पाली. अपनों से मिलने की चाहत तो हर कोई रखता है, लेकिन सड़कों पर घूमने वाले मानसिक विक्षिप्त लोगों को अपनों से कौन मिलाए. भूख, गंदगी, बदहाली में जीने वाले ये लोग अपनों से कब बिछड़े थे, किसी को पता नहीं, इनके अपने भी इन्हें ढूंढ रहे हैं या नहीं इसका भी कोई अंदाजा नहीं लगाया जा सकता. लेकिन इन लोगों के लिए भी अपना बनकर कर कोई आया. अपनों को अपनों से मिलाने की मुहिम चला रहे अपना घर ने पाली में कुछ ऐसी की मिसाल पेश की है. इस संस्था ने इस तरह के लोगों को प्रभु का दर्जा दिया.
यहां इन प्रभु का ख्याल रखने के साथ ही उनका अच्छा उपचार भी करवाया जाता है, जिससे कि वह दुरुस्त होकर अपनों का पता बताने में सक्षम हो सकें. इनकी मदद से अपना घर इनके परिजनों से मिलाने में सफल हो सके.
अपनों से अब तक 232 प्रभु को मिलवाया
पाली में अपना घर स्थापित होने के बाद में अब तक 263 प्रभु को यहां पर लाया जा चुका है. इन 263 प्रभु में से 232 प्रभु को देश के अलग-अलग कोने से इनके परिवार को ढूंढकर उनके परिजनों से मिलाया है. संस्था के पदाधिकारियों की माने तो यहां पर ज्यादातर सड़कों पर बदहाली में घूमने वाले प्रभु को यहां लाकर उन्हें सुव्यवस्थित किया जाता है. सप्ताह में डॉक्टरों से उचित उपचार करवाया जाता है और पौष्टिक आहार देकर उन्हें शारीरिक रूप से स्वस्थ बनाने की कोशिश की जाती है. इनकी देखरेख के लिए संस्था हर संभव प्रयास करती है.
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यहां कुछ प्रभु ऐसे हैं जो अपने हाथों से भी खाना नहीं खा पाते. संस्था के पदाधिकारी अपने हाथों से खाना खिलाते हैं. संस्था के पदाधिकारियों की माने तो उन्होंने अपने नंबर पाली के सभी स्थान पर दे रखे हैं. आम जनता द्वारा फोन करने पर किसी भी तरह प्रभु को अपना घर में लाया जाता है. संस्थाओं के पदाधिकारियों ने बताया कि अब तक इन्होंने दिल्ली, महाराष्ट्र, असम, बंगाल, मध्य प्रदेश, बिहार और छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों में अपनों से बिछड़े प्रभु को उनके अपनों से मिलाया है.
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अपना घर की बात करें तो इसका शाब्दिक अर्थ इसके अंदर जाने पर साफ नजर आता है. यहां प्रभु के लिए अपना घर में बेहतर से बेहतर सुविधा उपलब्ध कराई जाती है. प्रभु के लिए यहां पर उचित बेड की व्यवस्था है. दोनों समय उनके लिए बेहतर भोजन की व्यवस्था है, साथ ही उपचार के लिए पाली के अच्छे डॉक्टरों की टीम भी लगातार यहां पर सेवाएं देती हैं. अधिकृत पदाधिकारियों ने बताया कि इनके यहां से ऐसे भी प्रभु निकले हैं, जो पूरी तरह से मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ होकर अपने घर गए हैं.