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मराठा सीएम की मांग पर फिर से पशोपेश में BJP, जानें शिंदे और अजित पवार की क्या है रणनीति

महाराष्ट्र में सरकार गठन और मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा में देरी को लेकर विपक्ष को भाजपा पर सवाल उठाने का मौका मिल गया है. हालांकि, भाजपा ने विधायक दल का नेता चुनने के लिए दो पर्यवेक्षक नियुक्त कर दिए हैं. देवेंद्र फडणवीस पार्टी आलाकमान की पसंद माने जा रहे हैं, मगर भाजपा मराठा सीएम की मांग पर एकबार फिर से पशोपेश में पड़ गई है. ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की रिपोर्ट.

BJP in dilemma over Maratha CM in Maharashtra pressure politics of Eknath Shinde and Ajit Power
29 नवंबर को दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात करते हुए एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 2 hours ago

नई दिल्ली: क्या महायुति में खींचतान बढ़ती जा रही, कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की तबीयत क्या खराब हुई, महायुति में शामिल पार्टियों के बीच मंत्रिमंडल को लेकर अटकलों का बाजार गरम हो गया. अंततः महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने रविवार को महायुति सरकार के शपथ समारोह की तारीख 5 दिसंबर की घोषणा तो कर दी, मगर मुख्यमंत्री कौन होगा ये नहीं बताया.

वहीं, अजित पवार का दिल्ली आगमन विपक्षी पार्टियों को सवाल उठाने का मौका एक बार फिर दे दिया है. मगर भाजपा ने यह स्पष्ट किया है कि 5 दिसंबर को महायुति सरकार का शपथ ग्रहण होगा और विधायक दल की बैठक 4 दिसंबर को सुबह 10 बजे होगी और उसी दिन महायुति सरकार बनाने का दावा भी पेश करेगी.

सूत्रों की मानें तो देवेंद्र फडणवीस का सीएम बनना लगभग तय है, बाकी नेताओं की तरफ से हो रही बयानबाजी कहीं न कहीं अच्छे पोर्टफोलियो के लिए दबाव बनाने का एक हिस्सा है.

दिल्ली पहुंचे एनसीपी प्रमुख अजित पवार की गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा आलाकमान से मुलाकात भी इसी का ही हिस्सा है.

देखें वीडियो (ETV Bharat)

इस मुद्दे पर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ला का कहना है कि विपक्ष कुछ भी कहे मगर महायुति में सबकुछ तय है और पहले भी कई सरकारों के चुने जाने के बाद भी होती रही है. उदाहरण के तौर पर योगी आदित्यनाथ का ही शपथ काफी दिन के बाद हुआ था. इसी तरह कर्नाटक की सरकार के चुने जाने के बाद भी तो काफी दिन बाद मुख्यमंत्री ने शपथ लिया था.

भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि विपक्षी पार्टियां कुछ भी कहें, लेकिन भाजपा बड़े गठबंधन में सबको साथ लेकर चलने में विश्वास करती है और सबको भरोसे में लेने के साथ ही आगे बढ़ती है.

इसके अलावा संसद में चल रहे गतिरोध को लेकर भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि हर सत्र में विधायी कार्यों में बाधा डालना विपक्ष का काम है. विपक्षी पार्टियों को ना तो जनता के मुद्दों से कोई सरोकार है और ना ही संसद में काम होने देना चाहती हैं, जो मुद्दे बहस के लिए संसदीय परंपरा के अनुकूल हैं, उन पर सरकार बहस करवाने को राजी है, मगर विपक्षी पार्टियां संसद में आएं और मांग रखें.

वहीं, भाजपा प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओर केंद्र सरकार से बांग्लादेश के हिंदुओं के लिए उठाई गई मांग को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि यही ममता बनर्जी थीं जिन्होंने सीएए का विरोध किया था और आज उनके दिल में हिंदुओं के लिए अचानक प्यार उमड़ गया. पहले जो विरोध किया था उसपर उन्हें माफी मांगनी चाहिए. साथ ही जवाब देना चाहिए कि क्यों उन्होंने कहा था कि बंगाल में वो हिंदू शरणार्थियों को पांव रखने नहीं देंगी.

यह भी पढ़ें- Maharashtra CM: BJP ने नियुक्त किए पर्यवेक्षक, 4 दिसंबर को होगा मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान

नई दिल्ली: क्या महायुति में खींचतान बढ़ती जा रही, कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की तबीयत क्या खराब हुई, महायुति में शामिल पार्टियों के बीच मंत्रिमंडल को लेकर अटकलों का बाजार गरम हो गया. अंततः महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने रविवार को महायुति सरकार के शपथ समारोह की तारीख 5 दिसंबर की घोषणा तो कर दी, मगर मुख्यमंत्री कौन होगा ये नहीं बताया.

वहीं, अजित पवार का दिल्ली आगमन विपक्षी पार्टियों को सवाल उठाने का मौका एक बार फिर दे दिया है. मगर भाजपा ने यह स्पष्ट किया है कि 5 दिसंबर को महायुति सरकार का शपथ ग्रहण होगा और विधायक दल की बैठक 4 दिसंबर को सुबह 10 बजे होगी और उसी दिन महायुति सरकार बनाने का दावा भी पेश करेगी.

सूत्रों की मानें तो देवेंद्र फडणवीस का सीएम बनना लगभग तय है, बाकी नेताओं की तरफ से हो रही बयानबाजी कहीं न कहीं अच्छे पोर्टफोलियो के लिए दबाव बनाने का एक हिस्सा है.

दिल्ली पहुंचे एनसीपी प्रमुख अजित पवार की गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा आलाकमान से मुलाकात भी इसी का ही हिस्सा है.

देखें वीडियो (ETV Bharat)

इस मुद्दे पर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ला का कहना है कि विपक्ष कुछ भी कहे मगर महायुति में सबकुछ तय है और पहले भी कई सरकारों के चुने जाने के बाद भी होती रही है. उदाहरण के तौर पर योगी आदित्यनाथ का ही शपथ काफी दिन के बाद हुआ था. इसी तरह कर्नाटक की सरकार के चुने जाने के बाद भी तो काफी दिन बाद मुख्यमंत्री ने शपथ लिया था.

भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि विपक्षी पार्टियां कुछ भी कहें, लेकिन भाजपा बड़े गठबंधन में सबको साथ लेकर चलने में विश्वास करती है और सबको भरोसे में लेने के साथ ही आगे बढ़ती है.

इसके अलावा संसद में चल रहे गतिरोध को लेकर भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि हर सत्र में विधायी कार्यों में बाधा डालना विपक्ष का काम है. विपक्षी पार्टियों को ना तो जनता के मुद्दों से कोई सरोकार है और ना ही संसद में काम होने देना चाहती हैं, जो मुद्दे बहस के लिए संसदीय परंपरा के अनुकूल हैं, उन पर सरकार बहस करवाने को राजी है, मगर विपक्षी पार्टियां संसद में आएं और मांग रखें.

वहीं, भाजपा प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओर केंद्र सरकार से बांग्लादेश के हिंदुओं के लिए उठाई गई मांग को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि यही ममता बनर्जी थीं जिन्होंने सीएए का विरोध किया था और आज उनके दिल में हिंदुओं के लिए अचानक प्यार उमड़ गया. पहले जो विरोध किया था उसपर उन्हें माफी मांगनी चाहिए. साथ ही जवाब देना चाहिए कि क्यों उन्होंने कहा था कि बंगाल में वो हिंदू शरणार्थियों को पांव रखने नहीं देंगी.

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