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'चेन्नई एक्सप्रेस' की गजब कहानी, जब एक क्रिश्चियन लड़की को दिल दे बैठे सुशील मोदी - SUSHIL KUMAR MODI

सुशील कुमार मोदी को ट्रेन में क्रिश्चियन लड़की से प्यार हो गया. शादी की राह में कई मुश्किलें आईं. पटना से आदित्य झा की रिपोर्ट

sushil kumar modi birth anniversary
सुशील मोदी की जयंती (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 5, 2025, 7:00 AM IST

पटना: बीजेपी के वरिष्ठ नेता रह चुके स्व सुशील कुमार मोदी की जयंती समारोह की तैयारी चल रही है. 5 जनवरी यानी कि आज उनके जन्मदिन के अवसर पर पहली बार जयंती समारोह मनाया जा रहा है. इसी वर्ष 13 मई को सुशील कुमार मोदी का निधन हो गया था. सुशील कुमार मोदी के जीवन के अनछुए पहलुओं को जानें.

सुशील मोदी का जन्म: सुशील कुमार मोदी का जन्म 5 जनवरी 1952 को पटना में हुआ था. इनके माता का नाम रत्ना देवी और पिता का नाम मोती लाल मोदी है. सुशील कुमार मोदी की प्रारंभिक शिक्षा पटना के सेंट माइकल स्कूल में हुई.

सुशील मोदी की शिक्षा-दीक्षा: 1962 में भारत चीन युद्ध के दौरान सुशील कुमार मोदी स्कूली जीवन में ही बहुत सक्रिय हो गए थे. स्कूल के छात्रों को शारीरिक फिटनेस व परेड आदि का प्रशिक्षण देने के लिये सिविल डिफेंस के कमांडेंट नियुक्त किये गये थे. इसके बाद इन्होने बीएससी की डिग्री बीएन कॉलेज पटना से प्राप्त की. जेपी आंदोलन में शामिल होने के कारण वह स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए.

बीजेपी की वरिष्ठ नेत्री किरण घई से खास बातचीत (ETV Bharat)

बिहार बीजेपी के बड़े चेहरा: सुशील कुमार मोदी बिहार की राजनीति के वह चेहरे जिन्हें लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाले चेहरे के रूप में याद करते हैं। छात्र संघ के चुनाव से राजनीति की शुरुआत करने वाले सुशील कुमार मोदी बिहार के गिने-चुने कुछ ऐसे नेताओं में है जिनको देश के सभी चारों सदन में जाने का मौका मिला।

1970 से छात्र संघ से जुड़े: बिहार बीजेपी की वरिष्ठ नेत्री किरण घई राजनीति की शुरुआत सुशील मोदी के साथ ही शुरू की थी. ईटीवी भारत से बातचीत में किरण घई ने बताया कि आज सुशील जी हम लोगों के बीच नहीं है. जयंती उन्हीं लोगों की मनाई जाती है जो बड़े होते हैं. 1970 से वे लोग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में साथ आए. इस समय से लगने लगा था कि इनका व्यक्तित्व बहुत बड़ा है.

'सुशील मोदी छोड़ने आते थे घर': 1972 में पटना में विद्यार्थी परिषद का राष्ट्रीय अधिवेशन हुआ था और उस पूरे राष्ट्रीय अधिवेशन को सुशील कुमार मोदी ने बहुत ही बेहतरीन ढंग से आयोजित करवाया. किरण घई ने बताया कि जिस समय वह लोग छात्र राजनीति में आई थीं, वह अकेले लड़की थी जो छात्र संगठन से जुड़ी थी. कई बार ऐसा मौका लगा कि सुशील कुमार मोदी उनको उनके घर तक छोड़ने के लिए आए. उनको कभी नहीं लगा कि वह लड़कों के बीच काम कर रही हैं.

sushil kumar modi birth anniversary
सुशील मोदी की शादी में वाजपेयी जी हुए थे शामिल (ETV Bharat)

विश्वसनीय दोस्त थे सुमो: किरण घई ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि सुशील कुमार मोदी वैसे दोस्त थे जिससे लोग कोई बात साझा कर सकते थे. जब पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के महासचिव थे,उन्हीं के समय में विश्वविद्यालयों के अंतर्गत आने वाले कॉलेज के विकास के लिए सार्थक पहल की गई.

सुशील मोदी की लव स्टोरी: प्रो. किरण घई ने सुशील कुमार मोदी के प्रेम विवाह के बारे में जानकारी साझा करते हुए कहा कि सुशील कुमार मोदी ट्रेन में सफर कर रहे थे. सामने की सीट पर एक लड़की बैठी थी जिसका नाम जेसी जार्ज था. वह भारतीय योग पर एक पुस्तक पढ़ रही थी.

ट्रेन में ही दिल दे बैठे सुशील: चेन्नई एक्सप्रेस में ही सुशील कुमार मोदी और जेसी के बीच बातचीत शुरू हुई. जम्मू कश्मीर में एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए सुशील कुमार मोदी मुंबई से जम्मू कश्मीर जा रहे थे और उसी ट्रेन में जेसी भी बैठी हुई थी. दोनों के बीच बातचीत हुई. इसके बाद बातचीत पत्राचार में बदल गया.

दोस्ती प्यार में बदली: धीरे-धीरे दोनों के बीच मुलाकातों का दौर शुरू हुआ और यह दोस्ती धीरे-धीरे प्रगाढ़ होने लगी. दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगे थे. इसके बाद पसंद और मुलाकात का ये सिलसिला एक-दूजे का हमसफर बनने तक पहुंच गया.

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ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

शादी में वाजपेयी जी हुए शामिल: सुशील मोदी ने 13 अगस्त 1986 को क्रिश्चियन लड़की जेसी जॉर्ज से शादी की. बीजेपी की वरिष्ठ नेता किरण घई ने बताया कि उनकी 1981 शादी में हुई थी और सुशील कुमार मोदी की शादी 1986 में हुई. सुशील कुमार मोदी की शादी में शामिल होने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी आए थे.

शादी के बाद बदली किस्मत: सादगी से भरी शादी के लिए सुशील कुमार मोदी ने अटल बिहारी वाजपेयी को एक औपचारिक निमंत्रण पत्र भेजा था. अटल बिहारी वाजपेयी शादी के लिए खुद ही पटना आये थे. पटना के शाखा मैदान में शादी समारोह हुआ था जिसमें अटल बिहारी वाजपेयी, नानाजी देशमुख और कर्पूरी ठाकुर शामिल हुए थे, जहां उन्होंने सुशील मोदी से सक्रिय राजनीति में शामिल होने को कहा था.

अटल जी की प्रेरणा से राजनीति में एंट्री: प्रोफेसर किरण घई ने बताया शादी समझ में शामिल होने के लिए आए अटल बिहारी वाजपेयी ने ही सुशील मोदी को सक्रिय राजनीति में आने को कहा। इसके बाद सुशील मोदी सक्रिय राजनीति में आए। किरण घई ने बताया कि बिहार की राजनीति में गिनेचुने ही कोई नेता होंगे जो देश के सभी सदनों में बैठे हो। सुशील जी विधानसभा विधान परिषद लोकसभा एवं राज्यसभा चारों सदनों के मेंबर रहे।

विरोध के बावजूद विवाह: किरण घई ने बताया कि राजनीति में आने के बाद भी सुशील कुमार मोदी राजनीति और परिवार के बीच बेहतरीन संतुलन बनाकर रखें. किरण घई ने बताया कि "अंतरजातीय विवाह में प्राय देखा जाता है कि विरोध होता है, लेकिन विरोध के बावजूद भी सुशील जी ने पारिवारिक संतुलन बनाकर रखा.

"राजनेता के रूप में हो उपमुख्यमंत्री के रूप में हो या परिवार के मुखिया के रूप में सुशील कुमार मोदी ने सबों में संतुलन बनाकर रखा. राजनीति में सक्रिय होने के बाद भी उन्होंने परिवार के लिए हमेशा समय निकाला. उनके बच्चे अभी भी कहते हैं कि पापा उन लोगों से रोज बात करते थे. बच्चे क्या कर रहे हैं, क्या पढ़ रहे हैं, बच्चों के कौन-कौन से मित्र हैं, सबों की जानकारी सुशील जी रखते थे."- किरण घई, वरिष्ठ भाजपा नेत्री

करप्शन के खिलाफ लड़ाई: छात्र संघ चुनाव के समय से ही लालू प्रसाद यादव और सुशील कुमार मोदी दोस्त थे. लालू प्रसाद यादव 1990 में बिहार के मुख्यमंत्री बने. उसके बाद जो बिहार में भ्रष्टाचार के मामले सामने आये, सुशील कुमार मोदी ने बिना किसी भय के इन तमाम मुद्दों को उठाया. चारा घोटाला को लेकर पांच याचिका कर्ताओं ने कोर्ट में अर्जी दी थी. उसमें से एक सुशील कुमार मोदी थे. उन्हीं की लड़ाई का नतीजा हुआ कि लालू प्रसाद जैसे बड़े शख्सियत को जेल जाना पड़ा.

"मेरी एक छात्रा ने सुशील कुमार मोदी के सामने एक स्थानांतरण को लेकर पैरवी करने को कहा. मैंने सुशील जी के सामने बात रखी तो डांट दिए. कभी सुशील कुमार मोदी ऐसे नहीं झिड़के थे. सुशील मोदी ने बाद में कहा कि किरण जी आपसे कोई शिकायत नहीं है. जिसकी पैरवी आप कर रही हैं, वह कई लोगों से हम पर दबाव बनवा चुका है जो गलत है."- किरण घई, वरिष्ठ भाजपा नेत्री

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नीतीश कुमार, सुशील मोदी और शरद यादव (ETV Bharat)

13 मई को निधन: 13 मई 2024 को सुशील कुमार मोदी का कैंसर के कारण निधन हो गया. दिल्ली के एम्स में उन्होंने आखिरी सांस ली. सुशील कुमार मोदी के निधन को किरण घई बिहार की क्षति मानती हैं.

कर्पूरी जी के बाद विपक्ष के सबसे बड़े चेहरे: सुशील कुमार मोदी को याद करते हुए भाजपा के विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल ने ईटीवी भारत से फोन पर बातचीत करते हुए बताया कि सुशील कुमार मोदी का जयंती मनाया जाएगा. उनकी कमी हमेशा खलती रहेगी. सुशील कुमार मोदी वैसे राजनेता थे जो जानते थे कि किसी कार्यकर्ता में कितनी संभावना है. यही कारण था कि उनके कार्यकाल में जो नए चेहरे राजनीति में आए उनकी भूमिका सुशील कुमार मोदी ने तय की थी.

"कर्पूरी ठाकुर के बाद सुशील कुमार मोदी ही विपक्ष के ऐसा चेहरा बने जो पूरे बिहार में कहीं भी कोई घटना होती थी तो तुरंत वहां पहुंचकर उसकी जानकारी लेते थे. वैसा चेहरा अब फिर बिहार की राजनीति में आना संभव नहीं है." हरिभूषण ठाकुर बचौल, बीजेपी विधायक

संपूर्णता के प्रतीक: सुशील कुमार मोदी को याद करते हुए उनके निजी सहयोगी रह चुके शैलेंद्र कुमार ओझा भावुक को गए. ईटीवी भारत से फोन पर हुई बातचीत में शैलेंद्र जी ने बताया कि सुशील कुमार मोदी बनना कोई आसान बात नहीं है. उनको यदि राजनीति के इसाइक्लोपीडिया कहा जाए तो गलत नहीं होगा. 1999 से जीवन के अंतिम घड़ी तक शैलेंद्र कुमार ओझा सुशील कुमार मोदी के निजी सचिव के रूप में उनके साथ रहे.

"समय के वे पाबंद थे. जिसे भी मिलना होता था उसी समय वह बिना देर किए हुए पहुंच जाते थे. सुशील कुमार मोदी ऐसे नेता थे जिन्हें संयुक्त बिहार के सभी जिलों के नेता के नाम के साथ वह जानकारी रखते थे. सुशील कुमार मोदी के साथ 25 वर्षों का साथ रहा. कभी भी उनके चेहरे पर तनाव चिंता या उनका उग्र रूप देखने को नहीं मिला." शैलेंद्र ओझा, सुशील मोदी के पूर्व निजी सचिव

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े: मैट्रिक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने आरएसएस के विस्तारक - (होल टाइमर) की भूमिका में दानापुर व खगौल में काम किया और कई स्थानों पर आरएसएस की शाखाएं शुरू करवायी. बाद में उन्हें पटना शहर के संध्या शाखा का इंचार्ज भी बनाया गया. 1968 में उन्होंने आरएसएस का उच्चतम प्रशिक्षण यानी अधिकारी प्रशिक्षण कोर्स ज्वाइन किया जो तीन साल का होता है.

छात्र जीवन से शुरुआत: सुशील कुमार मोदी ने राजनीति की शुरुआत छात्र संघ चुनाव से हुई.सुशील कुमार मोदी की छात्र राजनीति की शुरुआत 1971 में हुई. वो उस वक्त पटना विश्वविद्यालय संघ की 5 सदस्यीय कैबिनेट के सदस्य निर्वाचित हुए.

जेपी आंदोलन की उपज: 1973 में उन्होंने पटना विश्वविद्यालय छात्रसंघ का चुनाव लड़ा और महासचिव बने. 1977 से 1986 तक उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में महत्वपूर्ण पदों पर काम किया. सुशील कुमार मोदी को भी जेपी आंदोलन का उपज माना जाता है. जेपी आंदोलन प्रभावित होकर उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन में पटना विश्वविद्यालय में दाख़िला लेकर पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी. आपातकाल में वे 19 महीने जेल में भी रहे.

"नीतीश कुमार के साथ उनकी जोड़ी राम और लक्ष्मण की जोड़ी बताई जाने लगी थी. पार्टी के कुछ नेता इसी बात को लेकर नाराज भी थे कि दल हित से ऊपर वह सरकार का हित देख रहे हैं. जब गठबंधन टूटा तो उन्होंने नीतीश कुमार का भी विरोध इस तरह किया जिस तरीके से एक विरोधी दल का नेता करता है."- अरुण पांडेय वरिष्ठ पत्रकार

शाकाहारी भोजन से प्रेम: वरिष्ठ पत्रका अरुण पांडेय ने बताया कि राजनीतिक सादगी के साथ-साथ सुशील कुमार मोदी व्यवहारिक जीवन में भी सादगी पसंद थे. इतने बड़े पद पर जाने के बाद भी उन्होंने जिंदगी में कभी शराब का सेवन नहीं किया. वे शाकाहारी भोजन करते थे.

बेटों की शादी में दिखी सादगी: उनकी सादगी उनके बेटों के शादी में भी देखने को मिली. जब वेटरनरी कॉलेज में बेटे की शादी के रिसेप्शन में सभी आए हुए लोगों को गिफ्ट नहीं लाने को कहा गया था और साथ में सभी मेहमानों को लड्डू का आधा-आधा किलो का पैकेट दिया था.

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पटना: बीजेपी के वरिष्ठ नेता रह चुके स्व सुशील कुमार मोदी की जयंती समारोह की तैयारी चल रही है. 5 जनवरी यानी कि आज उनके जन्मदिन के अवसर पर पहली बार जयंती समारोह मनाया जा रहा है. इसी वर्ष 13 मई को सुशील कुमार मोदी का निधन हो गया था. सुशील कुमार मोदी के जीवन के अनछुए पहलुओं को जानें.

सुशील मोदी का जन्म: सुशील कुमार मोदी का जन्म 5 जनवरी 1952 को पटना में हुआ था. इनके माता का नाम रत्ना देवी और पिता का नाम मोती लाल मोदी है. सुशील कुमार मोदी की प्रारंभिक शिक्षा पटना के सेंट माइकल स्कूल में हुई.

सुशील मोदी की शिक्षा-दीक्षा: 1962 में भारत चीन युद्ध के दौरान सुशील कुमार मोदी स्कूली जीवन में ही बहुत सक्रिय हो गए थे. स्कूल के छात्रों को शारीरिक फिटनेस व परेड आदि का प्रशिक्षण देने के लिये सिविल डिफेंस के कमांडेंट नियुक्त किये गये थे. इसके बाद इन्होने बीएससी की डिग्री बीएन कॉलेज पटना से प्राप्त की. जेपी आंदोलन में शामिल होने के कारण वह स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए.

बीजेपी की वरिष्ठ नेत्री किरण घई से खास बातचीत (ETV Bharat)

बिहार बीजेपी के बड़े चेहरा: सुशील कुमार मोदी बिहार की राजनीति के वह चेहरे जिन्हें लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाले चेहरे के रूप में याद करते हैं। छात्र संघ के चुनाव से राजनीति की शुरुआत करने वाले सुशील कुमार मोदी बिहार के गिने-चुने कुछ ऐसे नेताओं में है जिनको देश के सभी चारों सदन में जाने का मौका मिला।

1970 से छात्र संघ से जुड़े: बिहार बीजेपी की वरिष्ठ नेत्री किरण घई राजनीति की शुरुआत सुशील मोदी के साथ ही शुरू की थी. ईटीवी भारत से बातचीत में किरण घई ने बताया कि आज सुशील जी हम लोगों के बीच नहीं है. जयंती उन्हीं लोगों की मनाई जाती है जो बड़े होते हैं. 1970 से वे लोग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में साथ आए. इस समय से लगने लगा था कि इनका व्यक्तित्व बहुत बड़ा है.

'सुशील मोदी छोड़ने आते थे घर': 1972 में पटना में विद्यार्थी परिषद का राष्ट्रीय अधिवेशन हुआ था और उस पूरे राष्ट्रीय अधिवेशन को सुशील कुमार मोदी ने बहुत ही बेहतरीन ढंग से आयोजित करवाया. किरण घई ने बताया कि जिस समय वह लोग छात्र राजनीति में आई थीं, वह अकेले लड़की थी जो छात्र संगठन से जुड़ी थी. कई बार ऐसा मौका लगा कि सुशील कुमार मोदी उनको उनके घर तक छोड़ने के लिए आए. उनको कभी नहीं लगा कि वह लड़कों के बीच काम कर रही हैं.

sushil kumar modi birth anniversary
सुशील मोदी की शादी में वाजपेयी जी हुए थे शामिल (ETV Bharat)

विश्वसनीय दोस्त थे सुमो: किरण घई ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि सुशील कुमार मोदी वैसे दोस्त थे जिससे लोग कोई बात साझा कर सकते थे. जब पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के महासचिव थे,उन्हीं के समय में विश्वविद्यालयों के अंतर्गत आने वाले कॉलेज के विकास के लिए सार्थक पहल की गई.

सुशील मोदी की लव स्टोरी: प्रो. किरण घई ने सुशील कुमार मोदी के प्रेम विवाह के बारे में जानकारी साझा करते हुए कहा कि सुशील कुमार मोदी ट्रेन में सफर कर रहे थे. सामने की सीट पर एक लड़की बैठी थी जिसका नाम जेसी जार्ज था. वह भारतीय योग पर एक पुस्तक पढ़ रही थी.

ट्रेन में ही दिल दे बैठे सुशील: चेन्नई एक्सप्रेस में ही सुशील कुमार मोदी और जेसी के बीच बातचीत शुरू हुई. जम्मू कश्मीर में एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए सुशील कुमार मोदी मुंबई से जम्मू कश्मीर जा रहे थे और उसी ट्रेन में जेसी भी बैठी हुई थी. दोनों के बीच बातचीत हुई. इसके बाद बातचीत पत्राचार में बदल गया.

दोस्ती प्यार में बदली: धीरे-धीरे दोनों के बीच मुलाकातों का दौर शुरू हुआ और यह दोस्ती धीरे-धीरे प्रगाढ़ होने लगी. दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगे थे. इसके बाद पसंद और मुलाकात का ये सिलसिला एक-दूजे का हमसफर बनने तक पहुंच गया.

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ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

शादी में वाजपेयी जी हुए शामिल: सुशील मोदी ने 13 अगस्त 1986 को क्रिश्चियन लड़की जेसी जॉर्ज से शादी की. बीजेपी की वरिष्ठ नेता किरण घई ने बताया कि उनकी 1981 शादी में हुई थी और सुशील कुमार मोदी की शादी 1986 में हुई. सुशील कुमार मोदी की शादी में शामिल होने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी आए थे.

शादी के बाद बदली किस्मत: सादगी से भरी शादी के लिए सुशील कुमार मोदी ने अटल बिहारी वाजपेयी को एक औपचारिक निमंत्रण पत्र भेजा था. अटल बिहारी वाजपेयी शादी के लिए खुद ही पटना आये थे. पटना के शाखा मैदान में शादी समारोह हुआ था जिसमें अटल बिहारी वाजपेयी, नानाजी देशमुख और कर्पूरी ठाकुर शामिल हुए थे, जहां उन्होंने सुशील मोदी से सक्रिय राजनीति में शामिल होने को कहा था.

अटल जी की प्रेरणा से राजनीति में एंट्री: प्रोफेसर किरण घई ने बताया शादी समझ में शामिल होने के लिए आए अटल बिहारी वाजपेयी ने ही सुशील मोदी को सक्रिय राजनीति में आने को कहा। इसके बाद सुशील मोदी सक्रिय राजनीति में आए। किरण घई ने बताया कि बिहार की राजनीति में गिनेचुने ही कोई नेता होंगे जो देश के सभी सदनों में बैठे हो। सुशील जी विधानसभा विधान परिषद लोकसभा एवं राज्यसभा चारों सदनों के मेंबर रहे।

विरोध के बावजूद विवाह: किरण घई ने बताया कि राजनीति में आने के बाद भी सुशील कुमार मोदी राजनीति और परिवार के बीच बेहतरीन संतुलन बनाकर रखें. किरण घई ने बताया कि "अंतरजातीय विवाह में प्राय देखा जाता है कि विरोध होता है, लेकिन विरोध के बावजूद भी सुशील जी ने पारिवारिक संतुलन बनाकर रखा.

"राजनेता के रूप में हो उपमुख्यमंत्री के रूप में हो या परिवार के मुखिया के रूप में सुशील कुमार मोदी ने सबों में संतुलन बनाकर रखा. राजनीति में सक्रिय होने के बाद भी उन्होंने परिवार के लिए हमेशा समय निकाला. उनके बच्चे अभी भी कहते हैं कि पापा उन लोगों से रोज बात करते थे. बच्चे क्या कर रहे हैं, क्या पढ़ रहे हैं, बच्चों के कौन-कौन से मित्र हैं, सबों की जानकारी सुशील जी रखते थे."- किरण घई, वरिष्ठ भाजपा नेत्री

करप्शन के खिलाफ लड़ाई: छात्र संघ चुनाव के समय से ही लालू प्रसाद यादव और सुशील कुमार मोदी दोस्त थे. लालू प्रसाद यादव 1990 में बिहार के मुख्यमंत्री बने. उसके बाद जो बिहार में भ्रष्टाचार के मामले सामने आये, सुशील कुमार मोदी ने बिना किसी भय के इन तमाम मुद्दों को उठाया. चारा घोटाला को लेकर पांच याचिका कर्ताओं ने कोर्ट में अर्जी दी थी. उसमें से एक सुशील कुमार मोदी थे. उन्हीं की लड़ाई का नतीजा हुआ कि लालू प्रसाद जैसे बड़े शख्सियत को जेल जाना पड़ा.

"मेरी एक छात्रा ने सुशील कुमार मोदी के सामने एक स्थानांतरण को लेकर पैरवी करने को कहा. मैंने सुशील जी के सामने बात रखी तो डांट दिए. कभी सुशील कुमार मोदी ऐसे नहीं झिड़के थे. सुशील मोदी ने बाद में कहा कि किरण जी आपसे कोई शिकायत नहीं है. जिसकी पैरवी आप कर रही हैं, वह कई लोगों से हम पर दबाव बनवा चुका है जो गलत है."- किरण घई, वरिष्ठ भाजपा नेत्री

sushil kumar modi birth anniversary
नीतीश कुमार, सुशील मोदी और शरद यादव (ETV Bharat)

13 मई को निधन: 13 मई 2024 को सुशील कुमार मोदी का कैंसर के कारण निधन हो गया. दिल्ली के एम्स में उन्होंने आखिरी सांस ली. सुशील कुमार मोदी के निधन को किरण घई बिहार की क्षति मानती हैं.

कर्पूरी जी के बाद विपक्ष के सबसे बड़े चेहरे: सुशील कुमार मोदी को याद करते हुए भाजपा के विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल ने ईटीवी भारत से फोन पर बातचीत करते हुए बताया कि सुशील कुमार मोदी का जयंती मनाया जाएगा. उनकी कमी हमेशा खलती रहेगी. सुशील कुमार मोदी वैसे राजनेता थे जो जानते थे कि किसी कार्यकर्ता में कितनी संभावना है. यही कारण था कि उनके कार्यकाल में जो नए चेहरे राजनीति में आए उनकी भूमिका सुशील कुमार मोदी ने तय की थी.

"कर्पूरी ठाकुर के बाद सुशील कुमार मोदी ही विपक्ष के ऐसा चेहरा बने जो पूरे बिहार में कहीं भी कोई घटना होती थी तो तुरंत वहां पहुंचकर उसकी जानकारी लेते थे. वैसा चेहरा अब फिर बिहार की राजनीति में आना संभव नहीं है." हरिभूषण ठाकुर बचौल, बीजेपी विधायक

संपूर्णता के प्रतीक: सुशील कुमार मोदी को याद करते हुए उनके निजी सहयोगी रह चुके शैलेंद्र कुमार ओझा भावुक को गए. ईटीवी भारत से फोन पर हुई बातचीत में शैलेंद्र जी ने बताया कि सुशील कुमार मोदी बनना कोई आसान बात नहीं है. उनको यदि राजनीति के इसाइक्लोपीडिया कहा जाए तो गलत नहीं होगा. 1999 से जीवन के अंतिम घड़ी तक शैलेंद्र कुमार ओझा सुशील कुमार मोदी के निजी सचिव के रूप में उनके साथ रहे.

"समय के वे पाबंद थे. जिसे भी मिलना होता था उसी समय वह बिना देर किए हुए पहुंच जाते थे. सुशील कुमार मोदी ऐसे नेता थे जिन्हें संयुक्त बिहार के सभी जिलों के नेता के नाम के साथ वह जानकारी रखते थे. सुशील कुमार मोदी के साथ 25 वर्षों का साथ रहा. कभी भी उनके चेहरे पर तनाव चिंता या उनका उग्र रूप देखने को नहीं मिला." शैलेंद्र ओझा, सुशील मोदी के पूर्व निजी सचिव

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े: मैट्रिक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने आरएसएस के विस्तारक - (होल टाइमर) की भूमिका में दानापुर व खगौल में काम किया और कई स्थानों पर आरएसएस की शाखाएं शुरू करवायी. बाद में उन्हें पटना शहर के संध्या शाखा का इंचार्ज भी बनाया गया. 1968 में उन्होंने आरएसएस का उच्चतम प्रशिक्षण यानी अधिकारी प्रशिक्षण कोर्स ज्वाइन किया जो तीन साल का होता है.

छात्र जीवन से शुरुआत: सुशील कुमार मोदी ने राजनीति की शुरुआत छात्र संघ चुनाव से हुई.सुशील कुमार मोदी की छात्र राजनीति की शुरुआत 1971 में हुई. वो उस वक्त पटना विश्वविद्यालय संघ की 5 सदस्यीय कैबिनेट के सदस्य निर्वाचित हुए.

जेपी आंदोलन की उपज: 1973 में उन्होंने पटना विश्वविद्यालय छात्रसंघ का चुनाव लड़ा और महासचिव बने. 1977 से 1986 तक उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में महत्वपूर्ण पदों पर काम किया. सुशील कुमार मोदी को भी जेपी आंदोलन का उपज माना जाता है. जेपी आंदोलन प्रभावित होकर उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन में पटना विश्वविद्यालय में दाख़िला लेकर पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी. आपातकाल में वे 19 महीने जेल में भी रहे.

"नीतीश कुमार के साथ उनकी जोड़ी राम और लक्ष्मण की जोड़ी बताई जाने लगी थी. पार्टी के कुछ नेता इसी बात को लेकर नाराज भी थे कि दल हित से ऊपर वह सरकार का हित देख रहे हैं. जब गठबंधन टूटा तो उन्होंने नीतीश कुमार का भी विरोध इस तरह किया जिस तरीके से एक विरोधी दल का नेता करता है."- अरुण पांडेय वरिष्ठ पत्रकार

शाकाहारी भोजन से प्रेम: वरिष्ठ पत्रका अरुण पांडेय ने बताया कि राजनीतिक सादगी के साथ-साथ सुशील कुमार मोदी व्यवहारिक जीवन में भी सादगी पसंद थे. इतने बड़े पद पर जाने के बाद भी उन्होंने जिंदगी में कभी शराब का सेवन नहीं किया. वे शाकाहारी भोजन करते थे.

बेटों की शादी में दिखी सादगी: उनकी सादगी उनके बेटों के शादी में भी देखने को मिली. जब वेटरनरी कॉलेज में बेटे की शादी के रिसेप्शन में सभी आए हुए लोगों को गिफ्ट नहीं लाने को कहा गया था और साथ में सभी मेहमानों को लड्डू का आधा-आधा किलो का पैकेट दिया था.

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