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डिंडोरी जिले के बैगाओं को नहीं मिल पाएगा पीएम जन मन योजना का लाभ, सर्वे के बावजूद सूची से 155 गांव गायब

Baiga tribals of Dindori PM Jan Man Yojana : प्रधानमंत्री की आदिवासी जनजाति के लोगों को गरीबी और अभाव के कुचक्र से निकालकर सुविधाजनक जीवन देने की कोशिश पर डिंडोरी जिले के अधिकारियों ने कैसे पलीता लगाया. पढ़िये यह रिपोर्ट.

baiga tribals of dindori
अति पिछड़ी जनजातियों में से एक है बैगा जनजाति

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 28, 2024, 9:24 PM IST

प्रधानमंत्री जन मन योजना में डिंडोरी के 155 गांव शामिल नहीं

डिंडोरी। जिले के हजारों बैगा आदिवासी प्रधानमंत्री जन मन योजना के लाभ से वंचित रह जाएंगे. इस योजना के लिए जिले में सर्वे तो हुआ लेकिन बैगा आदिवासियों के 155 गांव सूची में शामिल नहीं किए गए. बैगन टोला सरपंच की माने तो अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही से ऐसा हुआ. अब इन बैगाओं को इस योजना का लाभ मिल पाएगा या नहीं इस बात का किसी के पास कोई जवाब नहीं है.

इन कच्चे घरों में रहते हैं बैगा आदिवासी

अति पिछड़ी जनजातियों में से एक है बैगा जनजाति

डिंडोरी जिले का बैगा आदिवासी भारत की अति पिछड़ी जनजातियों में से एक है. जिले में बैगा जनजाति बड़े पैमाने पर निवास करती है. इन्हें राष्ट्रीय मानव का दर्जा प्राप्त है. इस संरक्षित जनजाति की अपनी विशेष पहचान है लेकिन यह जनजाति बेहद पिछड़ी भी है. ये लोग जिन इलाकों में निवास करते हैं वहां बुनियादी सुविधाओं की बहुत कमी है. जनजाति के लोग ज्यादातर बेहद गरीब हैं. यह लोग कच्चे घरों में रहते हैं. आसपास पानी की निकासी, सड़क, पीने के पानी की व्यवस्था जैसी बुनियादी सुविधाएं भी नहीं होती.

फंड के बावजूद सुविधाएं नहीं

ऐसा नहीं है कि बैगा जनजाति के नाम पर सरकार के पास कोई फंड नहीं है, बल्कि बैगा विकास योजना के जरिए बैगा जनजाति के लोगों को मूलभूत सुविधाएं मुहैया करवाई जाती हैं लेकिन आजादी के 75 साल बीतने के बाद भी बैगा आदिवासी समाज की मूल धारा से कटा हुआ है.

प्रधानमंत्री जन मन योजना

बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनजातियों के लिए प्रधानमंत्री जन मन योजना की घोषणा की थी. इसके तहत डिंडोरी के 40 हजार से ज्यादा बैगा आदिवासियों को भी यह उम्मीद जाग गई थी कि अब उनका भी विकास होगा क्योंकि प्रधानमंत्री जन मन योजना में जिस आदिवासी के पास घर नहीं है उसे घर देना है, जहां सड़क नहीं है वहां सड़क बननी है, हर घर तक बिजली पहुंचानी है, शौचालय देना है, पढ़ाई के लिए छात्रावास की व्यवस्था करवानी है. यहां तक कि जिन आदिवासियों के पास काम नहीं है उन्हें आजीविका मिशन से भी जोड़ना है. कुल मिलाकर यह योजना जनजाति के लोगों को गरीबी के कुचक्र से निकालकर उन्हें बेहतर जीवन देने की है. केंद्र सरकार इस योजना में 27 हजार करोड़ रूपया खर्च भी कर रही है.

गति ऐप में नहीं दिख रहे डिंडोरी के बैगा

प्रधानमंत्री जन मन योजना के लिए मध्य प्रदेश के अलग-अलग जनजाति बहुल इलाकों में सर्वे करवाए गए थे. डिंडोरी में भी यह सर्वे हुआ था. इस सर्वे में जो गरीब प्रधानमंत्री आवास योजना में छूट गए उनके नाम दर्ज किए गए. उन बस्तियों को भी सर्वे सूची में शामिल किया गया जहां मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं. यह काम 2023 के अगस्त महीने में पूरा हो जाना था लेकिन इसकी समय सीमा बढ़ाकर जनवरी 2024 तक की गई. इसके बाद जो सूची प्रकाशित हुई उसमें डिंडोरी जिले के 155 गांव शामिल ही नहीं है.

सरपंच को नहीं पता ऐसे कैसे हुआ

जिले के बैगन टोला के सरपंच धर्म सिंह का कहना है कि "उनके मोहल्ले में भी सर्वे हुआ था. उन्होंने उत्साह के साथ सर्वे करवाया था लेकिन उन्हें बड़ी हताशा हुई जब उनके आसपास के कई गांव में लोगों के नाम इस सर्वे में नहीं आए.उनका कहना है कि ऐसे कैसे हुआ पता नहीं लेकिन कहीं न कहीं अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही ही है. इसी के चलते ऐसा हुआ होगा."

जिम्मेदार अधिकारी का जवाब

इस मामले में ईटीवी भारत ने जबलपुर के आदिवासी जनजाति विभाग के संयुक्त संचालक जेपी बरकड़े से बात की तो उन्होंने बताया कि "हो सकता है कुछ लोगों के नाम छूट गए हों, यदि ऐसी स्थिति है तो उनके नाम दोबारा जुड़वाए जाएंगे." बता दें कि अब इस एप्लीकेशन में नाम नहीं जोड़ जा सकते हैं.

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कांग्रेस विधायक का आरोप

डिंडोरी के कांग्रेस विधायक ओमकार सिंह मरकाम ने भी आरोप लगाया है कि विभाग की लापरवाही की वजह से डिंडोरी जिले के हजारों बैगा आदिवासी इस योजना से नहीं जुड़ पाएंगे और जिन लोगों ने इस गलती को किया है उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.

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