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27 साल से जेल में बंद कैदी को है रिहाई का इंतजार, सुप्रीम कोर्ट से भी नहीं मिल सकी राहत - UNDERTRIAL PRISONER SHIV DAHLE

सेंट्रल जेल जबलपुर में साल 1996 से बंद विचाराधीन कैदी शिव चंदन डहले अपनी रिहाई की राह देख रहा है. हाईकोर्ट में उसके मामले की सुनवाई 15 जनवरी को होनी है.

Shiv Chandan Dahle  waiting for release
27 साल से जेल में बंद शिव चंदन डहले को है रिहाई का इंतजार (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 11, 2025, 9:52 AM IST

Updated : Jan 11, 2025, 12:34 PM IST

जबलपुर(विश्वजीत सिंह राजपूत): हमारे देश की जेलों में सैकड़ों कैदी बंद हैं और हर बंदी की अपनी एक कहानी है. उनमें से कइयों की कहानी जेल की काल कोठरियों में ही खत्म हो जाती है. कुछ ऐसी ही कहानी है जेल में पिछले 27 सालों से बंद शिव चंदन डहले की. जेल में इतना लंबा अरसा बीत जाने के बावजूद उनकी रिहाई कानून की पेंचींदगियों में उलझकर रह गई है.

बात 1996 की है. बालाघाट के भरबेली गांव में शिव चंदन डहले मजदूरी करके अपने परिवार का गुजर-बसर करते थे. उनकी 3 साल और 1 साल उम्र की दो बेटियां थीं. 8 मई 1996 को शिव के पड़ोसी संजय सुरोले के घर शादी थी. शादी में बारात और गांववालों में विवाद हो गया. विवाद में संजय नाम के शख्स की हत्या हो गई और इसका आरोप मनोज, बाबूराव, दीपक, शिव चंदन डहले, द्वारका और शंकर पर लगा. पुलिस ने इन सभी को गिरफ्तार कर लिया. 1998 में मामले में बालाघाट की जिला अदालत ने सभी आरोपियों को धारा 302 और 148 के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई.

कैदी शिव चंदन डहले को है रिहाई का इंतजार (Etv Bharat)

सुप्रीम कोर्ट से शिव के अलावा बाकी सभी को मिल गई रिहाई

इसके बाद इन सभी ने इस सजा को हाईकोर्ट में चुनौती दी. हाईकोर्ट ने भी उन पर लगे आरोप को सही पाते हुए सजा को बरकरार रखा. सभी आरोपियों ने जेल में ही रहते हुए फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने शिव चंदन डहले के अलावा बाकी सभी आरोपियों को यह कहते हुए बरी कर दिया कि घटना मे आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट ने अपील वापस लेने के बाद सजा माफी का प्रस्ताव भी हुआ खारिज

शिव चंदन डहले ने भी सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. जिला कोर्ट और हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट में अपील सुनते-सुनते 1998 से 2012 तक का समय बीत गया. जेल में रहते हुए उसे 14 साल से ज्यादा वक्त हो गया था. तब तक शिव जेल में ही बंद था. उसके अच्छे बर्ताव और जेल के सभी नियम कानूनों का पालन करने की वजह से जेल विभाग ने उसे सजा माफी का फायदा देते हुए एक पत्र जारी किया.

लेकिन जेल पॉलिसी के अनुसार सजा माफी उसी कैदी को दी जा सकती है जिसकी अपील किसी अदालत में पेंडिंग ना हो. लिहाजा शिव चंदन ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी अपील वापस ले ली. उसे उम्मीद थी कि वह सजा माफी में जेल से छूट जाएगा लेकिन जेल प्रशासन ने उसे नहीं छोड़ा.

बालाघाट जेल में हुए हत्याकांड में फंसा दिया गया

2008 में बालाघाट की उप जेल में एक घटना घटी. बालाघाट की जिस उपजेल में शिव डहले कैद था, वहीं बालाघाट का खूंखार बदमाश शैलेश नाई भी बंद था. 24 अप्रैल 2008 में जेल के भीतर शैलेश नाई की हत्या हो गई. इस मामले में जेल के प्रभारी हुकुम सिंह आर्मो को भी हत्या में आरोपी बनाया गया. न्यायिक जांच में इस हत्या को एक प्लांड मर्डर माना गया. लेकिन इसी मामले में शिव डहले को भी आरोपी बनाया गया.

हालांकि जांच में यह बात सामने आई थी कि शिव डहले दूसरी बैरक में बंद था जबकि शैलेश की हत्या किसी और बैरक में हुई थी. इस मामले में कुल 13 लोगों के खिलाफ मामला बना. हालांकि इस मामले में शिव डहले को जमानत मिल गई.

रिहाई में जेल पॉलिसी बन रही है बड़ी बाधा

जबलपुर जेल के डीआईजी अखिलेश तोमर का कहना है "शिव चंदन डेहले 1998 की जेल नीति के तहत 2012 में छोड़ा जा रहा था. लेकिन इसके पहले कि उसे छोड़ा जाता 2012 में नई जेल नीति आ गई, जिसमें यह कहा गया कि यदि किसी कैदी पर दो हत्या का आरोप है तो उसे सजा माफी नहीं मिलेगी. 2022 की जेल नीति में भी शिव चंदन डेहले की सजा माफी मुश्किल है."

शिव चंदन डेहले को छोड़ने के लिए हाईकोर्ट से की अपील

एडवोकेट बृजेश रजक शिव चंदन डेहले की मदद के लिए सामने आए हैं. उनका कहना है "शिव के ऊपर एक भी हत्या का आरोप सिद्ध नहीं हुआ है. फिर भी वह 27 साल से जेल के भीतर सजा काट रहा है. यदि जेल नियम के अनुसार उसकी सजा गिनी जाए तो उसने 40 साल जेल में काट दिए. 1998 की जेल नीति और 1996 के मामले में सुप्रीम कोर्ट से दूसरे आरोपियों के बरी होने के आधार पर शिव चंदन को रिहाई मिलनी चाहिए. उन्होंने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैथ से शिव चंदन डेहले को छोड़ने की अपील की है."

जबलपुर जेल में 1800 अंडर ट्रायल कैदी

जबलपुर जेल के जेलर मदन कमलेश ने कहा "जबलपुर की सुभाष चंद्र बोस सेंट्रल जेल में वर्तमान में 1800 अंडरट्रायल कैदी हैं. हालांकि बीते कुछ सालों से वे देख रहे हैं कि ज्यादातर कैदियों को दो-तीन साल में या तो सजा मिल जाती है या फिर वे बरी हो जाते हैं. कुछ साल से न्यायिक प्रक्रिया तेज हुई है जिससे विचाराधीन कैदियों को जल्दी न्याय मिल जाता है. लेकिन शिव चंदन की किस्मत साथ नहीं दे रही है."

शिव चंदन डहले बीते 27 सालों से जेल में बंद है. जेल के बाहर उनकी बेटियां 30 और 28 साल की हो गई हैं लेकिन अब तक उनकी शादी नहीं हो पाई है. शिव के जेल में होने की वजह से परिवार दाने-दाने को मोहताज है. अब इन सभी की नजर हाईकोर्ट के फैसले पर टिकी हुई है. मामले में अगली सुनवाई 15 जनवरी को है.

जबलपुर(विश्वजीत सिंह राजपूत): हमारे देश की जेलों में सैकड़ों कैदी बंद हैं और हर बंदी की अपनी एक कहानी है. उनमें से कइयों की कहानी जेल की काल कोठरियों में ही खत्म हो जाती है. कुछ ऐसी ही कहानी है जेल में पिछले 27 सालों से बंद शिव चंदन डहले की. जेल में इतना लंबा अरसा बीत जाने के बावजूद उनकी रिहाई कानून की पेंचींदगियों में उलझकर रह गई है.

बात 1996 की है. बालाघाट के भरबेली गांव में शिव चंदन डहले मजदूरी करके अपने परिवार का गुजर-बसर करते थे. उनकी 3 साल और 1 साल उम्र की दो बेटियां थीं. 8 मई 1996 को शिव के पड़ोसी संजय सुरोले के घर शादी थी. शादी में बारात और गांववालों में विवाद हो गया. विवाद में संजय नाम के शख्स की हत्या हो गई और इसका आरोप मनोज, बाबूराव, दीपक, शिव चंदन डहले, द्वारका और शंकर पर लगा. पुलिस ने इन सभी को गिरफ्तार कर लिया. 1998 में मामले में बालाघाट की जिला अदालत ने सभी आरोपियों को धारा 302 और 148 के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई.

कैदी शिव चंदन डहले को है रिहाई का इंतजार (Etv Bharat)

सुप्रीम कोर्ट से शिव के अलावा बाकी सभी को मिल गई रिहाई

इसके बाद इन सभी ने इस सजा को हाईकोर्ट में चुनौती दी. हाईकोर्ट ने भी उन पर लगे आरोप को सही पाते हुए सजा को बरकरार रखा. सभी आरोपियों ने जेल में ही रहते हुए फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने शिव चंदन डहले के अलावा बाकी सभी आरोपियों को यह कहते हुए बरी कर दिया कि घटना मे आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट ने अपील वापस लेने के बाद सजा माफी का प्रस्ताव भी हुआ खारिज

शिव चंदन डहले ने भी सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. जिला कोर्ट और हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट में अपील सुनते-सुनते 1998 से 2012 तक का समय बीत गया. जेल में रहते हुए उसे 14 साल से ज्यादा वक्त हो गया था. तब तक शिव जेल में ही बंद था. उसके अच्छे बर्ताव और जेल के सभी नियम कानूनों का पालन करने की वजह से जेल विभाग ने उसे सजा माफी का फायदा देते हुए एक पत्र जारी किया.

लेकिन जेल पॉलिसी के अनुसार सजा माफी उसी कैदी को दी जा सकती है जिसकी अपील किसी अदालत में पेंडिंग ना हो. लिहाजा शिव चंदन ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी अपील वापस ले ली. उसे उम्मीद थी कि वह सजा माफी में जेल से छूट जाएगा लेकिन जेल प्रशासन ने उसे नहीं छोड़ा.

बालाघाट जेल में हुए हत्याकांड में फंसा दिया गया

2008 में बालाघाट की उप जेल में एक घटना घटी. बालाघाट की जिस उपजेल में शिव डहले कैद था, वहीं बालाघाट का खूंखार बदमाश शैलेश नाई भी बंद था. 24 अप्रैल 2008 में जेल के भीतर शैलेश नाई की हत्या हो गई. इस मामले में जेल के प्रभारी हुकुम सिंह आर्मो को भी हत्या में आरोपी बनाया गया. न्यायिक जांच में इस हत्या को एक प्लांड मर्डर माना गया. लेकिन इसी मामले में शिव डहले को भी आरोपी बनाया गया.

हालांकि जांच में यह बात सामने आई थी कि शिव डहले दूसरी बैरक में बंद था जबकि शैलेश की हत्या किसी और बैरक में हुई थी. इस मामले में कुल 13 लोगों के खिलाफ मामला बना. हालांकि इस मामले में शिव डहले को जमानत मिल गई.

रिहाई में जेल पॉलिसी बन रही है बड़ी बाधा

जबलपुर जेल के डीआईजी अखिलेश तोमर का कहना है "शिव चंदन डेहले 1998 की जेल नीति के तहत 2012 में छोड़ा जा रहा था. लेकिन इसके पहले कि उसे छोड़ा जाता 2012 में नई जेल नीति आ गई, जिसमें यह कहा गया कि यदि किसी कैदी पर दो हत्या का आरोप है तो उसे सजा माफी नहीं मिलेगी. 2022 की जेल नीति में भी शिव चंदन डेहले की सजा माफी मुश्किल है."

शिव चंदन डेहले को छोड़ने के लिए हाईकोर्ट से की अपील

एडवोकेट बृजेश रजक शिव चंदन डेहले की मदद के लिए सामने आए हैं. उनका कहना है "शिव के ऊपर एक भी हत्या का आरोप सिद्ध नहीं हुआ है. फिर भी वह 27 साल से जेल के भीतर सजा काट रहा है. यदि जेल नियम के अनुसार उसकी सजा गिनी जाए तो उसने 40 साल जेल में काट दिए. 1998 की जेल नीति और 1996 के मामले में सुप्रीम कोर्ट से दूसरे आरोपियों के बरी होने के आधार पर शिव चंदन को रिहाई मिलनी चाहिए. उन्होंने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैथ से शिव चंदन डेहले को छोड़ने की अपील की है."

जबलपुर जेल में 1800 अंडर ट्रायल कैदी

जबलपुर जेल के जेलर मदन कमलेश ने कहा "जबलपुर की सुभाष चंद्र बोस सेंट्रल जेल में वर्तमान में 1800 अंडरट्रायल कैदी हैं. हालांकि बीते कुछ सालों से वे देख रहे हैं कि ज्यादातर कैदियों को दो-तीन साल में या तो सजा मिल जाती है या फिर वे बरी हो जाते हैं. कुछ साल से न्यायिक प्रक्रिया तेज हुई है जिससे विचाराधीन कैदियों को जल्दी न्याय मिल जाता है. लेकिन शिव चंदन की किस्मत साथ नहीं दे रही है."

शिव चंदन डहले बीते 27 सालों से जेल में बंद है. जेल के बाहर उनकी बेटियां 30 और 28 साल की हो गई हैं लेकिन अब तक उनकी शादी नहीं हो पाई है. शिव के जेल में होने की वजह से परिवार दाने-दाने को मोहताज है. अब इन सभी की नजर हाईकोर्ट के फैसले पर टिकी हुई है. मामले में अगली सुनवाई 15 जनवरी को है.

Last Updated : Jan 11, 2025, 12:34 PM IST
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