गया:गांवों में होने वाले कुओं पर कितने गीत, लोकगीत बने हैं और इनसे लोगों की बड़ी यादें जुड़ी हैं. गांवों में महिलाएं कुओं में पानी भरते हुए एक दूसरे से हाल चाल लेती थीं. लेकिन वर्तमान समय में गांव-देहातों में कुएं विलुप्त हो गए हैं. ऐसे में गया जिले के अतरी प्रखंड के चिरियावा गांव केहर घर में कुआं किसी रहस्य से कम नहीं है.
गया में हर घर में कुआं :आश्चर्य की बात यह है कि इस गांव के अधिकांश कुएं अब भी जिंदा है. इस गांव में तकरीबन 120 घर हैं और कुओं की संख्या लगभग 150 है. धरोहर की तरह इस गांव के 300 वर्ष पुराने कुएं हैं. कड़ाके की इस ठंड में उस गांव के हर घर से गर्म और भाप वाला पानी निकल रहा है, क्योंकि गांव के हर घर में कम से कम एक कुआं जरूर है. यही वजह है कि इस गांव को कुओं का गांव भी कहा जाता है.
कुओं से था गहरा नाता: दरअसल, 30 से 40 वर्षों पहले गांव और ग्रामीणों का कुएं से काफी गहरा नाता था. गांव के लोग कुएं को अपनी संस्कृति और जीवन रक्षक जैसे मुख्य संसाधन से जोड़कर देखते थे, लेकिन अब गांव देहात में भी कुएं को देखना दुर्लभ हो गया है.
120 घरों में 150 कुएं: गया से 35 किमी दूर अतरी प्रखंड में चिरियावा गांव है. गांव की भौगौलिक स्थिति यह है कि गांव पहाड़ी की तलहट्टी में बसा है. गांव में लगभग 120 घर है, इनमें लगभग 20 से 25 घर ऐसे होंगे जो हाल के विगत 10 वर्ष पूर्व बने हैं. लेकिन आश्चर्य यह है कि पुराने घरों के साथ इन सभी नए घरों में घर के अंदर या बाहरी हिस्से में कुआं है.
"गांव में 150 से कम कुएं नहीं हैं, क्योंकि 120 घरों में कुछ ऐसे परिवार हैं जिनके घर और बाहर में मिल कर तीन से चार कुएं हैं. उन सब को जोड़ लिया जाए तो कुएं की 150 की संख्या हो जाती है, लगभग 100 कुएं ऐसे होंगे जो आज भी जीवित हैं और घर के सारे काम जैसे नहाना धोना, खाना बनाने और पीने का उसी से कार्य होता है."- उदय सिंह, ग्रामीण
गर्मी में बोरिंग हो जाती है खराब : गांव के लोगों के अनुसार कुआं बचा कर रखने की एक वजह यह भी है कि इसके बिना जिंदगी चल नहीं सकती, क्योंकि गांव में बोरिंग सफल नहीं होता है. नीतीश सरकार के नल जल योजना के तहत सात जगहों पर सरकारी हैंड पंप भी लगाए गए. एक टावर टंकी की बोरिंग चालू हालत में है लेकिन गर्मी में वह भी बंद हो जाता है.
बोरिंग का लेयर 200 फीट नीचे:बड़ी बात यह है कि सरकार के द्वारा गांव मेंजितने भी हैंड पंप लगे या बोरिंग हुई उन में अधिकतर खराब पड़े हैं. क्योंकि बोरिंग ज्यादा दिनों तक नहीं चलती है. बोरिंग का लेयर 200 फीट नीचे से शुरू होता है. अगर बोरिंग 300 फीट भी की जाए तो एक वर्ष होते होते पानी का लेयर और नीचे चला जाता है. इस कारण बोरिंग फेल हो जाता है.
28 फीट मिल जाता है पानी: गांव में कुएं की खोदाई में 28 फीट नीचे तक पहुंचते ही पानी मिल जाता है. यहां गांव में कुएं की सब से अधिक गहराई 50 फीट है जबकि अधिकतर कुएं की गहराई 30 से 40 फीट ही है.कुएं में पानी इस लिए जमा रहता है क्योंकि उसकी चौड़ाई ज्यादा होती है. जिसके कारण पानी स्टोर हो जाता है.