मुजफ्फरपुरः श्मशान घाट पर जलती चिताओं के बीच लोग आमतौर पर फिलॉस्पर बन जाते हैं. 'जीवन-मरण' या फिर 'क्या लेकर आए थे, क्या लेकर जाओगे' का मर्म समझने और समझाने लगते हैं. लेकिन, मुजफ्फरपुर के सुमित कुमार के साथ इस मुक्तिधाम पर कुछ ऐसा घटा कि उसने वहां एक स्कूल खोल दिया. इससे पहले सुमित जज बनने का सपना देख रहा था. उसका सपना मुक्तिधाम में जल गया.
क्या हुआ था सुमित के साथः एक दिन सुमित अपने मित्र के परिजन का अंतिम संस्कार करने मुक्तिधाम गया था. तभी कुछ बच्चे जलती चिता के आसपास फल और पैसे उठाने के लिए दौड़ पड़े. सुमित ने बच्चों से पूछा- "पढ़ते हो?" बच्चों ने जवाब दिया- "पढ़कर क्या करेंगे?" इस जवाब ने सुमित को झकझोर दिया. उन्होंने वहीं संकल्प लिया कि इन बच्चों को समझाएंगे कि पढ़कर क्या-क्या कर सकते हैं.
'अप्पन' पाठशाला की नींवः अब वही श्मशान घाट पढ़ाई की गूंज से भर चुका है. सुमित ने यहां मुफ्त शिक्षा देने के लिए एक पाठशाला खोल दी है, जहां ये बच्चे न सिर्फ पढ़ाई कर रहे हैं, बल्कि अपने सपनों को पंख भी दे रहे हैं. सुमित सात साल से मुक्ति धाम में स्लम बस्ती के बच्चों को मुफ्त शिक्षा के साथ ऑर्गेनिक खेती के गुर सीखा रहे हैं. इस पाठशाला की शुरुआत मार्च 2017 में हुई थी. इस पाठशाला का नाम 'अप्पन' रखा ताकि बच्चों को अपना लगे.
करीब 130 बच्चे पढ़ते हैंः पाठशाला के संस्थापक सुमित कुमार बताते हैं कि जब पाठशाला की शुरुआत हुई, तब 8 से 10 बच्चे थे. अभी 130 बच्चे हैं. उसने बताया कि धीरे-धीरे बच्चों को बैठने का आदत लगाया फिर पढ़ना शुरू किया. पाठशाला में बच्चे नियमित आने लगे. इनका नामांकन सरकारी स्कूल में कराने के इनके अभिभावकों को प्रेरित किया. हर साल लगभग 15 से 20 बच्चे बगल के सरकारी प्राथमिक विद्यालय, मध्य विद्यालय और उच्च विद्यालय में नामांकन कराते हैं.
10 वीं तक होती पढ़ाईः यहां क्लास एक से लेकर दसवीं तक के छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं. इन सभी बच्चों के लिए ड्रेस बैग, कॉपी ,किताब ,पेंसिल ,रबर कटर, बैठने के लिए आसानी का व्यवस्था सुमित करते हैं. सुमित ने इन 7 सालों में लगभग 250 से अधिक बच्चों का नामांकन बगल के सरकारी विद्यालयों में करवाया है. निधि कुमारी, निशा कुमारी, सलोनी कुमारी, चांदनी कुमारी, माही कुमारी और अंश कुमार ने कहा कि पढ़ने में मन लगता है.
"पाठशाला की वजह से बच्चों की जिंदगी पटरी पर आ रही है. अब ये बच्चे इंजीनियर-डॉक्टर बनना चाहते हैं. इन बच्चों की पढ़ाई के लिए अप्पन पाठशाला की शुरुआत की. उनकी पढ़ाई ट्रैक पर आने लगी है."- सुमित कुमार, संचालक, अप्पन पाठशाला
समाज में एकरूपता आएगीः सुमित का मानना है कि ये बच्चे पढ़ लिख कर शिक्षित और संस्कारित हो जाते हैं तो गलत संगति से दूर रहेंगे. ना इनका शोषण होगा इन्हें देखकर अगल-बगल के लोग प्रेरित होंगे. आने वाले समय में यह अपने समाज और अपने परिवार के लिए उदाहरण बनेंगे. समाज में एकरूपता आएगी. समाज से ऊंच नीच का भेदभाव खत्म होगा. गरीब का बेटा भी प्रशासक बन सकता है, यह भाव उत्पन्न होगा.