पटना:जमुई में तेजस्वी यादव की रैली के दौरान चिराग पासवान और उनके परिवार पर अपशब्द कहे जाने का मामला एनडीए शांत होने नहीं देना चाहती. इस मुद्दे को लेकर एनडीए के तमाम घटक दल आरजेडी और तेजस्वी यादव पर हमलावर हैं. अब लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को एक पत्र लिखकर अपनी नाराजगी और गुस्सा प्रकट किया है.
चिराग ने तेजस्वी को लिखा पत्र: चिराग पासवान ने अपने लेटर में लिखा है प्रिय श्री तेजस्वी यादव जी, देश भर में चल रहे लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर इन दिनों आप काफी व्यस्त होंगे. आशा करता हूं कि आप और आपके परिवारजन सभी स्वस्थ होंगे. मैं ऐसी बातों को सार्वजनिक करने का पक्षधर कभी नहीं रहा, लेकिन कुछ बातें जनता के बीच भी आनी जरुरी है.
"मैंने सदैव आपको अपना छोटा भाई माना और आपके और अपने परिवार में कभी फर्क नहीं समझा. आदरणीय श्रीमती राबड़ी देवी जी एवं श्री लालू प्रसाद यादव जी को हमेशा माता-पिता तुल्य माना. आपके संज्ञान में एक बात लाना चाहता हूं कि विगत कुछ दिनों पहले जब जमुई में आप एक चुनावी सभा को संबोधित कर रहे थे तभी कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा मुझे और मेरे परिवार को लेकर आपके सामने ही अपशब्दों का इस्तेमाल किया गया."-चिराग पासवान, जमुई सांसद
'मेरी मां को गाली दे रहे थे और आप...': चिराग ने आगे कहा है कि गाली-गलौज जैसी भाषा का प्रयोग भी मेरे परिवार के लिए किया गया जो बेहद निंदनीय है. मुझे दुःख तब हुआ जब आपकी आंखों के सामने घटित इस घटना पर आप खामोश रहे. दुःख मुझे तब और ज्यादा हुआ जब आपकी पार्टी की प्रत्याशी जो खुद एक महिला होते हुए इस घटना को नजरंदाज करती रही. मंच के ठीक सामने पहली पंक्ति में खड़े लोग चिल्ला-चिल्लाकर मुझे और मेरी मां को गाली दे रहे थे और आप खामोशी से खड़े थे.
'असामाजिक तत्वों को बढ़ावा देती है खामोशी'- चिराग: चिराग ने तेजस्वी पर हमला करते हुए लिखा है कि उस वक्त मंच पर इतना भी शोर नहीं था कि आपके कान में वो बातें नहीं आई हो. मंच पर आप खड़े थे और आपके ठीक नीचे कुछ फासले पर यह अपशब्द कहे जा रहे थे. मेरे ही नहीं किसी और के भी परिवार के बारे में ऐसी भाषा का प्रयोग या ऐसी भाषा का प्रोत्साहन अनुचित है. इस मामले में नेताओं की खामोशी असामाजिक तत्वों को बढ़ावा देती है.
'राबड़ी देवी और मेरी मां में कोई फर्क नहीं समझता': जनप्रतिनिधि होने के नाते हम सबको मर्यादा का परिचय देना चाहिए ताकि जो लोग हमें अपना आदर्श मानते है वो भविष्य में मर्यादित आचरण करें. मैंने कभी आदरणीय श्रीमती राबड़ी देवी जी और अपनी मां में कोई फर्क नहीं समझा. ऐसे में मुझे आपसे ये उम्मीद नहीं थी. मैं मानता हूं कि राजनीतिक दलों के विचार अलग हो सकते हैं, मतभेद हो सकते हैं लेकिन वैमनस्य होना उचित नहीं है. किसी की मां के बारे में ऐसी अभद्र भाषा मेरे लिए कल्पना से परे है.