रोब्स या सूक्ष्मजीवों से निमोनिया हो सकता है.
  3. ज्यादातर मामलों में निमोनिया करने वाले जीव (बैक्टीरिया या वायरस) का पता परीक्षण से भी नहीं लग पाता है.
  4. निमोनिया का सही समय पर इलाज नहीं कराया गया, तो ये परेशानियां हो सकती हैं.

निमोनिया के खतरे को कम करने के लिए कुछ सलाह

  • वैक्सीनेशन निमोनिया को रोकने के सबसे इफेक्टिव तरीकों में से एक है.
  • साबुन से नियमित रूप से हाथ धोने से कीटाणुओं के फैलाव को रोकने में मदद मिलती है, जो निमोनिया जैसे रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन का कारण बन सकते हैं.
  • धूम्रपान छोड़ना या धुएं के संपर्क में आने से बचना निमोनिया के खतरे को काफी हद तक कम कर सकता है.
  • फलों, सब्जियों और लीन प्रोटीन से भरपूर बैलेंस डाइट लेना, पर्याप्त नींद लेना और तनाव को कम करना इम्यून सिस्टम को हेल्दी रखने में मदद कर सकता है.
  • खांसते या छींकते समय मुंह और नाक को ढ़कना कीटाणुओं के फैलाव को रोकने में मदद करता है.
  • अनहेल्दी व्यक्तियों से दूरी बनाए रखना, खासकर अगर उन्हें खांसी और छींकने जैसे लक्षण हैं, संक्रामक एजेंटों के संपर्क को कम करने में मदद कर सकता है.

(डिस्क्लेमर: यहां आपको दी गई सभी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और सलाह केवल आपकी जानकारी के लिए है. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान कर रहे हैं. बेहतर होगा कि इन पर अमल करने से पहले आप अपने निजी डॉक्टर की सलाह ले लें.)

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