पटना: 'सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है' यह लाइनें स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान क्रांतिकारियों के जुबां पर थी. स्वतंत्रता संग्राम के नायक 'राम प्रसाद बिस्मिल' इस गीत को गुनगुनाकर फांसी के तख्ते पर चढ़े थे. दिलचस्प बात यह है कि इस गीत के रचनाकार राजधानी पटना (पूर्व में अजीमाबाद) के थे. रचनाकार ने करीब 40 साल तक इस राज को अपने दिल में दफन रखा था.
सरफरोशी की तमन्ना गीत के लेखक कौन थे : सरफरोशी की तमन्ना के रचनाकार सैयद शाह मोहम्मद हसन बिस्मिल अजीमाबादी थे. पटना (पूर्व नाम अजीमाबाद) के इस क्रांतिकारी ने इस ग़ज़ल की रचना की थी. 1921 में कोलकाता के कांग्रेस अधिवेशन में बिस्मिल अजीमाबादी ने पहली बार इस ग़ज़ल को प्रस्तुत किया था, और जिस मैगजीन में ये छपा था उसपर छापे मारे गए और लेखक की गिरफ्तारी के लिए पीछे पड़ गई और एक वारंट भी जारी किया. इस गीत के गहरे क्रांतिकारी भावों की वजह से 'बिस्मिल अजीमाबादी' की तलाश तेज हो गई थी.
पुलिस का दबाव और भूमिगत जीवन : ग़ज़ल की रचना का मामला जब 1921 में सामने आया, तो एक मैगजीन में इसे प्रकाशित किया था, जिससे अंग्रेज़ सरकार परेशान हो गई. अंग्रेज़ों ने न केवल उस मैगजीन को प्रतिबंधित कर दिया, बल्कि बिस्मिल अजीमाबादी के खिलाफ छापेमारी भी की. उन्हें भूमिगत होना पड़ा. परिवार वालों ने बताया कि वह केवल 20-21 साल के थे और ग़ज़ल कैसे लिख सकते थे.
"ये लाइनें राम प्रसाद बिस्मिल अपनी डायरी में लिखे थे. कोई भी लाइन जो खून में उबाल ला दे उन लाइनों को उस वक्त क्रांतिकारी राम प्रसाद बिस्मिल अपनी डायरी में लिख लेते थे."- डॉ सैयद मसूद, बिस्मिल अजीमाबादी के नाती
बिस्मिल अजीमाबादी की शिक्षा और जीवन : बिस्मिल अजीमाबादी का जन्म 1901 में एक जमींदार परिवार में हुआ था. 2 साल की उम्र में पिता का निधन हो गया. 12 साल की उम्र तक उन्होंने घर पर ही अरबी-फारसी की शिक्षा प्राप्त की. बाद में वह उच्च शिक्षा के लिए कोलकाता गए और वहां कुछ वर्षों तक रहे. बाद में उनके पिता ने उन्हें पटना वापस बुला लिया.
'सरफरोशी की तमन्ना' ग़ज़ल के लेखक का खुलासा : बिस्मिल अजीमाबादी ने इस ग़ज़ल को 1920 में लिखा था, लेकिन अंग्रेज़ों और पुलिस के दबाव के कारण इसे उनके परिवार और खुद बिस्मिल अजीमाबादी ने लंबे समय तक सार्वजनिक नहीं किया. 1960 के बाद बिस्मिल अजीमाबादी ने खुद इस ग़ज़ल को सार्वजनिक किया और बताया कि ''सरफरोशी की तमन्ना'' ग़ज़ल की रचना उन्होंने की थी.
"वास्तव में इस गजल को बिस्मिल अजीमाबादी ने लिखा था. तब वह 20-21 साल के थे और उसे 1920 में लिखा था. इस गजल की लाइनों को शहीद क्रांतिकारी राम प्रसाद बिस्मिल ने गुनगुना कर सूली पर चढ़े थे. तब यह लाइनें प्रकाश में आई थीं. बिस्मिल लिखा होने की वजह से लोग ये समझते हैं कि इन लाइनों को क्रांतिकारी राम प्रसाद बिस्मिल ने लिखा है लेकिन ये सही नहीं है. इसके लेखकर उनके नामा बिस्मिल अजीमाबादी थे."- डॉ सैयद मसूद, बिस्मिल अजीमाबादी के नाती
1978 में हुआ बिस्मिल अजीमाबादी का निधन : बिस्मिल अजीमाबादी के साथ समय बिताने वाले उनके नाती डॉ. सैयद मसूद हसन बताते हैं कि उनका परिवार बहुत नेक था और उनके नाना जी जरूरतमंदों का मुफ्त इलाज करते थे. डॉ. मसूद ने यह भी बताया कि 1978 में बिस्मिल अजीमाबादी का निधन हो गया. उनके योगदान को आज भी याद किया जाता है.
'सरफरोशी की तमन्ना' - एक क्रांतिकारी गीत : राम प्रसाद बिस्मिल भले ही इस ग़ज़ल को गुनगुनाते थे, लेकिन इसके असली रचनाकार बिस्मिल अजीमाबादी थे. यह ग़ज़ल अंग्रेज़ों के खिलाफ क्रांतिकारियों के मनोबल को बढ़ाती थी और आज भी यह ग़ज़ल लोगों के दिलों में बसी हुई है.
ये भी पढ़ें-