ETV Bharat / business

మరింత ప్రియమైన బంగారం.. ప్రస్తుత ధరెంతంటే...

పసిడి, వెండి ధరలు నేడు మరింత ప్రియమయ్యాయి. దేశ రాజధాని దిల్లీలో 10 గ్రాముల మేలిమి పుత్తడి ధర రూ.43 పెరిగింది. వెండి కిలోకు రూ.209 పుంజుకుంది.

gold
బంగారం ధర
author img

By

Published : Jan 16, 2020, 4:52 PM IST

బంగారం ధర నేడు మళ్లీ పెరిగింది. దేశ రాజధాని దిల్లీలో 10 గ్రాముల స్వచ్ఛమైన పసిడి ధర రూ.43 పెరిగి.. రూ.40,458కి చేరింది.

రూపాయి బలహీనపడటం, అంతర్జాతీయంగా కొనుగోళ్లు పుంజుకోవడం వంటి పరిణామాలతో దేశీయంగా పసిడి ధరలు పెరిగినట్లు నిపుణులు చెబుతున్నారు.

బంగారంతో పాటే వెండి ధర నేడు పుంజుకుంది. కిలో వెండి ధర నేడు రూ.209(దిల్లీలో) పెరిగి.. రూ.47,406 వద్దకు చేరింది.

అంతర్జాతీయ మార్కెట్​లో ఔన్సు బంగారం ధర 1,553 డాలర్ల వద్ద.. వెండి ఔన్సుకు 17.83 డాలర్ల వద్ద ఫ్లాట్​గా ఉన్నాయి.

ఇదీ చూడండి:'ఆన్​-ఆఫ్'తో డిజిటల్​ లావాదేవీలు మరింత సురక్షితం!​

బంగారం ధర నేడు మళ్లీ పెరిగింది. దేశ రాజధాని దిల్లీలో 10 గ్రాముల స్వచ్ఛమైన పసిడి ధర రూ.43 పెరిగి.. రూ.40,458కి చేరింది.

రూపాయి బలహీనపడటం, అంతర్జాతీయంగా కొనుగోళ్లు పుంజుకోవడం వంటి పరిణామాలతో దేశీయంగా పసిడి ధరలు పెరిగినట్లు నిపుణులు చెబుతున్నారు.

బంగారంతో పాటే వెండి ధర నేడు పుంజుకుంది. కిలో వెండి ధర నేడు రూ.209(దిల్లీలో) పెరిగి.. రూ.47,406 వద్దకు చేరింది.

అంతర్జాతీయ మార్కెట్​లో ఔన్సు బంగారం ధర 1,553 డాలర్ల వద్ద.. వెండి ఔన్సుకు 17.83 డాలర్ల వద్ద ఫ్లాట్​గా ఉన్నాయి.

ఇదీ చూడండి:'ఆన్​-ఆఫ్'తో డిజిటల్​ లావాదేవీలు మరింత సురక్షితం!​

Intro:जेके लोन अस्पताल में जहां बीते छह साल में 6646 बच्चों की मौत हुई है. मुद्दे के हाईलाइट होने के बाद अब जेके लोन अस्पताल से अच्छी खबर सामने आई है कि बच्चों की मौत का औसत जनवरी माह में नीचे गिरा है. बीते 6 सालों का औसत निकाला जाए तो रोजाना तीन बच्चों की मौत का मामला सामने आ रहा था, जबकि बीते 15 दिनों की बात की जाए तो इनमें महज 25 बच्चों की मौत का मामला सामने आया है. जिसके अनुसार बच्चों की मौत का औसत डेढ़ बच्चा प्रतिदिन निकल रहा है.



Body:कोटा.
जेके लोन अस्पताल का मुद्दा बच्चों की मौत के मामले में काफी गर्मा गया था. दिसंबर महीने में यहां पर 100 बच्चों की मौत उपचार के दौरान हुई थी. जेके लोन अस्पताल में जहां बीते छह साल में 6646 बच्चों की मौत हुई है. मुद्दे के हाईलाइट होने के बाद अब जेके लोन अस्पताल से अच्छी खबर सामने आई है कि बच्चों की मौत का औसत जनवरी माह में नीचे गिरा है. बीते 6 सालों का औसत निकाला जाए तो रोजाना तीन बच्चों की मौत का मामला सामने आ रहा था, जबकि बीते 15 दिनों की बात की जाए तो इनमें महज 25 बच्चों की मौत का मामला सामने आया है. जिसके अनुसार बच्चों की मौत का औसत डेढ़ बच्चा प्रतिदिन निकल रहा है. इससे साफ है कि जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत का मामला हाईलाइट होने के बाद जिस तरह से अस्पताल में बदलाव हुए हैं. बच्चों के उपचार को लेकर सरकार ने जो ध्यान दिया है. उसी के चलते यह आंकड़े में कमी आई है.

हर साल से जनवरी के आंकड़ा भी गिरा
अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. गोपी किशन का कहना है कि बीते 7 सालों की बात की जाए तो जनवरी महीने में वर्ष 2013 में 63, 2014 में 81, 2015 में 100, 2016 में 90, 2017 में 71, 2018 में 58 व 2019 में 72 बच्चों की मौत हुई थी. जबकि बीते 15 दिनों में महज 25 बच्चों की मौत हुई है. ऐसे में यह आंकड़ा भी काफी कम हो रहा है. साथ ही उन्होंने बताया कि जिन बच्चों की बीते 15 दिनों में मौत हुई है. उनमें कई प्रीमेच्योर बच्चे शामिल थे. साथ ही जन्मजात हार्ट डिजीज या फेफड़े से जुड़ी बीमारियां भी उनमें थी. साथ ही एक बच्चा तो ऐसा था जो कि छत से गिरने के कारण गंभीर रूप से घायल होने पर भर्ती हुआ था.

NICU व FBNC में शुरू हुई सेंट्रलाइज ऑक्सीजन
अस्पताल के एनआईसीयू एफबीएनसी में जहां पर सेंट्रलाइज ऑक्सीजन लाइन नहीं थी. जिसके चलते सिलेंडरों से ऑक्सीजन की सप्लाई गंभीर नवजात बच्चों को होती थी. जिसके चलते संक्रमण का खतरा हमेशा नवजात पर बना रहता था. अस्पताल प्रबंधन ने बच्चों की मौत के मामले में तत्काल टेंडर करते हुए सेंट्रलाइज ऑक्सीजन लाइन का काम करवाया है, यह कार्य पूरा भी हो गया है और बुधवार से ही सेंट्रलाइज ऑक्सीजन लाइन के जरिए एफबीएनसी व एनआईसीयू में भर्ती नवजात को ऑक्सीजन भी दी जाने लगी है.

इमरजेंसी PICU व NICU को 5 दिन में शुरू हो जाएंगे
जेके लोन अस्पताल में हंगामा होने के बाद राज्य सरकार ने 27 करोड़ रुपए स्वीकृत करने की बात करते हुए नया ओपीडी और इंडोर ब्लॉक बनाने की बात कही है, इसमें 156 बेड का इंडोर नया बनाया जा रहा है. जिसमें 90 बेड जनरल, 36 बेड एनआईसीयू व 30 बेड का पीआईसीयू होगा. हालांकि इसके पहले ही अस्पताल प्रबंधन ने एक एनआईसीयू और पीआईसीयू बनाने की तैयारी शुरू कर दी है. यह दोनों इमरजेंसी एनआईसीयू व पीआईसीयू होंगे. इसका कार्य पूरी जोर शोर से चल रहा है और बीते 4 से 5 दिनों में इसे शुरू भी कर दिया जाएगा.

काफी बदलाव किए है और भी कम जारी है
अस्पताल के अधीक्षक डॉ एससी दुलारा का कहना है कि उन्होंने व्यवस्थाओं में काफी परिवर्तन किया है. जहां पर अस्पताल की खिड़कियों से ठंडी हवा आती थी जो नवजात बच्चों या गंभीर बीमार बच्चों को परेशान करती थी, उसमें भी सुधार किया है. अस्पताल में साफ-सफाई से लेकर कई व्यवस्थाओं में बदलाव हमने बच्चों की मौत के मामले के बाद किए हैं. यहां तक कि जितने अस्पताल में जरूरी उपकरण बच्चों की देखरेख के जरूरी हैं. उनसे ज्यादा उपकरण आज दुरुस्त स्थिति में है. खराब होने वाले उपकरणों को तुरंत ठीक करवाने के लिए उनकी सीएमसी व एएमसी भी करवाई गई है. साथ ही नए उपकरण भी बीते 15 दिनों में अस्पताल प्रबंधन ने खरीदकर शिशु रोग विभाग को दिए हैं. विधायकों ने जो पैसा अस्पताल को देने की घोषणा की थी. उसमें से तीन विधायकों के पैसे भी जिला परिषद के जरिए हमें मिल रहे हैं.




Conclusion:
बीते 7 सालों में जनवरी माह में हुई बच्चों की मौत का आंकड़ा
वर्ष - मौत
2013 - 63
2014 - 81
2015 - 100
2016 - 90
2017 - 71
2018 - 58
2019 - 72


बाइट-- डॉ. गोपीकिशन शर्मा, उपाधीक्षक, जेके लोन अस्पताल
बाइट-- डॉ. एससी दुलारा, अधीक्षक, जेके लोन अस्पताल (सफेद बाल वाले)
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.