हल्द्वानी:बनभूलपुरा हिंसा के बाद इस मामले में अब तक वैसे तो कई राजनीतिक बयान आए. लेकिन हिंसा वाले क्षेत्र में राजनेताओं की दस्तक देखने को नहीं मिली है. फिलहाल तमाम सवाल खड़े करने वाले विपक्षी दल भी इस क्षेत्र में जाने से परहेज करते हुए दिखाई दिए हैं. इसके पीछे के कारणों को वैसे तो राजनीतिक रूप से समझना कोई मुश्किल काम नहीं है. लेकिन राजनीतिक दलों के बड़े सुरमा भी इस मामले पर कुछ भी कहने से बच रहे हैं. ईटीवी भारत ने बनभूलपुरा हिंसा के घटनास्थल से कुछ दूरी पर स्थित काठगोदाम सर्किट हाउस पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत से इसी मामले पर कुछ सवाल किए हैं.
बनभूलपुरा हिंसा मामले में हरीश रावत ने न्यायिक जांच की मांग की: 'मलिक का बगीचा' क्षेत्र में 8 फरवरी को हुई घटना पर हर कोई चिंता जाहिर कर रहा है. प्रकरण में बाकायदा 83 पूर्व ब्यूरोक्रेट्स भी उत्तराखंड की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी को चिट्ठी लिखकर अपनी चिंता जाहिर कर चुके हैं. इन्हीं कुछ सवालों के बीच पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी इस प्रकरण पर न्यायिक जांच की मांग रख दी है. हरीश रावत बेहद सधे हुए अंदाज में इस पूरे प्रकरण पर कुछ चुनिंदा सवाल खड़े करते हुए दिखाई देते हैं.
हरीश रावत कहते हैं कि यह पूरी हिंसा स्क्रिप्टेड यानी पहले से तय की हुई दिखाई देती है. इसीलिए वह बार-बार कह रहे हैं कि इस मामले की न्यायिक जांच होनी चाहिए. ताकि हिंसा के कारणों का पता लगाकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके.
भाजपा की सोशल मीडिया टीम फैलती है झूठ:बनभुलपुरा हिंसा प्रकरण को लेकर भले ही राजनीति किसी भी तरह की हो रही हो लेकिन घटनास्थल पर कोई भी नेता जाने को तैयार नहीं है. इस मामले में हरीश रावत अपने एक बयान से इस बात को इशारों ही इशारों में जाहिर करने की कोशिश करते हैं जिसमें वह कहते हैं कि भाजपा की सोशल मीडिया टीम झूठ फैलाकर लोगों में भ्रम पैदा कर देती है.