जयपुर : अयोध्या में भगवान श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ इस बार कैलेंडर वर्ष के बजाय हिंदी पंचांग के अनुसार मनाई गई. यह प्रतिष्ठा द्वादशी के रूप में पौष महीने की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाई गई. इस अवसर पर अयोध्या के श्री राम मंदिर में भव्य आयोजन हुआ. वहीं, भगवान श्री राम के वंशज माने जाने वाले सवाई जय सिंह द्वितीय द्वारा बसाए गए नगर जयपुर के राम मंदिरों में भी उत्साह के साथ प्रतिष्ठा द्वादशी मनाई गई.
जयपुर के प्राचीन श्री रामचंद्र जी मंदिर में भव्य आतिशबाजी के साथ संध्या आरती आयोजित की गई. इस दौरान ठाकुर जी और माता सीता को चांदी-मीना से सजे कमल पुष्प पहनाए गए. हिंदू पंचांग के अनुसार अयोध्या के राम मंदिर में भगवान श्रीरामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा को आज एक साल पूरा हो गया. 11 जनवरी को प्रतिष्ठा द्वादशी के रूप में इसे पूरे उत्साह के साथ मनाया गया.
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मंदिर में विशेष आयोजन : मंदिर के महंत नरेंद्र तिवाड़ी ने बताया कि पिछले साल 22 जनवरी को रामलला अपने मंदिर में विराजमान हुए थे, जिसे पूरे भारत में एक पर्व के रूप में मनाया गया. इस वर्ष भी प्रतिष्ठा द्वादशी के दिन जयपुर के प्राचीन श्री रामचंद्र जी मंदिर में ठाकुर जी को नवीन पोशाक पहनाई गई. विशेष भोग अर्पित किया गया और हाथों में चांदी-मीना के काम के कमल पुष्प धारण कराए गए. इस दिन को श्रद्धालुओं ने दीपावली जैसा माना और इसे दीप जलाकर मनाया. साथ ही बधाई गीतों का आयोजन हुआ और आतिशबाजी की गई. श्रद्धालुओं का कहना था कि इस प्रकार के दिन भविष्य में और भी आएं.
उधर, जयपुर के गुप्त वृंदावन धाम में भगवान कृष्ण और बलराम को विशेष धनुष-बाण के साथ अलंकरण कर अयोध्या के स्वर्णिम अध्याय का उल्लास मनाया गया. इस अवसर पर मंदिर परिसर में हरिनाम संकीर्तन और सुंदरकांड का आयोजन हुआ. इसके अतिरिक्त, नाहरगढ़ पहाड़ियों की तलहटी में स्थित ब्रह्मराम मंदिर और छोटी चौपड़ पर स्थित सीताराम जी मंदिर में भी इस दिन के अवसर पर विशेष आयोजन किए गए.